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कोल्हापुर की हथिनी 'महादेवी' की कहानी, जिसके लिए लोगों ने PETA और अंबानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में सोमवार, 4 अगस्त को एक मादा हाथी के लिए 40 हजार से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए. दरअसल, एक जैन मठ में महादेवी नाम की हथिनी पिछले 32 साल से भी ज्यादा समय से रह रही थी. जानवरों के वेलफेयर के लिए काम करने वाले संगठन पेटा ने शिकायत की मठ में हथिनी की हालत ठीक नहीं है.

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कोल्हापुर में एक हाथी के लिए लोग सड़कों पर उतर आए (India Today)

'कोल्हापुर की माधुरी' उर्फ महादेवी हथिनी को वंतारा भेजे जाने को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं. पशु कल्याण के लिए काम करने वाले PETA (People for the Ethical Treatment of Animals) ने जैन मठ में रहने वाली महादेवी हथिनी की हालत बेहद खराब बताई थी. पेटा ने कहा था कि उसकी देखभाल ठीक से नहीं की जाती. एक उच्चस्तरीय जांच समिति ने इन दावों की पुष्टि की, जिसके बाद हाथी को वंतारा के पुनर्वास केंद्र में शिफ्ट कर दिया गया. 

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अब इसे लेकर कोल्हापुर में विरोध हो रहा है. इस विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के प्रमुख और पूर्व सांसद राजू शेट्टी. उनका कहना है कि PETA ने गलत कागज दिखाकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और हाथी को वंतारा भिजवा दिया. शेट्टी ने आरोप लगाया कि PETA ‘मुकेश अंबानी की गुलामी’ कर रहा है. उन्होंने ये दावा भी किया कि स्थानीय लोगों ने इसके विरोध में ‘जियो के बहिष्कार’ का एलान किया है और अपना फोन नंबर दूसरी कंपनियों में पोर्ट करवा रहे हैं.

'कोल्हापुर की माधुरी' के लिए आगे आए लोग

कोल्हापुर में एक गांव है नांदणी. यहां के एक जैन मठ में महादेवी नाम की हथिनी को 1992 में लाया गया था. राजू शेट्टी ने बताया कि जैन मत में 700 सालों से ये परंपरा है कि यहां हाथी पाला जाता है. यह धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है. नांदणी में 700 गांवों का एक मठ है, जहां महादेवी हथिनी को तब लाया गया था, जब वह सिर्फ 4 साल की थी. इंडिया टुडे से जुड़े दीपक सूर्यवंशी से एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि इस हथिनी का पूरे जिले में रुतबा था. वह रोज ‘फेर-फटका’ लगाती थी और लोग उसे देखकर कहते थे कि ‘नांदणी की हथिनी’ आ गई.

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हालांकि, PETA इसे अलग नजरिए से देखता है. अपनी वेबसाइट पर मामले के बारे में बताते हुए PETA इंडिया ने आरोप लगाया कि कोल्हापुर के नांदणी गांव के स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान (जैन मठ) में हथिनी को ‘कैद’ करके रखा गया था और वह अकेलेपन का शिकार हो गई थी. उसे लोहे के अंकुश जैसे प्रतिबंधित हथियार से नियंत्रित किया जाता था और गांव में फेरा लगवाकर उससे ‘भीख मंगवाई’ जाती थी. 

PETA ने आगे बताया,

साल 2017 में अपनी निराशाजनक जिंदगी से परेशान होकर महादेवी ने जैन मठ के प्रमुख पुजारी पर घातक हमला कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. अप्राकृतिक परिस्थितियों में रखे गए हाथी अक्सर मानसिक आघात और हताशा के चलते हिंसक प्रतिक्रिया देने लगते हैं.

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महादेवी उर्फ महादेवी हथिनी

PETA ने आगे कहा कि मठ के पुजारी की मौत के बाद इलाके के तत्कालीन सांसद राजू शेट्टी ने वन विभाग से आग्रह किया था कि महादेवी को चिड़ियाघर भेज दिया जाए. साल 2020 में उन्होंने PETA के लोगों से मुलाकात की और मादा हाथी के पुनर्वास का समर्थन किया.

हाथी के शोषण का आरोप

PETA ने हाथी के शारीरिक और मानसिक शोषण के गंभीर आरोप भी लगाए और कहा कि 2012 से 2023 के बीच ‘जैन मठ महादेवी को कम से कम 13 बार प्रदेश से बाहर लेकर गया’ और शोभायात्राओं में उसका इस्तेमाल किया. यह गैरकानूनी तरीका था. 2022-23 में उसे ‘मुहर्रम की शोभायात्रा में शामिल करने के लिए तेलंगाना ले जाया गया’ था. 

पेटा के मुताबिक इसके बाद वन विभाग ने पहली बार मठ पर एक्शन लिया. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 की धारा 48ए के उल्लंघन पर 30 जुलाई 2020 को हथिनी को गैरकानूनी परिवहन के आरोप में जब्त कर लिया गया. इसकी कस्टडी महाराष्ट्र वन विभाग को सौंप दी गई. 20 जून 2024 को महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव वार्डन ने सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर्ड कमिटी (HPC) से हाथी के पुनर्वास के लिए सिफारिश की.

PETA ने बताया कि जंजीरों में जकड़े जाने के कारण हाथी को गठिया, पैर सड़ जाने और थकी एड़ियों जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो गई थीं.

'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, वंतारा ने भी अपने बयान में आरोप लगाया कि हाथी को मुहर्रम जुलूस, भिक्षावृत्ति और धार्मिक आयोजनों में इस्तेमाल किया गया था. बच्चों को उसकी सूंड पर बैठाया जाता था. महादेवी से जुड़ी ‘आस्था को व्यावसायिक’ रूप दे दिया गया था. 

वंतारा ने आगे कहा कि PETA ने 2022 से महादेवी की हालत पर नजर रखी थी. 12 अगस्त 2023 को सरकारी पशु चिकित्सकों ने निरीक्षण कर नोट किया कि मादा हाथी खुले घाव, पांव की विकलांगता, चमड़ी की झुलसन और मानसिक परेशानी से पीड़ित है. 20 अक्टूबर 2023 को डॉ. राकेश चित्तौड़ा ने हाथी को अस्पताल में भर्ती करने और उसके पुनर्वास की सिफारिश की. उन्होंने ये भी कहा कि महावत को हाथियों की देखभाल का ज्ञान ही नहीं है.

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महादेवी के लिए सड़क पर उतरा कोल्हापुर (India Today)

इसके बाद, 31 अक्टूबर 2023 को PETA ने HPC को तस्वीरें, पशु चिकित्सकीय रिपोर्टें और मानसिक तथा शारीरिक यातना के सबूतों समेत शिकायत सौंपी. HPC ने 27 दिसंबर 2024 को मादा हाथी को राधे कृष्ण टेंपल एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट (Radhe Krishna Temple Elephant Welfare Trust) जामनगर भेजने का आदेश दे दिया.

जैन मठ ने इस फैसले का विरोध किया और इसे बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी. लॉ ट्रेंड के मुताबिक, 16 जुलाई 2025 को कोर्ट ने मठ की याचिका खारिज कर दी और कहा, 

महादेवी हथिनी का गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने का अधिकार धार्मिक उद्देश्यों के लिए उसका उपयोग करने के मानव अधिकार से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. 

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की पीठ ने राधे कृष्ण ट्रस्ट की प्रशंसा की और कहा कि ये ट्रस्ट हाथी के लिए ‘ईश्वरीय वरदान’ जैसा है. कोर्ट ने आदेश दिया कि महादेवी को 2 हफ्ते के भीतर गुजरात के पुनर्वास केंद्र में स्थानांतरित कर दिया जाए.

लेकिन, मठ के लोग यहीं नहीं रुके. उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन 28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और दो हफ्ते में महादेवी को जामनगर शिफ्ट करने का आदेश दे दिया. साथ ही 11 अगस्त 2025 को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.

कानूनी तौर पर हाथी पर अधिकार छिन जाने के बाद स्थानीय लोग इसे लेकर PETA और वंतारा पर बरस पड़े. जामनगर के जिस राधे कृष्ण टेंपल एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट में हाथी को भेजा गया है, वह वंतारा का एक हिस्सा है. यहां हाथियों की खासतौर पर देखभाल की जाती है. वंतारा उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की पहल है. 

2020 में हाथिनी के जू में पुनर्वास का समर्थन करने वाले राजू शेट्टी इसे वंतारा भेजे जाने पर विरोध पर उतर आए. उनका कहना है, 

वंतारा जू के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं है. हमने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी. सेंट्रल जू अथॉरिटी ने कहा कि इस देश में वंतारा नाम का कहीं भी चिड़ियाघर नहीं है. इसका मतलब है कि यह गैरकानूनी तरीके से चल रहा है. इस पर आरोप है कि यहां बहुत से जंगली पशु तस्करी करके लाए गए हैं लेकिन उसकी जांच नहीं हो रही है.

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लोगों ने हाथी की वापसी की मांग की है (India Today)

उन्होंने PETA पर ‘अंबानी का गुलाम’ होने का आरोप लगाया और कहा कि झूठी रिपोर्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया गया कि हमारी हथिनी को सही तरीके से संभाला नहीं जाता. उसे हेल्थ प्रॉब्लम है. उसे वंतारा भेज दो. शेट्टी ने कहा,

इसे लेकर आम आदमी में आक्रोश है. 35 सालों से ज्यादा समय से इस हाथी को हमने देखा है. वो 4 साल की थी, जब हमारे यहां आई थी. आज वह 40 साल की है.

सोमवार को हाथी की वापसी को लेकर मौन पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे शेट्टी ने कहा कि महादेवी के साथ खेलने वाला एक कुत्ता है, जो हमारे साथ चल रहा है. वह भी महादेवी को वापस लाने के लिए हमारे साथ चल रहा है. यह दिखाता है कि जानवरों में कितना प्यार होता है.

उन्होंने हाथी को ले जाने के तरीके पर भी आपत्ति जताई और कहा कि अगर किसी पशु को ट्रांसपोर्ट करना होता है तो ऐसा दिन में किया जाता है. यही कानून है, लेकिन रात को 12 बजे नांदणी मठ से हमारी महादेवी हथिनी एंबुलेंस में बैठकर कैसे गई? जिला पशु डॉक्टर ने सर्टिफिकेट दिया था फिजिकल फिटनेस का. अगर 48 घंटे ट्रैवल करने के बाद हाथी को कोई जख्म होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है?

शेट्टी ने वंतारा के मालिक अनंत अंबानी पर कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा, 

अंबानी को खुश करने के लिए सरकार हमें दबाती है. हमारे ऊपर कार्रवाई करती है और अंबानी को छोड़ देती है. 

उन्होंने आगे कहा, 

भाजपा हिंदुत्ववादी मुद्दों पर सरकार में आई, लेकिन हमारी हजार साल की परंपरा है. हमारे अनेक मंदिरों में हाथी पाले जाते हैं. PETA को आगे करके अंबानी हमारा हाथी छीन लेता है तो सरकार क्या कर रही है?

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30 हजार से ज्यादा लोगों के प्रोटेस्ट में आने का दावा (India Today)
जियो का बहिष्कार?

राजू शेट्टी ने बताया कि हाथी की वापसी को लेकर सोमवार को 45 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकाली गई, जिसमें कोल्हापुर के अलावा सांगली और सतारा से भी 30 हजार से ज्यादा लोग जुटे. उन्होंने दावा किया कि वंतारा के विरोध में लोगों ने जियो का बहिष्कार किया है, जो रिलायंस ग्रुप की दूरसंचार कंपनी है. शेट्टी का कहना है कि डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने जियो नंबर दूसरी कंपनी में पोर्ट करा लिया है.

उन्होंने कहा, 

वंतारा में पहले से ही 200 से ज्यादा हाथी हैं, लेकिन उन्हें महादेवी ही चाहिए थी क्योंकि वह बहुत सुंदर है.

नांदणी गांव के एक युवक ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि हथिनी के जाने के बाद से पूरा गांव सुनसान पड़ा है. वो हमारी है और उसे वापस आना चाहिए. युवक ने कहा,

वो लोग पैसे के जोर से हाथी लेकर गए हैं. बचपन से हाथी यहां था लेकिन अंबानी के बेटे के शौक के लिए वो उसे वंतारा ले गए. बाकी जगह भी ले जा सकते थे. वंतारा ही क्यों ले गए?

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महादेवी को विदा करने उमड़े लोग (India Today)

वंतारा ने भी अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई दी है. 3 अगस्त को उन्होंने 'द हिंदू' को बताया कि इस मामले में काफी गलत जानकारी फैलाई जा रही है. रिपोर्टों और तस्वीरों से पता चलता है कि हथिनी का व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा था. बयान में आगे कहा गया कि हाथी के पुनर्वास या इसकी मांग में वंतारा की कोई भूमिका नहीं है. हाथियों के हित में वंतारा के पिछले कामों को देखते हुए उच्च-स्तरीय समिति ने हाथी को यहां शिफ्ट करने की योजना बनाई.

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