क्या है ये मूडीज?
मूडीज अमेरिका की एक कंपनी है, जो बिजनेस और आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई है. ये कंपनी बनी थी साल 1909 में, जिसे बनाया था जॉन मूडी ने. इस कंपनी को बनाने के पीछे जॉन मूडी का मकसद था स्टॉक मार्केट और बॉन्ड की रेटिंग बताना. मतलब ये बताना कि कौन सा स्टॉक एक्सचेंज कैसा परफॉर्म कर रहा है और कौन सा बॉन्ड खरीदने पर ज्यादा मुनाफा हो सकता है. इसके लिए जॉन मूडी स्टॉक मार्केट और बॉन्ड की रेटिंग किया करते थे. साल 1962 में अमेरिका की ही एक और कंपनी डॉन एंड ब्रॉडस्ट्रीट ने इसे खरीद लिया और विलय कर लिया. साल 2000 में डॉन एंड ब्रॉडस्ट्रीट ने मूडीज को अलग से एक कंपनी के तौर पर स्थापित कर दिया और इसे न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सजेंच में लिस्ट करवा दिया. फिर 2007 में मूडीज़ के दो हिस्से हो गए. एक हिस्सा बना मूडीज इन्वेस्टर सर्विस, जिसका काम था रेटिंग देना. दूसरा हिस्सा था मूडीज़ एनालिटिक्स का, जिसके जिम्मे कंपनी के बचे हुए काम आ गए.

मूडीज दुनिया के 135 देशों की क्रेडिट रेटिंग करती है. इसमें दो तरह की रेटिंग होती है. एक है क्रेडिट रेटिंग और दूसरा है आउटलुक रेटिंग.
कैसे काम करता है मूडीज इन्वेस्टर सर्विस?
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस बॉन्ड मार्केट में लगे सरकार के पैसे और कारोबारियों के पैसे के आधार पर किसी देश के कर्ज लेने और उसे चुकाने की क्षमता की रेटिंग जारी करता है. अगर रेटिंग अच्छी आती है तो दुनिया भर के निवेशक उस देश में इन्वेस्ट करते हैं और अगर रेटिंग खराब आती है तो निवेशक उस देश में निवेश करने से कतराते हैं. फिलहाल मूडीज इन्वेस्टर सर्विस दुनिया के 135 देशों की क्रेडिट रेटिंग जारी करता है. इसके अलावा इसके जिम्मे और भी कई कॉरपोरेट यूजर्स और उधार पैसे देने वाली संस्थाएं हैं. 44 देशों में कुल 13,700 लोग मूडीज़ के लिए काम करते हैं, जिनसे मिले डेटा का एनालिसिस करके ये कंपनी किसी देश की क्रेडिट रेटिंग जारी करती है.
कैसे होती है रेटिंग और क्या हैं उस रेटिंग के मायने?
मूडीज की रेटिंग Aaa से लेकर C तक होती है. Aaa का मतलब होता है कि उस देश में निवेश की स्थितियां सबसे बेहतर हैं, वहीं C का मतलब है कि उस देश में निवेश की स्थितियां बेहद खराब हैं.
Aaa : ये मूडीज की सबसे अच्छी रैंकिंग है. मतलब ये है कि कम वक्त के लिए लिया गया कर्ज आराम से चुकाया जा सकता है. इस लिस्ट में ऑस्ट्रलिया जैसे देश हैं.
Aa1 से Aa3 (Aa1, Aa2, Aa3) : Aa1 से लेकर Aa3 तक की रेटिंग दूसरी सबसे अच्छी रेटिंग है. इसमें कर्ज न चुकाने की आशंका बेहद कम होती है. यानी कि कम वक्त के लिए लिया गया कर्ज आराम से चुकाया जा सकता है. इस लिस्ट में ऑस्ट्रिया जैसे देश हैं.
A1- A3 (A1, A2, A3) : इसके तहत किसी देश की रेटिंग को अपर मीडियम माना जाता है. कर्ज चुकाने की क्षमता सबसे अच्छी होती है. चीन इसी लिस्ट में शामिल है.

चीन A1-A3 वाली केटेगरी में है, जबकि भारत उससे नीचे Baa1 से Baa3 वाली कैटेगरी में है.
Baa1-Baa3 (Baa1, Baa2, Baa3) : ये रेटिंग मीडियम होती है. इसमें कर्ज चुकाने में मामूली रिस्क हो सकता है. छोटे वक्त के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने की अच्छी क्षमता होती है. और कर्ज न चुकाने या कुछ देर होने के लिए वाजिब वजहें होती हैं. अपना देश इसी कैटिगरी में है.
Ba1-Ba3 (Ba1, Ba2, Ba3) : इस तरह की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी वाले देश को लोन चुकाने में थोड़ा बहुत रिस्क हो सकता है. इस लिस्ट में हंगरी शामिल है.
B1-B3 (B1,B2,B3) : इस तरह की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी वाले देश लोन चुकाने में रिस्की हो सकते हैं. मतलब ऐसे देशों को लोन देने में खतरा हो सकता है. इथोपिया और इस ग्रीस इस लिस्ट में हैं.
Caa1-Caa3 (Caa1, Caa2, Caa3) : इस क्रेडिट रेटिंग वाले देशों की स्थिति खराब होती है. इन्हें लोन देना और फिर उसे वापस हासिल करना बेहद रिस्की होती है. क्यूबा इस लिस्ट में शामिल है.
Ca : इस क्रेडिट रेटिंग वाले देश डिफॉल्टर होने के करीब होते हैं. इन्हें दिए लोन को वापस मिलने की उम्मीद बेहद कम होती है. बहुत मामूली गुंजाइश होती है कि ये देश मूलधन और ब्याज चुका सकते हैं. फिलहाल इस लिस्ट में कोई भी देश नहीं है.
C : ये किसी देश की सबसे खराब क्रेडिट रेटिंग है. इसका मतलब है कि वो देश डिफॉल्टर हो चुका है. उसे दिए गए पैसे में ब्याज तो छोड़िए, मूलधन मिलने की भी गुंजाइश नहीं होती है. इस लिस्ट में एक देश है, जिसका नाम है पोर्तो रिको.
इसके अलावा मूडीज़ एक और रेटिंग जारी करती है और ये रेटिंग है आउटलुक रेटिंग. ये रेटिंग मूडीज का नजरिया बताती है कि मूडीज का उस देश की अर्थव्यवस्था के बारे में क्या सोचना है. ये रेटिंग भी चार तरह की होती है.

मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग नहीं, आउटलुक रेटिंग घटाई है.
1. पॉजीटिव (POS) : इसका मतलब ये है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था अच्छा परफॉर्म कर रही है.
2. निगेटिव (NEG) : इसका आशय ये है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था सबसे खराब हालत में है. वो देश अपने लोन को चुकाने में नाकाम हो सकता है.
3. स्टेबल (STA) : इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत स्थिर है. वो न बहुत तेज गति से बढ़ रही है और न ही वो घट रही है. आसान भाषा में कहें तो वो देश लोन चुकाने में सक्षम है.
4. डेवलपिंग (DEV) : इसका मतलब ये है कि देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बढ़ रही है. ये किसी देश के लिए अच्छी स्थिति है. डेवलपिंग टैग वाले देशों पर निवेशकों की नज़र रहती है.
इसकी चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग नहीं, बल्कि आउटलुक रेटिंग ही घटाई है. मूडीज ने भारत की आउटलुक रेटिंग को स्टेबल से घटाकर निगेटिव कर दिया है, जो सबसे खराब स्थिति है. और अगर यही स्थिति बनी रही, तो मूडीज भारत की क्रेडिट रेटिंग को भी Baa2 से घटाकर Baa3 कर सकता है.