भारत में दो चीजें जोश भरती हैं. बूढ़ों में चैनल पर आने वाले बाबा लोग. जवानों में फिल्में. फिल्मों में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पूरी पीढ़ी को खाद पानी दिया है. आज के टाइम पर उनमें से नंबर एक पर हैं अक्षय कुमार. असली नाम तो गूगल भी बता देगा. हम वो बताते हैं जो कोई बाबा, कोई पीर फकीर या औलिया नहीं बताता. स्मार्टफोन के जमाने में पैदा हुई पीढ़ी अक्षय को एयरलिफ्ट से जानती है. बेबी से या रुस्तम से. हद खींच लो, हिमेश रेशमियां को उनके पीछे गाते सुन दीवाने हुए होंगे. आंल डे आंल नाइट मुझे यांद संताये तेरी. हमकों दिवाना...दिवाना कर गए. लेकिन जो हमए तुमए जैसे बुजुर्गवार हैं. उमर से नहीं यार अकल से. आप तो इमोशनल हो जाते हैं बुजुर्ग सुनते ही. बुजुर्ग माने फोन तब आया नहीं था मोबाइल वाला. चिट्ठी पत्री के जमाने वाले. तब देशभक्ति छौंकने के नाम पर मनोज उर्फ भारत कुमार ठंडे पड़ चुके थे. उनकी चांदी का वर्क उघड़ चुका था, अंदर से सीले हुए पेड़े दिखने लगे थे. उस जमाने में फिल्म आई थी सैनिक. जिसमें फौजी बने थे अक्षय कुमार. कॉमेडी, देशभक्ति या विलेन के तड़के से दूर एक फिल्म और आई थी. धड़कन. साल 2000. गाने इसके भयानक हिट हुए थे भाईसाब. इससे बेस्ट विलेन का फिल्म फेयर ले गए थे सुनील शेट्टी. लेकिन गुरू हीरो तो अक्षय कुमार थे. पिच्चर शुरू हुई तो कुछ पता नहीं था. अंजली (शिल्पा शेट्टी) और देव (सुनील शेट्टी) एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. हमको लगा था कि पहले इनकी राह में कुछ कीड़े मकोड़े आएंगे. फिर इनकी शादी हो जाएगी. और हो जाएगी हैप्पी एंडिंग.

लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं. पापा ने देव को हड़का के भगा दिया. कि भिखारी मेरी बेटी को खुश कैसे रख पाएगा? और गले बांध दिया राम (अक्षय कुमार) को. जिसको उसने पहले देखा तक नहीं था. फिर देव अमेरिका निकल गया था. अपनी मां को छोड़कर. पैसा कमाने. सपना लिये कि लौटकर आएगा तो अंजली से ब्याह करेगा. वहां से लौटा तो चेहरा एकदम चिक्कन. मानो बॉलीवुड वालों के पास आखिरी तमीज यही बचती है गरीब अमीर बांटने की. कि गरीब है तो दाढ़ी बनवाने तक का पैसा नहीं. और वहां जाकर बन गया पांच सौ करोड़ का मालिक. तो रोज शेव करने लगा.

खैर देव लौटा तो उसे सच्चाई का पता चला. फिर वो बन गया दानव. शादीशुदा जोड़ी को खूब तंग किहिस. इधर अंजली को राम फूटी आंख नहीं सुहाता था. लेकिन राम का करेक्टर राम का था. जो हमारी कहानी रामायण के राम से आगे बढ़ गया. कैसे, वो बताते हैं. ससुराल में जब अंजली के चाल चलन पर शक किया गया तो राम ने कहा "मैं आप लोगों की हर बात मानने को तैयार हूं लेकिन ये मानने को नहीं तैयार कि इस लड़की के चरित्र में दाग है." अब अपने पौराणिक राम को याद करो. उनको उनके अपनों ने सिंघट्टे पर रखा. पहले स्टेप मदर ने कहा जंगल जाओ. चले गए. फिर रावण की कैद से सीता को छुड़ाया. प्रेम के दो बोल न फूटे थे. इधर कनफुस्की शुरू हो गई. तो सीता को आग से गुजरना पड़ा.

लास्ट में भी फिर धड़कन के राम रामायण के राम से बाज़ी मार ले जाते हैं. किसी लंपट के कहने पर वो अपने राम सीता को घर से निकाल जंगल पहुंचा देते हैं. और धड़कन के राम खुद घर बार छोड़कर सीता का हर हाल में साथ देने निकल जाते हैं.
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