भारतीय सेना (Indian Army) ने सोमवार, 6 जून को परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-4 मिसाइल (Agni-4 Missile) का सफल परीक्षण किया. ये परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में स्थित एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड पर शाम साढ़े 7 बजे किया गया.
4 हजार किमी रेंज, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम, अग्नि-4 मिसाइल पाकिस्तान की घबराहट बढ़ा देगी
पूरे पाकिस्तान और आधे चीन को अपनी जद में लेने वाली अग्नि-4 मिसाइल का सफल परीक्षण

अग्नि-4 मिसाइल 4000 किमी तक मार कर सकती है. यानी इसकी जद में पूरा पाकिस्तान और आधा चीन आता है. भारतीय सेना (Indian Army) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर इस ताकतवर इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) का सफल परीक्षण किया है. मिसाइल सभी मानकों पर खरी उतरी और लॉन्च होने के बाद इसने अपने टारगेट पर सटीक हमला किया. इस दौरान मिसाइल की तकनीक, अटैकिंग एफिशिएंसी और नेविगेशन जैसे सभी पैरामीटर्स की जांच की गई. स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि यह एक रूटीन ट्रेनिंग लॉन्च था. जिसमें सारे ऑपरेशनल पैरामीटर्स की फिर से जांच की गई है. भारत इस टेस्टिंग से बताना चाहता है कि वह अपनी न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता को बनाए रखेगा.

मिसाइल्स को मोटा-माटी दो कैटेगरीज़ में बांटा गया है. बैलिस्टिक (Ballistic Missile) और क्रूज़ (Cruise Missile). दोनों के हमला करने के तरीके में फर्क होता है. बैलिस्टिक मिसाइल आकार में काफ़ी बड़ी होती है, अपने साथ ज्यादा विस्फोटक ले जा सकती है और क्रूज़ मिसाइल के तुलना में कहीं अधिक दूरी तक मार सकती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर परमाणु हमले के लिए होता है. जबकि क्रूज़ मिसाइल कम दूरी की होती है और इनमें ले जाए जा रहे पे-लोड का वजन भी कम होता है. गति की बात करें तो क्रूज़ मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल से कहीं ज्यादा तेजी से ट्रैवेल करती हैं. स्पीड के हिसाब से इन्हें तीन कैटेगरीज़ में रखा गया है- हाइपरसॉनिक, सुपरसॉनिक और सबसॉनिक. हाइपरसॉनिक मिसाइल्स आवाज़ की गति से करीब 5 गुना तेजी से अपने टारगेट तक ट्रैवेल कर सकती हैं.

अग्नि-4 अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों में चौथी मिसाइल है. इसे पहले अग्नि-2 प्राइम मिसाइल भी कहा जाता था. अग्नि-4 मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल की कैटेगरी में आती है. इसका कुल वजन 17,000 किलो तक है. जबकि कुल लंबाई 20 मीटर है. इसमें बतौर एक्स्पोलिव स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर वेपन भी ले जाया जा सकता है. ये मिसाइल 900 किमी तक की ऊंचाई पर ट्रैवेल कर सकती है. इसमें लगाए गए इक्विपमेंट्स की बात करें तो सबसे ख़ास है इसका स्वदेशी रिंग लेजर गाइरोस्कोप सिस्टम और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम. इनसे मिसाइल की मोशन और रोटेशन सेंसिंग बढ़ जाती है. जो इसकी मारक क्षमता को सटीक बनाता है. इसमें टू-स्टेज रॉकेट इंजन लगा है. जिसमें पहली बार कम्पोजिट रॉकेट मोटर का इस्तेमाल किया गया है. इसका डिजिटल कंट्रोलर सिस्टम और ऑनबोर्ड कंप्यूटर सिस्टम भी शानदार है. अग्नि-4 मिसाइल को रोड-मोबाइल लॉन्चर से भी दागा जा सकता है. अग्नि-4 में एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को भेद पाने के प्रयास किए गए हैं. इसका रडार क्रॉस-सेक्शन और दूसरी पकड़ में आ सकने वाली चीजें कम की गई हैं.

पिछले कुछ वक़्त से भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है. पिछले दो सालों से भारत इस इलाके में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में है. इसीलिए इस दौरान कई मिसाइलों के परीक्षण भी हुए हैं. पिछले महीने ही सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक्सटेंडेड रेंज वर्जन का सफल परीक्षण किया गया था. इसके पहले 27 अप्रैल को अंडमान एवं निकोबार कमांड और भारतीय नौसेना ने मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया था. और 31 मई को डिफेंस मिनिस्ट्री ने हवा से हवा में मार करने वाली MK-I मिसाइलों और उनसे जुड़े उपकरणों की खरीद के लिए 2,971 करोड़ रूपए का कॉन्ट्रैक्ट किया था.
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