तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर की रात को हजारों लोग जमा हुए. ये भीड़ जितनी राजनीतिक थी, उतनी ही ‘सिनेमाई’. राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अलावा यहां सिनेमा प्रेमी भी बड़ी संख्या में पहुंचे. एक्टर से नेता बने विजय को देखने के लिए आई ये भीड़ भगदड़ (Vijay Rally Stampede) की चपेट में आ गई. हजारों लोग विजय की एक झलक पाने, सेल्फी लेने और उन तक पहुंचने की कोशिश में लगे थे. तभी एक पेड़ पर चढ़े कुछ समर्थक विजय की गाड़ी के पीछे खड़े लोगों के ऊपर गिर पड़े. इसके बाद दहशत फैल गई. भगदड़ ने इस रैली को एक तबाही में बदल दिया.
एक पेड़ गिरा और आ गई तबाही... विजय की रैली में ऐसे मची भगदड़
पिछले कई हफ्तों से आरोप लग रहे थे कि Vijay की रैलियों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं. विजय इस बात को अपनी सभाओं में भुना भी रहे थे. उनकी पार्टी TVK ने इन पाबंदियों को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. इस सबके बाद विजय की Karur में रैली हुई थी. आखिर एक्टर विजय की रैली में कैसे मची भगदड़? इससे पहले क्या-क्या हुआ था? सब पता चला.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, करूर पहुंचने से पहले विजय नमक्कल में थे. वहां भी विजय के पहुंचने से पहले ही पांच लोग धूप में बेहोश हो गए थे. वो सभा शाम के 4 बजे समाप्त हुई.

तीन घंटे की यात्रा के बाद विजय शाम 7 बजे, नमक्कल से 50 किलोमीटर दूर, करूर पहुंचे. रैली वाली जगह पर उम्मीद से कहीं ज्यादा भीड़ थी.
इस आयोजन में 10,000 लोगों के लिए अनुमति दी गई थी. 500 पुलिसकर्मी तैनात थे. आयोजकों ने पुलिस को बताया कि उन्हें इससे ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन शाम होते-होते हजारों लोग मैदान में जमा हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां 30,000 से ज्यादा लोग थे. 39 लोगों की जान चली गई. मृतकों में 16 महिलाएं और छह बच्चे भी शामिल हैं. 100 से ज्यादा लोग करूर और त्रिची के अस्पतालों में भर्ती हैं. इनमें से कई लोगों की हालत गंभीर है.
‘नई-नवेली’ TVK और भारी भीड़पिछले साल ही विजय ने अपनी पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) की स्थापना की है. बहुत ही कम समय में ये पार्टी भारी भीड़ वाली रैलियों की साक्षी बनी है. इस दौरान कई दफा विजय को सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और पुलिस से टकराव का सामना करना पड़ा. उन्हें कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा.
विजय की रैली में पाबंदियांपिछले कई हफ्तों से आरोप लग रहे थे कि विजय की रैलियों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं. विजय इस बात को अपनी सभाओं में भुना भी रहे थे. कुछ दिन पहले, त्रिची में एक सभा के दौरान उनसे कहा गया था कि वो भीड़ को देखकर बहुत ज्यादा हाथ न हिलाएं और मुस्कुराएं भी न. इसके लिए विजय ने पुलिस अधिकारियों का मजाक बनाया. सीधे कैमरे में देखते हुए उन्होंने कहा,
हे भगवान, ये तो कॉमेडी है. सीएम साहब, क्या आप मुझे धमका रहे हैं? आप गलत हैं.
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अदालत पहुंची है TVKTVK ने इन पाबंदियों को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. पार्टी ने DMK सरकार पर आरोप लगाया है कि वो उनकी रैलियों पर कठोर और भेदभाव से भरी शर्तें लगाती है. 18 सितंबर को हुई सुनवाई में, मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वो इन रैलियों के लिए सभी राजनीतिक दलों से सिक्योरिटी डिपोजिट वसूलने पर विचार करे, ताकि सार्वजनिक या निजी संपत्ति को हुए किसी भी नुकसान की भरपाई की जा सके.
ये मामला TVK की ही एक याचिका से शुरू हुआ था, जिसमें पुलिस पर उसकी त्रिची रैली पर 23 अलग-अलग शर्तें लगाने का आरोप लगाया गया था. इस रैली में गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था.
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानून के तहत, राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं द्वारा पहुंचाए गए नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन इसका गंभीरता से पालन नहीं होता है. जस्टिस एन सतीश कुमार ने सिक्योरिटी डिपोजिट और जवाबदेही की एक रूपरेखा तैयार करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि इन रैलियों के लिए कड़ी शर्तें लागू की जानी चाहिए.
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