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यूपी के सरकारी अस्पतालों की दवाइयां पेट में जाकर नहीं घुल रहीं, 51 ड्रग्स टेस्ट में फेल: रिपोर्ट

UP के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. जांच के मुताबिक, पिछले एक साल में राज्य के सरकारी अस्पतालों को सप्लाई की गई 51 दवाइयां और इंजेक्शन क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए हैं.

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यूपी के सरकारी अस्पताल की दवाइयां क्वालिटी टेस्ट में फेल. (सांकेतिक तस्वीर: India Today)
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समर्थ श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पताल में शहनाज पिछले चार महीनों से अपने भाई का इलाज करा रही हैं. लेकिन लगातार अस्पताल की फार्मेसी से दवा लेने के बावजूद उनके भाई की हालत में सुधार नहीं हुआ. आखिरकार डॉक्टर ने उन्हें बाहर से दवा खरीदने की सलाह दी. यह समस्या अकेली शहनाज की नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों की है.

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इंडिया टुडे से जुड़े समर्थ श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक, फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. FSDA की जांच के मुताबिक, पिछले एक साल में राज्य के सरकारी अस्पतालों को सप्लाई की गई 51 दवाइयां और इंजेक्शन क्वालिटी टेस्ट में फेल पाए गए हैं.

कैसे फेल होती हैं दवाइयां?

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दवाइयां टेस्ट में कैसे फेल होती है? यह जानने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी से बात की गई. उन्होंने बताया कि एक मानक टैबलेट को शरीर के अंदर 15 मिनट में टूट जाना चाहिए. उनके अनुसार, अगर एक ही बैच की 12 गोलियां इस टेस्ट में फेल हो जाएं तो दवा घटिया घोषित कर दी जाती है. उन्होंने कहा,

"मैन्युफैक्चरिंग करना बड़ी बात नहीं है. दवा को शरीर के अंदर असर करना चाहिए. यहां तक कि 5 mg की भी कमी इसे बेअसर बना देती है."

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दवाइयां डिसॉल्यूशन टेस्ट में फेल हुईं यानी वे 30 मिनट में पेट में घुल ही नहीं पाईं. कई दवाइयों में दवा की वास्तविक मात्रा लिखी गई मात्रा से कम मिली. प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि अगर 500 mg की दवा में सिर्फ 400 mg पाई जाए तो वो दवा बेकार है. वहीं, कुछ दवाइयां सही pH स्तर पर घुल नहीं पाईं. इंजेक्शन भी स्टरलिटी और पार्टिकुलेट मैटर टेस्ट में फेल पाए गए.

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सरकार की कार्रवाई शुरू

FSDA ने जून में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर दोषी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे. इस पर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने पुष्टि करते हुए कहा कि यूपी मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPMSCL) ने सभी मामलों में सख्त कदम उठाए हैं.

उन्होंने बताया कि खराब दवाओं की सप्लाई करने वाले सप्लायर्स पर पेनल्टी लगाई गई है. इसके अलावा अस्पतालों से घटिया दवा का स्टॉक वापस मंगवाया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि फार्मास्युटिकल कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं.

इस खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि जब सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाएं भी सुरक्षित नहीं हैं तो मरीजों का भरोसा कैसे कायम रहेगा. गरीब और मध्यम वर्गीय लोग, जो निजी अस्पतालों और बाहर की दवाइयों का खर्च नहीं उठा सकते, उनकी सेहत के लिए घटिया दवाइयां गंभीर चिंता का विषय है.

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