The Lallantop

सीपी राधाकृष्णन और बी सुदर्शन रेड्डी में से कौन बनेगा उपराष्ट्रपति? नंबर का खेल किसके पक्ष में?

Vice President Election: नंबर गेम की बात करें तो इस चुनाव में कुल 782 सांसद वोट डालने के योग्य हैं. उपराष्ट्रपति पद पर जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत है. लोकसभा में NDA के पास 293 सांसद हैं, जबकि विपक्ष के पास 234 और अन्य के 15 सांसद हैं.

Advertisement
post-main-image
NDA ने सीपी राधाकृष्णन (बाएं) और INDIA ने जस्टिस (रिटायर्ड) बी सुदर्शन रेड्डी (दाएं) को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया. (India Today)
author-image
मौसमी सिंह

केंद्र सरकार और विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो चुकी है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है. वहीं विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और गोवा के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस (रिटायर्ड) बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है.

Advertisement

NDA और INDIA खेमे के बीच लड़ाई तो दिलचस्प मानी जा रही है, लेकिन संख्याबल के आधार पर NDA का पलड़ा साफ तौर पर भारी दिखाई दे रहा है. मंगलवार, 19 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बी सुदर्शन रेड्डी को विपक्ष का उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार घोषित करते हुए कहा,

"बी सुदर्शन रेड्डी का एक लंबा और प्रतिष्ठित कानूनी करियर रहा है. वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के एक निरंतर और साहसी चैंपियन रहे हैं. वह एक गरीब आदमी हैं और अगर आप उनके कई फैसले पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि कैसे उन्होंने गरीब लोगों का पक्ष लिया और संविधान और मौलिक अधिकारों की भी रक्षा की."

Advertisement

खरगे के इस बयान से विपक्ष यह संदेश देना चाहता है कि उसका उम्मीदवार भले ही संख्याओं में कमजोर दिखे, लेकिन नैतिकता और इंसाफ की छवि के मामले में आगे है.

नंबर गेम की बात करें तो इस चुनाव में कुल 782 सांसद वोट डालने के योग्य हैं. आजतक की मौसमी सिंह ने बताया कि उपराष्ट्रपति पद पर जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत है. लोकसभा में NDA के पास 293 सांसद हैं, जबकि विपक्ष के पास 234 और अन्य के 15 सांसद हैं. वहीं राज्यसभा में NDA के पास 134 सांसद, विपक्ष के 78 और अन्य के 28 सांसद हैं.

इस तरह NDA की कुल ताकत 427 वोटों की है, जो बहुमत के आंकड़े से 35 वोट ज्यादा है. दूसरी तरफ, विपक्ष के पास 312 वोट हैं, जो बहुमत से 80 वोट कम हैं. अन्य दलों और निर्दलियों के 43 वोट इस चुनाव में कोई बड़ा फर्क नहीं डाल सकते.

Advertisement
सदनकुल सदस्यNDAविपक्षअन्य
लोकसभा54329323415
राज्यसभा2401347828
कुल78242731243

अगर पिछले चुनाव पर नजर डालें तो अगस्त 2022 में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में भी NDA का दबदबा साफ दिखा था. उस समय NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि विपक्ष की मार्गरेट अल्वा ने केवल 182 वोट हासिल किए थे. 55 सांसदों ने मतदान से दूरी बनाई थी. यानी पिछला चुनावी रिकॉर्ड इस बार भी NDA की जीत की संभावना को और मजबूत करता है.

NDA और INDIA के उम्मीदवार

दोनों उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि भी उपराष्ट्रपति चुनाव को खास बनाती है. सीपी राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव में माहिर माना जाता है. राधाकृष्णन 2023 में झारखंड के राज्यपाल बने. उनके अनुभव में तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी शामिल है. फिलहाल, वे महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं.

दूसरी ओर जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और गोवा के लोकायुक्त रह चुके हैं. उनकी छवि ईमानदार और सख्त जज की रही है. जस्टिस रेड्डी 1995 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज और 2005 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 2007 में उन्हें सुप्रीम कार्ट का जज बनाया गया और 2011 में वे रिटायर हो गए. विपक्ष उन्हें एक 'नैतिक शक्ति' के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहा है.

‘नैतिकता बनाम संख्याबल’ का चुनाव

कुल मिलाकर, भले ही विपक्ष इस चुनाव को ‘नैतिकता बनाम संख्याबल’ की लड़ाई बताने की कोशिश कर रहा है, लेकिन संसद का गणित यह कहता है कि NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय है. विपक्ष के लिए यह चुनाव ज्यादा से ज्यादा नैतिक संदेश देने का मौका हो सकता है, लेकिन उपराष्ट्रपति पद की कुर्सी सत्ता पक्ष के खाते में ही जाती दिख रही है.

9 सितंबर को होगा चुनाव

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पहले ही उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा कर चुका है. नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव 9 सितंबर को होंगे और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है. जबकि उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपना नामांकन वापस ले सकते हैं. बताते चलें कि 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद उपराष्ट्रपति पद खाली हो गया था.  

वीडियो: मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए विपक्ष लगा रहा जोर, लेकिन क्या ये संभव है?

Advertisement