उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष महेंद्र राजभर को थप्पड़ जड़ दिया गया. मारपीट का आरोप यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर के समर्थक पर लगा है. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें देखा जा सकता है कि युवक महेंद्र राजभर के साथ खड़े होकर लोगों को संबोधित करता है. इसके बाद बकायादा माला पहनाकर उन पर थप्पड़ बरसा देता है.
सुभासपा समर्थक ने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष को माला पहनाई, फिर जनता को 'समझाकर' जड़ दिए थप्पड़
थप्पड़ मारने वाले युवक का नाम बृजेश राजभर है. वह यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का समर्थक बताया जा रहा है.

इंडिया टुडे से जुड़े आदित्य प्रकाश भारद्वाज की रिपोर्ट के मुताबिक युवक का नाम बृजेश राजभर है. वह यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का समर्थक बताया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार, 10 जून को महेंद्र राजभर जौनपुर के आशापुर में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. कई लोग उस कार्यक्रम में मौजूद थे. इस दौरान युवक हाथ में माला लिए बोलता नजर आ रहा है. वह कह रहा है,
"जब हमारे लोग सत्ता में गए. हमने उन्हें लोकसभा और विधानसभा भेजा. तब उन्होंने हमारी पैरवी नहीं की. वे अपनी पैरवी करके सिर्फ अपने परिवार के लिए काम कर रहे हैं. उनके अंदर जैसे किसी जिन्न का साया आ गया है. चक्रवर्ती सम्राट सुहेलदेव का नाम केवल बेचने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. कुछ लोग हैं जो समाज को लूट और ठग रहे हैं. ऐसे अवसरवादी लुटेरों का हम बहिष्कार करेंगे."
इसके बाद आरोपी महेंद्र राजभर को माला पहनाता है. आस-पास के लोग ताली बजाने लगते हैं. तभी वह सुभासपा प्रमुख को दो जोरदार थप्पड़ जड़ देता है. लोग एक-दूसरे को पकड़कर बीच-बचाव की कोशिश करते हैं. इसके बाद बृजेश कहता है, “पार्टी हमने बनाया है. मलाई तुम काट रहे हो."
इस बात का वहां मौजूद लोग समर्थन भी करते दिखे.
घटना के बाद महेंद्र राजभर ने बृजेश के खिलाफ जलालपुर थाने में मामले की शिकायत की है. उन्होंने आरोप लगाया कि उन पर हमला मंत्री ओम प्रकाश राजभर के इशारे पर किया गया है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.
महेंद्र राजभर सुभासपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. वह राष्ट्रीय सुभासपा उपाध्यक्ष रह चुके हैं. साल 2021 में वह सुभासपा से अलग हो गए थे. उन्होंने ओम प्रकाश राजभर पर 'परिवारवाद' के साथ ‘राजभरों की कमाई और मेहनत को बेचने’ का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्होंने सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी बना ली थी. वह समाजवादी पार्टी के साथ शामिल हो गए थे.
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