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यूपी में सरकारी विभागों में संविदा की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव, सैलरी भी पता चल गई

UP Outsource Vacancy: अब सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को EPF, ESIC, मेडिकल छुट्टी और मैटरनिटी लीव जैसे फायदे मिलेंगे. संविदा कर्मियों को समय पर सैलरी मिलेगी और सभी भर्तियां लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए होंगी.

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यूपी सरकार संविदा कर्मचारियों को EPF और ESIC का फायदा देगी. (PTI)
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आशीष श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग के जरिए होने वाली संविदा भर्तियों में बड़ा बदलाव किया है. अब सभी सरकारी विभागों में ऐसी भर्ती केवल अधिकृत एजेंसियों के जरिए ही होगी. सीधी भर्ती या किसी भी तरह की मनमानी प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्य सरकार ने 'उत्तर प्रदेश आउटसोर्सिंग सर्विस कॉर्पोरेशन' (UPSOC) का गठन किया है, जो एक गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी है. यह कंपनी पूरे आउटसोर्स भर्ती सिस्टम को पारदर्शी, जवाबदेह और सुरक्षित बनाएगी.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रमुख सचिव (सचिवालय प्रशासन) अमित घोष की ओर से एक आदेश जारी किया गया है. इसमें में कहा गया है कि इस नई व्यवस्था का मकसद यह तय करना है कि आउटसोर्स कर्मचारी शोषण का शिकार ना हों और उनका भविष्य सुरक्षित हो.

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अब सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को EPF (कर्मचारी भविष्य निधि), ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा), मेडिकल छुट्टी और मातृत्व छुट्टी जैसे फायदे मिलेंगे. संविदा कर्मियों को समय पर सैलरी मिलेगी और सभी भर्तियां लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए होंगी.

चार लेवल पर आउटसोर्स भर्ती

  • लेवल-1 (40,000 रुपये/महीना): डॉक्टर, इंजीनियर, लेक्चरर, प्रोजेक्ट ऑफिसर, अकाउंट ऑफिसर, असिस्टेंट आर्किटेक्चर, रिसर्च ऑफिसर आदि (MBBS, BTech या पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री आदि जैसी शैक्षिक योग्यताएं जरूरी).
  • लेवल-2 (25,000 रुपये/महीना): जूनियर इंजीनियर, स्टाफ नर्स, सीनियर असिस्टेंट, लीगल असिस्टेंट आदि (पोस्ट ग्रेजुएशन, ग्रेजुएशन से लेकर डिप्लोमा तक).
  • लेवल-3 (22,000 रुपये/महीना): जूनियर असिस्टेंट, टाइपिस्ट, ड्राइवर, पेरामेडिकल स्टाफ आदि (ग्रेजुएशन, इंटरमीडिएट और कंप्यूटर स्किल्स).
  • लेवल-4 (20,000 रुपये/महीना): चपरासी, रसोइया, सफाई कर्मचारी, ऑफिस असिस्टेंट आदि (8वीं या 10वीं पास).

UPSOC का चेयरपर्सन मुख्य सचिव होगा और इसे चलाने की जिम्मेदारी सचिव के तौर पर महानिदेशक के पास होगी. राज्य से लेकर जिला स्तर तक 7 निगरानी समितियां बनाई जाएंगी, जो व्यवस्था की निगरानी करेंगी.

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सरकारी नियमों के तहत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), आर्थिक कमजोर वर्ग (EWS), महिलाओं, विकलांगों और पूर्व कर्मचारियों को सरकारी नियमों के मुताबिक आरक्षण का फायदा मिलेगा.

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