दिल्ली उच्च न्यायालय ने जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव के माध्यम से फैसला सुनाया कि भारत में व्यभिचार अपराध नहीं है, लेकिन इसके सामाजिक परिणाम हैं. यदि कोई तीसरा पक्ष विवाह में हस्तक्षेप करता है, तो उसे भावनात्मक क्षति पहुंचाने और वैवाहिक बंधन को तोड़ने के लिए मुआवज़ा देना पड़ सकता है. हालांकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अपराध नहीं माना जाता है, लेकिन प्रभावित पति-पत्नी ऐसे हस्तक्षेप के लिए वित्तीय क्षतिपूर्ति की मांग कर सकते हैं. क्या कहा है कोर्ट ने, जानने के लिए पूरा वीडियो देखें.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, "भारत में व्यभिचार अपराध नहीं है, लेकिन इसके सामाजिक परिणाम हैं", देना पड़ सकता है Compensation
व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अपराध नहीं माना जाता है, लेकिन प्रभावित पति-पत्नी ऐसे हस्तक्षेप के लिए वित्तीय क्षतिपूर्ति की मांग कर सकते हैं.
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