अमेरिका से भारत डिपोर्ट किए सिखों ने ट्रंप प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनके मुताबिक अमेरिकी सुरक्षाबलों ने उन्हें पगड़ी उतारने के लिए मजबूर किया. यही नहीं, अमेरिकी सैनिकों ने उनकी पगड़ी को कूड़ेदान में डाल दिया. 36 घंटे की फ्लाइट के दौरान भी उन्हें पगड़ी पहनने की इजाजत नहीं थी. इस दौरान सभी लोगों के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में जंजीरें थीं.
"हमारी पगड़ी उतार कर कूड़ेदान में फेंक दी", अमेरिका से लौटे सिखों का असली दर्द अब सामने आया
जतिंदर ने अमेरिकी अधिकारियों पर उन्हें पगड़ी उतारने के लिए मजबूर करने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया, “जब मैंने इसका विरोध किया तो उन्होंने कहा कि यह उनका नियम है और मेरी पगड़ी को कूड़ेदान में फेंक दिया गया. मुझे दिन में सिर्फ दो बार खाना दिया जाता जिसमें केवल चिप्स और जूस होता था.”


इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक, बीते दो दिनों में अमेरिका से दो फ्लाइट भारत आईं. शनिवार, 15 फरवरी के दिन 116 लोगों को भारत डिपोर्ट किया गया. वहीं रविवार, 16 फरवरी को 112 भारतीय पहुंचे. अब इनमें से कुछ ने अपने अनुभवों बताए हैं.
इंडिया टुडे ने 23 साल के जतिंदर से बात की. वो रविवार के दिन अमृतसर पहुंचे. जतिंदर ने बताया कि उन्होंने एक एजेंट को डंकी रूट से अमेरिका ले जाने के लिए 50 लाख रुपये दिए थे. लेकिन 27 नवंबर के दिन अमेरिका की सीमा में प्रवेश करते ही उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद पुलिस ने उन्हें दो सप्ताह तक हिरासत में रखा.
जतिंदर ने अमेरिकी अधिकारियों पर उन्हें पगड़ी उतारने के लिए मजबूर करने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया, “जब मैंने इसका विरोध किया तो उन्होंने कहा कि यह उनका नियम है और मेरी पगड़ी को कूड़ेदान में फेंक दिया गया. मुझे दिन में सिर्फ दो बार खाना दिया जाता जिसमें केवल चिप्स और जूस होता था.”
जतिंदर का ये भी दावा है कि वापसी के दौरान एयर कंडीशनर का तापमान बहुत कम कर दिया गया और हीटर बढ़ा दिया गया. इससे उनकी त्वचा सूख गई.
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हथकड़ी और बेड़ियों वाली बात जतिंदर ने भी बताई. उन्होंने कहा, “मेरे हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं. हमें खाने और टॉयलेट जाने तक में दिक्कतें झेलनी पड़ीं. हमारी बेड़ियां फ्लाइट के भारत में उतरने से पहले ही खोली गई थीं.”
जतिंदर की तरह 21 साल के जसविंदर सिंह को भी अमेरिका ने डिपोर्ट करके भारत भेजा है. उनके अनुभव भी जतिंदर जैसे ही हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जसविंदर ने बताया कि 27 जनवरी को अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर पार करते समय उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद वो शनिवार की रात अमृतसर पहुंचे थे. उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्हें और अन्य सिख युवकों को डिटेंशन सेंटर में पगड़ी सहित सभी कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया था. उन्हें केवल एक टी-शर्ट, निचले कपड़े, मोजे और जूते पहनने की अनुमति दी गई. यहां तक कि उनके जूतों के फीते भी छीन लिए गए.
जसविंदर ने बताया,
“जब मैंने और अन्य सिख युवकों ने हमारी पगड़ी लौटाने की गुजारिश की तो अधिकारियों ने इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “अगर तुम में से किसी ने खुद को फांसी लगा ली तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?””
जसविंदर ने आगे बताया, “विमान में हमारे हाथ और पैर जंजीरों से बांध दिए गए थे. हम 13 फरवरी के दिन विमान में चढ़े लेकिन तीन दिनों तक हमें यह भी नहीं बताया गया कि हमें कहां ले जाया जा रहा है. अगर कोई एक मिनट के लिए भी खड़ा होता तो विमान में मौजूद अमेरिकी अधिकारी हमें डांटते और बैठने का आदेश देते. हम ठंड में कांपते रहे, क्योंकि हमें केवल प्लास्टिक की चादरें दी गई थीं, जो तेज ठंड में काफी नहीं थीं. अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद ही हमें अपनी पगड़ी पहनने का मौका मिला.”
रिपोर्ट्स के मुताबिक शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के पदाधिकारी अमृतसर हवाई अड्डे पर इन लोगों के लिए लंगर और बस सेवा की व्यवस्था कर रहे थे. उन्होंने निर्वासित सिखों को 'दस्तार' (पगड़ी) उपलब्ध कराईं.
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