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केस के चलते पुलिसवाले का प्रमोशन फंस गया, कोर्ट में फर्जी क्लीनचिट रिपोर्ट सबमिट कर दी, फिर...

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक 20 साल पुराने मामले में फंसे एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने विभागीय जांच के दौरान कथित तौर पर नकली कोर्ट आदेश जमा कर दिया, जिसमें उसके बरी होने की बात लिखी थी.

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पुलिस कॉन्स्टेबल पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

‘आत्मनिर्भर’ होना ठीक है, लेकिन यूपी के इन सिपाही साहब की तरह नहीं कि जिस केस में खुद आरोपी हों, उसमें खुद ही कोर्ट बनकर खुद को ही बरी कर दें. हुआ ये कि 2005 के एक केस में ये साहब नामजद आरोपी थे. बहुत दिनों से जांच चल रही थी. इसके चक्कर में प्रमोशन फंसा था. क्या किया जाए कि प्रमोशन हाथ से न जाने पाए? सिपाही जी के दिमाग में आइडिया आया. जांच में उन्होंने ‘कोर्ट का एक आदेश’ सबमिट किया, जिसमें लिखा था कि 2005 वाले मामले में वह बरी कर दिए गए हैं. 

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लेकिन जांच अधिकारी ने पुलिस थाने से इस ‘कोर्ट आदेश’ की डिटेल मंगा ली और सिपाही की पूरी ‘पोल-पट्टी’ खुल गई. पता चला कि मामला तो अभी कोर्ट में चल ही रहा है. कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. अब सिपाही के खिलाफ एक नया मुकदमा दर्ज किया गया है.

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, बांदा पुलिस ने बताया कि आरोपी सिपाही का नाम भाईलाल है. वह 2005 में मारपीट और धमकी देने के एक केस में नामजद आरोपी हैं. इस केस की विभागीय जांच चल रही थी. इसी बीच भाईलाल ने केस से अपना नाम क्लियर कराने के लिए एक तरकीब भिड़ाई. कथित तौर पर मामले में एक फर्जी कोर्ट आदेश जमा करा दिया, जिसमें उसके बरी होने की बात लिखी थी. इसी बीच, जांच अधिकारी ने केस की ताजा जानकारी के लिए उसके नरैनी थाने से डिटेल मंगा ली. 

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थाने में रिकॉर्ड खंगाले गए और रिपोर्ट जांच अधिकारी को भेजी गई. बांदा के सर्किल ऑफिसर कृष्णकांत त्रिपाठी के मुताबिक, जांच अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट में भाईलाल ने एक ‘कोर्ट आदेश’ दिया था, जिसमें लिखा था कि 2016 में वह 2005 वाले केस में बरी हो चुका है. इस दस्तावेज को जांच के लिए भेजा गया. जांच में पता चला कि यह कोर्ट आदेश पूरी तरह से फर्जी है और केस अभी तक कोर्ट में लंबित है.

पुलिस के मुताबिक, कॉन्स्टेबल भाईलाल ने यह नकली आदेश इसलिए जमा किया था ताकि जांच उसके हक में चली जाए. क्योंकि उसी समय उसका प्रमोशन भी पेंडिंग था.

ये फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद तय किया गया कि भाईलाल के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी. कृष्णकांत त्रिपाठी ने बताया कि जांच में भाईलाल का कोर्ट आदेश फर्जी पाया गया, जिसके बाद नरैनी थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया. उसके खिलाफ IPC की धारा 467 (जालसाजी), 468 (धोखा देने के लिए जालसाजी), 420 (धोखाधड़ी), 471 (नकली दस्तावेज को असली की तरह इस्तेमाल करना) और 419 (भेष बदलकर धोखा देना) के तहत मामला दर्ज हुआ है. अभी तक पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है.

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