The Lallantop

'सभी 140 विधायक मेरे हैं', डीके शिवकुमार के मन में क्या चल रहा है?

2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सिद्दारमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष की खबरें कई बार सामने आई हैं. ये बात अलग है कि कमरे से बाहर दोनों नेता आपसी एकता दिखाते रहे हों.

Advertisement
post-main-image
दाएं से बाएं. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार. (फोटो- India Today)

कर्नाटक में नेतृत्व बदलने की अफ़वाहों पर चुप्पी तोड़ते हुए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि गुटबाज़ी ‘उनके स्वभाव में नहीं’ है. कैबिनेट रीशफल की खबरों के बीच मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि वह पांच साल पूरा करेंगे तो डीके ने उनको शुभकामनाएं भी दे दीं. लेकिन लगे हाथ यह भी कह दिया कि सभी 140 विधायक उनके ही है. 

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

डीके शिवकुमार ने X पर एक पोस्ट में कहा,

सभी 140 विधायक मेरे ही विधायक हैं. गुटबाज़ी करना मेरे स्वभाव में नहीं है. मुख्यमंत्री ने कैबिनेट फेरबदल का फैसला किया है. हर कोई मंत्री बनना चाहता है, इसलिए उनका दिल्ली जाकर पार्टी नेतृत्व से मिलना बिल्कुल सामान्य बात है. यह उनका अधिकार है. हम उन्हें रोक नहीं सकते.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. हम सब मिलकर उनके साथ काम करेंगे. मुख्यमंत्री और मैं दोनों कई बार कह चुके हैं कि हम हाई कमान के फैसले का पालन करते हैं.

Advertisement

2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सिद्दारमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष की खबरें कई बार सामने आई हैं. ये बात अलग है कि कमरे से बाहर दोनों नेता आपसी एकता दिखाते रहे हों.

खबर है कि इस हफ्ते शिवकुमार के समर्थक कुछ विधायक दिल्ली गए थे. इससे ऐसी अटकलें फिर तेज हो गईं कि शायद नेतृत्व बदलने वाला है. कुछ लोगों ने इसे “नवंबर क्रांति” भी कहा. यह सब उस समय हुआ जब सिद्दारमैया के कार्यकाल को ढाई साल पूरे हुए थे.

दरअसल, जिस रस्साकशी का जिक्र कर्नाटक की सत्ता को लेकर खबरों आता रहता है उसकी कहानी सिद्दारमैया के शपथ ग्रहण से जुड़ी है. 2023 में कर्नाटक चुनाव जीतने के बाद सिद्दारमैया और डीके दोनों ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक दिया था. सिद्दा पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके थे. उनको राहुल गांधी का भी समर्थन था. उनका खेमा ज्यादा मज़बूत माना जा रहा था. लेकिन कांग्रेस डीके शिवकुमार को किसी भी कीमत पर इग्नोर नहीं कर सकती थी.

Advertisement

फिर कांग्रेस सूत्रों के हवाले से खबर आई कि आलाकमान ने 'रोटेश्नल सीएम' का दांव खेला. माने ढाई साल सिद्दा और ढाई साल के लिए डीके मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि, कांग्रेस ने कभी भी सूत्रों के हवाले से आई इस बात की पुष्टि नहीं की.

डीके फिर भी अड़े थे. वो जानते थे कि एक बार कुर्सी पर बैठने के बाद उतरता कौन है. उन्होंने देखा ही होगा कि राजस्थान में सचिन पायलट और छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव का हाल क्या हुआ. सूत्रों के मुताबिक वह चाहते थे कि उनकी मांगों को सार्वजनिक किया जाए. लेकिन पार्टी इस बात को लेकर तैयार नहीं हुई. और तब पिक्चर में आईं सोनिया गांधी. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा और UPA की चेयरपर्सन. बताया जाता है कि डीके को मनाने में सोनिया गांधी का अहम रोल रहा.

दरअसल, सोनिया गांधी से डीके शिवकुमार के अच्छे संबंध है. 2019 में डीके शिवकुमार को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ़्तार किया था. करीब 50 दिन डीके जेल में रहे. उस दौरान सोनिया गांधी उनसे मिलने गईं थी. ये बात नतीजों के दिन डीके ने मीडिया को खुद बताई थी. चुनाव जीतने के बाद जब डीके शिवकुमार दिल्ली पहुंचे और कथित तौर पर मुख्यमंत्री पद पर अड़ गए तो भी यही बात कही गई कि राहुल तो सिद्दा के नाम अड़े हैं, लेकिन डीके को सोनिया की बैकिंग है.

लेकिन सोनिया की एक लाइन ने डीके को ‘अभी’ कुर्सी का दावा छोड़ने पर मजबूर कर दिया. कांग्रेस से जुड़ों सूत्रों ने लल्लनटॉप को बताया कि सोनिया ने डीके से कहा- ‘loyalty will not go unrewarded.’ माने- वफादारी बेकार नहीं जाएगी. इनाम जरूर मिलेगा.

और यहीं पर डीके शिवकुमार पिघल गए. सोनिया जिस इनाम की बात कर रही थीं वो मुख्यमंत्री की कुर्सी ही थी. अब कुर्सी पर सिद्दारमैया के ढाई साल पूरे हो चुके हैं. वो कह रहे हैं पांच साल का टर्म पूरा करेंगे. और डीके शिवकुमार कह रहे हैं 140 विधायक तो उनके ही हैं.

सियासत की अपनी अलग इक ज़बां है
लिखा हो जो इक़रार, इनकार पढ़ना
बशीर बद्र

वीडियो: डीके शिवकुमार कांग्रेस को जिताने के बाद भी CM क्यों नहीं बन पाए?

Advertisement