क्या लाल किले पर ब्लास्ट से पहले डॉक्टर उमर और डॉक्टर मुजम्मिल तुर्किए गए थे? क्या उन्होंने वहां किसी आतंकी शिविर में भाग लिया था? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो दिल्ली आतंकी हमले के बाद सभी के जेहन में घूम रहे हैं. तुर्किए एक ऐसा देश है जहां पहले भी आतंकी गतिविधियां हुई हैं. ऐसे में अगर कहीं से भी इस देश का नाम आता है तो सवाल उठने शुरू हो जाते हैं. एजेंसियों ने अब तक इस मामले पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में नाम सामने आने के बाद तुर्किए का रिएक्शन सामने आया है. तुर्किए ने इस पूरी थ्योरी को झूठा और भ्रामक बताया है.
'हमारे यहां ये सब नहीं होता', आतंकी गतिविधियों को शह देने के आरोप पर आया तुर्किए का जवाब
Turkiye अपनी लोकेशन की वजह से आतंकियों के लिए मुफीद माना जाता रहा है. इस देश को 'सीरिया का बैकडोर' भी कहा जाता है. एजेंसियों को शक है कि आतंकी संगठन Jaish-e-Mohammad के नेटवर्क की वजह से ही Doctor Muzamil और Doctor Umar ने तुर्किए की यात्रा की थी.


तुर्किए के डायरेक्टरेट ऑफ कम्युनिकेशन ने इस मामले पर एक आधिकारिक बयान जारी किया है. बयान में कहा गया है कि,
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तुर्किए, भारत में आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है और आतंकवादी समूहों को सैन्य, राजनयिक और वित्तीय सहायता प्रदान करता है. ये हमारे द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से एक दुर्भावनापूर्ण और गलत अभियान का हिस्सा है.
बयान में कहा गया है कि यह तुर्किए भारत या किसी अन्य देश को निशाना बनाकर "कट्टरपंथी गतिविधियों" में किसी भी तरह से, किसी भी रूप में शामिल नहीं है. ये दावे पूरी तरह से भ्रामक है और इसमें कोई तथ्यात्मक आधार नहीं हैं.
डॉक्टर उमर और मुजम्मिल की तुर्किए यात्राडॉक्टर उमर और मुजम्मिल की तुर्किए यात्रा को लेकर कई बातें सामने आई हैं. जांच एजेंसियों को शक है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) के नेटवर्क की वजह से ही डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर उमर ने तुर्किए की यात्रा की थी. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये दोनों डॉक्टर टेलीग्राम और सिग्नल जैसे ऐप्प का इस्तेमाल करते थे. मैसेजिंग ऐप्प पर बने ग्रुप्स में इन्हें कुछ ऐसे निर्देश मिले जिसके बाद इन्होंने तुर्किए की यात्रा की. ये निर्देश क्या थे, ये अब तक सामने नहीं आया है.
तुर्किए अपनी लोकेशन की वजह से आतंकियों के लिए मुफीद माना जाता रहा है. इस्लामिक स्टेट (Islamic State) से जुड़ने वाले अधिकतर लोग पहले तुर्किए ही गए थे. इसीलिए इस देश को 'सीरिया का बैकडोर' भी कहा जाता है. एजेंसियों को शक है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) के नेटवर्क की वजह से ही डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर उमर ने तुर्किए की यात्रा की थी.
तुर्किए से लौटने के बाद दोनों डॉक्टरों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में एक्टिव होने की योजना बनाई थी. जैश-ए-मोहम्मद में उनके हैंडलर ने उन्हें निर्देश दिए थे कि वो देश में फैल जाएं. किसी एक जगह फोकस न करें. ऐसा करने से पकड़े जाने की संभावना बढ़ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक इसी निर्देश के बाद दोनों डॉक्टर्स ने फरीदाबाद और सहारनपुर को चुना. एजेंसिया इस एंगल पर भी जांच कर रही हैं कि क्या मुजम्मिल और उमर ने तुर्किए में किसी ट्रेनिंग कैंप में भाग लिया था. एजेंसियां इनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज की भी जांच कर टेलीग्राम चैट्स और कम्युनिकेशन डिटेल्स को खंगाल रही हैं.
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