भारत में बीते एक हफ्ते में एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया गया है. 10 नवंबर की शाम भारत की राजधानी दिल्ली में लाल किले पर ब्लास्ट हुआ. इसके अगले दिन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के कोर्ट कॉम्प्लेक्स में ब्लास्ट हुआ. धमाके के बाद कई देशों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी. लेकिन सबसे अधिक गौर करने वाला रिएक्शन अमेरिका का था. दोनों देशों में हुए धमाके पर अमेरिकन रिएक्शन से सवाल उठ रहे हैं. लोग कह रह हैं कि क्या प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप अब पाकिस्तान को पुचकार रहे हैं?
दिल्ली ब्लास्ट पर ठंडा रिएक्शन, इस्लामाबाद पर गर्मजोशी! अमेरिकी डिप्लोमेसी का दोहरा चेहरा
US ने Delhi में हुए Car Blast की जांच में भारत की सहायता करने की पेशकश की है, लेकिन विदेश मंत्री Marco Rubio ने कहा कि भारतीय अधिकारी असाधारण और प्रोफेशनल तरीके से जांच कर रहे हैं.


ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही प्रेसिडेंट ट्रंप कई बार जंग रुकवाने का दावा कर चुके हैं. पाकिस्तान ने तो इसपर कुछ नहीं कहा, लेकिन भारत ने कई बार, खुले मंच से इस दावे का खंडन कर दिया. और तो और पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की भी वकालत कर दी. ट्रंप साहब इससे एकदम गदगद हो गए. ट्रंप साहब का पाकिस्तान प्रेम समझने के लिए इन दो घटनाओं को समझना जरूरी है.
अब आते हैं दिल्ली और इस्लामाबाद के हमले पर. दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट में 12 लोगों की जान चली गई. 20 से अधिक लोग घायल हो गए. इसके अगले दिन इस्लामाबाद के कोर्ट परिसर में आत्मघाती हमला हुआ. इसमें भी 12 लोगों की जान गई और दर्जनों घायल हुए. सभी देशों ने अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से शब्द चुने और हमलों की निंदा की. लेकिन अमेरिका का स्टैंड देख कर ऐसा लगा जैसे उसका झुकाव पाकिस्तान की तरफ हो.
दिल्ली ब्लास्ट के लगभग 24 घंटे बाद भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान जारी किया. अमेरिकी दूतावास ने एक्स पर लिखा,
हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं कल रात नई दिल्ली में हुए भयानक विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों के साथ हैं. हम घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.
अब यहां इस रिएक्शन को देखें तो ये बहुत ही नपा-तुला रिएक्शन था. ये शब्द राजदूत सर्गियो गोर के थे, या वाशिंगटन से कोई नोट भेजा गया था, इसका पता शायद ही कभी चल सकेगा.

दूसरी तरफ पाकिस्तान के मामले में, अमेरिका की प्रतिक्रिया काफी डिटेल थी और इसमें भारत की तरह 24 घंटे नहीं लगे. लिहाजा लोगों की नजर इस प्रतिक्रिया पर गई,
आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा है. आज के ‘बेतुके’ हमले में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं. हम घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं. हम इस हमले के अलावा आतंकवाद की किसी भी रूप की निंदा करते हैं. हम पाकिस्तान सरकार द्वारा उनके देश में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

इन रिएक्शंस पर कई भारतीयों ने अमेरिका पर पाकिस्तान के प्रति पक्षपात करने आरोप लगाया. लेकिन कुछ समय बाद जैसे-जैसे इस मामले में और डिटेल्स सामने आईं, वैसे ही भारत में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो का बयान भी सामने आया है. अमेरिका ने दिल्ली में हुए घातक ब्लास्ट की जांच में भारत की सहायता करने की पेशकश की है, लेकिन विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि भारतीय अधिकारी असाधारण और प्रोफेशनल तरीके से जांच कर रहे हैं. रुबियो ने कहा कि वाशिंगटन ने नई दिल्ली को समर्थन दिया है. साथ ही उन्होंने स्थिति को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए भारतीय जांचकर्ताओं की प्रशंसा भी की है.
वीडियो: लाल किला ब्लास्ट में एक और कार की तलाश, जानें छानबीन में क्या पता चला?



















