आज आपको स्मार्टफोन से जुड़ी एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं जो खुशी के साथ उम्मीद भी देगी. खबर जो स्मार्टफोन वारंटी के ऊपर पड़ी धूल और पानी को हटाने का काम करेगी. खबर जो इस बात की तस्दीक करेगी कि स्मार्टफोन कंपनियां की नियम और शर्तों वाली स्मार्टनेस उनके सर्विस सेंटर पर तो काम कर सकती है मगर कोर्ट में नहीं. खबर आई है कोर्ट से जिसने Samsung कंपनी को ब्याज समेत रकम लौटाने (Samsung will have to return Rs 1.88 lakh) का निर्देश दिया है. लेकिन इस बार मामला बेकार फोन का नहीं बल्कि उसके 'वाटरप्रूफ' नहीं होने का है.
वाटरप्रूफ निकला धोखा! सैमसंग को देना पड़ेगा 1.88 लाख का हर्जाना, कोर्ट का आदेश है
उपभोक्ता फोरम में क्लेम के बाद कोर्ट ने सैमसंग को 60 दिन के अंदर मोबाइल की कीमत (Samsung will have to return Rs 1.88 lakh) के अलावा 30 हजार रुपये यानी 1 लाख 88 हजार रुपये कस्टमर को देने का आदेश दिया है. पूरा मामला जान लीजिए. आपके भी काम आएगा.


उपभोक्ता फोरम में क्लेम के बाद कोर्ट ने सैमसंग को 60 दिन के अंदर मोबाइल की कीमत के अलावा 30 हजार रुपये यानी 1 लाख 88 हजार रुपये कस्टमर को देने का आदेश दिया है. पूरा मामला जान लीजिए. आपके भी काम आएगा.
सैमसंग फोल्ड में घुसा पानीशक्ति विकास पांडेय 28 दिसंबर 2022 को खलीलाबाद के अग्रवाल टेलीकॉम से सैमसंग का फोल्ड फोर स्मार्टफोन 1 लाख 57 हजार 998 रुपये में खरीदा था. संतकबीर नगर के शक्ति का दावा है कि कंपनी के कर्मचारियों ने बताया था कि यह फोन वाटरप्रूफ है. कंपनी गारंटी लेती है कि यह पानी पड़ने पर भी खराब नहीं होगा. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 सितंबर 2024 को खलीलाबाद के गोला बाजार में हल्की बारिश की बूंदें डिवाइस पर पड़ते ही वो बंद हो गया. यहां एक बात गौर करने वाली है. आमतौर पर स्मार्टफोन कंपनियां फोन में एक साल की वारंटी देती हैं. अगर कोई ऑफर हुआ तो फिर ये लिमिट बढ़ भी सकती है. इसे केस में फोन खराब होने की तारीख खरीदी से दो साल बाद की है. खैर सानु की. अपन भी कोर्ट चलते हैं.

सैमसंग के सर्विस सेंटर पर पर भी डिवाइस ठीक नहीं हुआ. कस्टमर के बार-बार शिकायत करने पर भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तब उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट का रुख किया. जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह और महिला सदस्य संतोष ने कंपनी और ग्राहक की बहस सुनी. इसके बाद कहा- कंपनी और दुकानदार को मोबाइल खराब होने से वास्तविक भुगतान की तारीख तक 10 प्रतिशत ब्याज के साथ 60 दिनों के भीतर रकम लौटाने का आदेश दिया. यानी कंपनी को मोबाइल की कीमत के अलावा 30 हजार रुपये और भरने होंगे. कुल टोटल हुआ 1 लाख 88 हजार रुपये. खबर तो यहीं खत्म हो गई मगर आपके लिए एक उम्मीद छोड़ गई. वो समझ लीजिए.
वाटरप्रूफ का झुनझुनास्मार्टफोन कंपनी कोई सी भी हो. फोन के साथ IP रेटिंग जरूर देती हैं. आजकल इसका स्केल IP69 तक पहुंच गया है. IP रेटिंग चार अंकों का एक शब्द होता है, जैसे कि IP67 या IP68 आपने आमतौर पर देखा होगा. पहले दो शब्द आईपी का मतलब है इन्ग्रेस प्रोटेक्शन (Ingress Protection) जिसका अर्थ है कि बाहर से किसी चीज के अंदर आने पर कितनी सुरक्षा मिलेगी. तीसरे और चौथे अंक नंबर हैं, जैसे कि 67 और 68 जो क्रमशः धूल और पानी से बचाव के लिए होते हैं. धूल के लिए 6 इस्तेमाल होता है जो अधिकतम रेटिंग है. छोटे रेत कणों या बारीक धूल से बचाने के लिए. आखिरी अंक 7 या 8 पानी से बचाव की रेटिंग को बताता है और ये भी अधिकतम 8 होता है. कुल मिलाकर यदि आपका स्मार्टफोन IP68 रेटिंग वाला है तो धूल और पानी से अधिकतम बचाव मिल सकता है.
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सब ठीक है मगर कंपनियां इस रेटिंग को वारंटी में कवर नहीं करती. माने रेटिंग सिर्फ मन की शांति के लिए है. अगर पानी गया तो वारंटी नहीं मिलेगी. जैसा इस केस में भी हुआ. साफ-साफ कहें तो यह रेटिंग बस एक झुनझुना है यूजर को बरगलाने का एक तरीका है. Apple ने तो आईफोन के अंदर बाकायदा सेंसर लगा रखा है. माने जो पानी गया तो सिम ट्रे में रेड डॉट आ जाता है. मतलब वारंटी भूल ही जाइए.
लेकिन इस केस में कोर्ट ने ग्राहक के पक्ष में फैसला दिया है. अच्छी बात है. माने जो आपके साथ भी ऐसा हो और कंपनी नहीं सुने तो अदालत का दरवाजा खटखटा लीजिए. अदालत कंपनी को खड़का देगी.
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