सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए गिरफ्तारी सहित कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए. ताकि इससे होने वाले वायु प्रदूषण को कम किया जा सके. 17 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा कि किसान देश के लिए खास हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें बिना रोक-टोक पराली जलाने की अनुमति दी जाए.
'किसान खास हैं... लेकिन जेल में डालेंगे तभी संदेश जाएगा', पराली जलाने वालों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
Supreme Court के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा कि किसान देश के लिए खास हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें बिना रोक-टोक पराली जलाने की अनुमति दी जाए.
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उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कठोर दंड की व्यवस्था की जा सकती है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI ने पंजाब राज्य के वकील से कहा,
आप दंड के कुछ प्रावधानों के बारे में क्यों नहीं सोचते? अगर कुछ लोग सलाखों के पीछे होंगे, तो ये सही संदेश देगा... अगर पर्यावरण की रक्षा करने का आपका इरादा पक्का है, तो फिर क्यों कतरा रहे हैं? मैंने अखबारों में पढ़ा था कि इसका (पराली) जैव ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. हम इसे पांच साल की प्रक्रिया नहीं बना सकते. किसान विशेष हैं और हम उनकी बदौलत भोजन पा रहे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते.
पराली जलाना, फसलों की कटाई के बाद बचे हुए पुआल को जलाने की प्रथा है, ताकि अगली फसल बोने के लिए खेत खाली हो जाए. मुख्य रूप से ये उत्तर भारतीय राज्यों पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में किया जाता है. ये खेतों को साफ करने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है. हालांकि, इससे वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आती है.
'सेटेलाइट जब खेत के ऊपर नहीं होते, तब पराली… 'पंजाब राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने 17 सितंबर को कोर्ट को बताया कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा,
पिछले साल इसमें कमी आई थी और अब इसमें और कमी आएगी. तीन साल में बहुत कुछ हासिल किया गया है... और इस साल हम और भी अधिक काम करेंगे.
दूसरी ओर, न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने तर्क दिया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सरकारी प्रोत्साहन और उपकरण उपलब्ध कराने के बावजूद, कोई खास बदलाव नहीं आया है. उन्होंने किसानों के हवाले से न्यायालय को बताया कि जब सेटेलाइट उनके खेतों के ऊपर से नहीं गुजरते, तो उनसे पराली जलाने के लिए कहा जाता है.
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कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य ऐसे उपाय लागू करने के लिए इच्छुक नहीं हैं, तो वो इसके लिए आदेश पारित कर सकता है. मेहरा ने जवाब दिया कि जो लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं उनमें से कई छोटे किसान हैं.
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