सुप्रीम कोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए एक मुस्लिम युवक को जमानत दी है. अमन सिद्दीकी नाम के इस शख्स ने एक हिंदू लड़की से शादी की थी. बाद में उस पर महिला का धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया. अमन सिद्दीकी को जेल भी हुई. लेकिन 11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. साथ ही कहा कि सरकार सहमति से हुई शादी को लेकर कोई आपत्ति नहीं कर सकती.
परिवार की सहमति से हिंदू युवती से शादी की, लोगों ने जेल करवा दी, SC ने 'हिसाब' कर दिया
अमन सिद्दीकी नाम के इस शख्स ने एक हिंदू लड़की से शादी की थी. बाद में उस पर महिला का धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया. अमन सिद्दीकी को जेल भी हुई. लेकिन 11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.
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इंडिया टुडे से जुड़ीं अनीशा माथुर की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि महिला और पुरुष दोनों ही बालिग हैं और शादी को दोनों के ही परिवारों ने मंजूरी दी है. दोनों को एक दूसरे के धर्म के बारे में पता है. ऐसे में राज्य (State) को दोनों के साथ रहने पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती.
कोर्ट ने कहा,
क्या है मामला?राज्य को सिद्दीकी और उनकी पत्नी के एक साथ रहने पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती क्योंकि उन्होंने अपने-अपने माता-पिता और परिवार की इच्छा के अनुसार शादी की है. ऐसे हालात में हमें लगता है कि अपीलकर्ता को जमानत दे दी जानी चाहिए.
उत्तराखंड के अमन सिद्दीकी उर्फ अमन चौधरी की शादी दूसरे धर्म की लड़की के साथ हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए दोनों के परिवारों ने सहमति दी थी, लेकिन शादी के बाद लड़की के कुछ रिश्तेदारों और कुछ संगठनों ने ऊधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर थाने में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. इन लोगों ने आरोप लगाया कि हो सकता है लड़के ने लड़की का अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन कराया हो.
इसके बाद अमन सिद्दीकी के खिलाफ उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम- 2018 की धारा 3 और 5 के अलावा भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और 319 के तहत FIR दर्ज की गई. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पिछले 6 महीने से वह जेल में थे. गिरफ्तारी के खिलाफ सिद्दीकी ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी लेकिन वहां उनकी अर्जी खारिज कर दी गई.
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ ने अर्जी पर फैसला देते हुए कहा,
जब शादी आपसी सहमति से और दोनों परिवारों की मंजूरी से हुR है तो राज्य की ओर से जमानत का विरोध करना उचित नहीं है. याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी शांतिपूर्वक साथ रह रहे हैं तो शादी के बाद बाहरी दबावों के आधार पर राज्य को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अमन सिद्दीकी की जमानत की अर्जी मंजूर कर ली और ट्रायल कोर्ट को उन्हें तुरंत रिहा करने का निर्देश दे दिया.
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