मनरेगा की जगह VB-G RAM G योजना लाने का मोदी सरकार का फैसला तो शशि थरूर को भी अच्छा नहीं लगा. सियासी नजूमियों के हलक से यह बात नीचे उतरना थोड़ा मुश्किल हो सकती है. लेकिन है सच. शशि थरूर इन दिनों भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ कुछ बोल जाएं तो कांग्रेस के कई नेता हैरत में पड़ जाते हैं. वे तो BJP और शशि थरूर के बीच 'गैर-सरकारात्मक एडजस्टमेंट' देखते हैं. मगर मनरेगा को हटाने का मोदी सरकार का फैसला सच में शशि थरूर को रास नहीं आया है. उनके बोल कांग्रेस के साथ BJP को भी हैरान कर सकते हैं. शशि थरूर की सियासत हो ही कुछ ऐसी गई है.
'गांधी की विरासत का...', मनरेगा पर शशि थरूर की ये बात बीजेपी-कांग्रेस दोनों के गले नहीं उतरेगी
MGNREGA vs G RAM G: केंद्र सरकार के किसी कदम पर Shashi Tharoor की तरफ से नेगेटिव टिप्पणी के अपने मायने हैं. क्योंकि बीते महीनों का ट्रेंड देखें तो मोदी सरकार की तरफ से शशि थरूर को काफी तरजीह मिली है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (MGNREGA) यानी मनरेगा की जगह नई रोजगार गारंटी स्कीम 'विकसित भारत रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)' लाने जा रही है. इसके लिए VB-G RAM G बिल 2025 लाया जा रहा है.
मोदी सरकार की नई योजना के नाम से महात्मा गांधी का नाम हट रहा है, तो शशि थरूर ने भी अपना विरोध जता दिया है. उन्होंने X पर लिखा,
"सरकार के प्रस्तावित नए G RAM G बिल में MGNREGA का नाम बदलने पर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है. ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं थे. वे गांधीजी की सोच के दो स्तंभ थे. ग्रामीण तबके के गरीबों के लिए एक योजना में महात्मा का नाम हटाना इस गहरे जुड़ाव को नजरअंदाज करता है. उनकी आखिरी सांस 'राम' के प्रति उनकी आस्था का सबूत थी. आइए हम ऐसी जगह बंटवारा करके उनकी विरासत का अपमान ना करें जहां कोई बंटवारा था ही नहीं."

शशि थरूर के इस पोस्ट पर दुष्यंत अरोड़ा नाम के यूजर ने उनसे सफाई चाही कि उन्हें स्कीम के नाम बदलने से एतराज है, या नाम बदलने पर हो रही ‘कंट्रोवर्सी’ से दिक्कत है?
शशि थरूर ने सफाई पेश करते हुए लिखा,
"यह बिल्कुल साफ है कि मैं महात्मा के नाम को बदलने का विरोध कर रहा हूं. मेरा ट्वीट पढ़ें. (तीसरा वाक्य, अगर आपको वो नहीं मिला हो तो)."

मनरेगा योजना कांग्रेस नीत यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) की सरकार लाई थी. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ‘नाम बदलकर यही स्कीम ला रही’ है, तो कांग्रेस की तरफ से विरोध उठना ही था. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने X पर लिखा,
"यह केवल महात्मा गांधी नरेगा के नाम बदलने की बात नहीं है. यह BJP-RSS की MGNREGA को खत्म करने की साजिश है. संघ (RSS) के सौ साल पर गांधी का नाम मिटाना ये दिखाता है कि जो मोदी जी विदेशी धरती पर बापू को फूल चढ़ाते हैं, वो कितने खोखले और दिखावटी हैं. जो सरकार गरीब के हक से चिढ़ती हो, वही मनरेगा पर वार करती है."
उन्होंने आगे लिखा,
"इस अहंकारी सत्ता का कोई भी ऐसा निर्णय जो ग़रीब और मजदूर विरोधी होगा, ऐसे प्रावधान के खिलाफ कांग्रेस पार्टी संसद और सड़क पर, उसका पुरजोर विरोध करेगी. करोड़ों ग़रीब, मजदूरों और कामगारों के हकों को हम सत्ता के हाथों छिनने नहीं देगें."
केंद्र सरकार के किसी कदम पर शशि थरूर की तरफ से नेगेटिव टिप्पणी के अपने मायने हैं. क्योंकि बीते महीनों का ट्रेंड देखें तो मोदी सरकार की तरफ से शशि थरूर को काफी तरजीह मिली है. पीएम मोदी ने कांग्रेस की मंजूरी के बिना थरूर के नेतृत्व में 'ऑपरेशन सिंदूर' का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था, जिसने अमेरिका समेत 5 देशों का दौरा किया था.
इसके अलावा 5 दिसंबर की रात शशि थरूर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति भवन में हुए बैंक्वेट में अकेले विपक्षी नेता थे. उन्होंने डिनर के माहौल को ‘गर्मजोशी भरा’ और 'दिलचस्प' बताया था. थरूर ने कहा था कि उन्हें रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करके मजा आया.
कांग्रेस सांसद होते हुए शशि थरूर कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी कर चुके हैं. इससे कांग्रेस काफी असहज स्थिति में आ जाती है. इसी साल जून में उन्होंने पीएम मोदी को 'भारत की सबसे बड़ा एसेट' करार दिया था.
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