The Lallantop

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले एडवोकेट इकबाल छागला का निधन

Iqbal Chagla Passes Away: इकबाल छागला ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ वकालत करते हुए 6 कार्यरत जजों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए थे. प्रस्ताव के बाद जजों को इस्तीफा देना पड़ गया था. छागला को बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की पेशकश की गई थी.

Advertisement
post-main-image
इकबाल छागला 85 साल के थे. (फ़ोटो - सोशल मीडिया)

सीनियर एडवोकेट इकबाल छागला (Iqbal Chagla) का 12 जनवरी को मुंबई में निधन हो गया. 85 साल के छागला बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ थे. उनका अंतिम संस्कार वर्ली श्मशान घाट पर 13 जनवरी को किया जाएगा. इकबाल छागला के पिता बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस रहे हैं और बेटे वर्तमान में जज हैं. उन्हें ख़ुद न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों में गिना जाता है.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

इकबाल छागला को उनकी क़ानूनी कुशलता के साथ-साथ बॉम्बे बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल के लिए भी जाना जाता था. यहां उन्होंने 1990 के दशक में न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ वकालत की और 6 कार्यरत जजों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए थे. प्रस्ताव के बाद जजों इस्तीफा भी देना पड़ा था.

बॉम्बे बार एसोसिएशन (BBA) ने इकबाल छागला के निधन पर शोक जताया है. एसोसिएशन की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया कि क़ानूनी क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है और उनकी विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा. इसके अलावा सीनियर वकील यूसुफ मुचला, बॉम्बे बार एसोसिएशन के मौजूदा अध्यक्ष नितिन ठक्कर, बॉम्बे बार एसोसिएशन के सचिव फरहान दुबाश ने भी इकबाल छागला के निधन पर शोक जताया है.

Advertisement

वहीं, बाम्बे बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रफीक दादा ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. इकबाल छागला के अध्यक्ष रहते, रफीक दादा कुछ सालों तक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे थे. उन्होंने इकबाल के निधन पर कहा,

इकबाल क़ानूनी पेशे के सबसे महान दिग्गजों में से एक थे. मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से 50 से अधिक वर्षों से जानता था. वह एक अच्छे वकील और एक अद्भुत इंसान थे. मेरा मानना ​​है कि हर बड़े मामले में उन्होंने सही और साहसी निर्णय लिए, कभी भी किसी सत्ता या सरकार से नहीं डरे.

Iqbal Chagla कौन थे?

इकबाल छागला का जन्म 1939 में मुंबई में हुआ था. उनके पिता MC छागला 1948-58 तक बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले स्थायी भारतीय चीफ़ जस्टिस रहे. छागला ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इतिहास और कानून में ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वो बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए तत्कालीन बॉम्बे लौट आए. 39 साल की कम उम्र में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया. यानी 1970 के दशक में उन्हें सीनियर एडवोकेट का गाउन दिया गया.

Advertisement

बाद में उन्हें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के पद की पेशकश की गई थी. अगर वो जज बनते, तो भारत के चीफ़ जस्टिस के पद तक पदोन्नत होते. लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और वकील बने रहे. इस दौरान छागला ने 1990 से 1999 तक देश के सबसे पुराने वकीलों के संगठनों में से एक, बॉम्बे बार एसोसिएशन का नेतृत्व किया. उनके बेटे जस्टिस रियाज छागला बॉम्बे हाई कोर्ट के वर्तमान में जज हैं.

भ्रष्टाचार… जजों को देना पड़ा था इस्तीफ़ा

इकबाल छागला ने द इंडियन एक्सप्रेस के लिए 2020 में एक कॉलम लिखा था. इसमें उन्होंने एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में बात की. कॉलम में उन्होंने बताया,

1990 में बॉम्बे हाई कोर्ट के पांच मौजूदा जजों के खिलाफ़ प्रस्ताव लाने की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई. इस प्रस्ताव में जजों की ईमानदारी पर सवाल उठाया गया और उनके इस्तीफ़े की मांग की गई. मुझे चेतावनी दी गई कि ये आपराधिक अवमानना ​​है. लेकिन मुझे लगा कि न्याय के स्रोत के प्रदूषित होने पर भी, हमें अपनी अगली पीढ़ी के प्रति निष्क्रिय नहीं हो जाना चाहिए. 

उन्होंने आगे लिखा,

प्रस्ताव पारित किए गए, तीखी बहस हुई. बाद में एक जज ने इस्तीफ़ा दे दिया, दो का तबादला कर दिया गया और दो को आगे कोई न्यायिक कार्य करने से मना कर दिया गया. पांच साल बाद, 1995 में मुझे एक और प्रस्ताव लाना पड़ा. इस बार बॉम्बे हाई कोर्ट के एक तत्कालीन चीफ़ जस्टिस एएम भट्टाचार्य के ख़िलाफ़. इसमें भ्रष्टाचार के आधार पर उनके इस्तीफ़े की मांग की गई. जज को बाद में इस्तीफ़ा देना पड़ा था.

लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक़, BBA के सदस्य के रूप में लगभग 60 साल पूरे किए थे. बॉम्बे हाई कोर्ट के सबसे प्रतिष्ठित सीनियर वकीलों में से एक के रूप में वो कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पेश हुए थे. वो अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भी पेश हुए थे और उन्होंने विदेशी अदालतों में कार्यवाही पर सलाह दी थी.

वीडियो: अदालत में बढ़ती व्यवस्था को लेकर वकीलों पर गुस्सा हो गए जस्टिस गवई

Advertisement