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महंगाई की मार से कराहिए मत... सरकार के हिसाब से तो राहत ही राहत है

Retail Inflation Rate: खुदरा महंगाई दर रिकॉर्ड 14 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. ऐसे में आइए जान लेते हैं कि इसकी वजह क्या है, यह खुदरा महंगाई दर होती क्या है और कैसे कैलकुलेट की जाती है.

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महंगाई दर की प्रतीकात्मक तस्वीर. (Photo: ITG/File)

महंगाई के मोर्चे पर आम जनता के लिए राहत की खबर है. केंद्र सरकार के मुताबिक अक्टूबर 2025 में देश की खुदरा महंगाई दर 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई. कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स की मौजूदा सीरीज में यह महंगाई का सबसे निचला स्तर है. यानी जनवरी 2012 से अब तक का यह सबसे कम महंगाई दर है.

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सरकार का मानना है कि GST दरों में कटौती और खाने-पाने की चीजों की कीमतों में कमी आने की वजह से महंगाई दर घटी है. इसके अलावा Base Effect की वजह से भी पिछले महीने महंगाई दर कम देखने को मिली. दरअसल, पिछले साल अक्टूबर में महंगाई दर बहुत ज्यादा थी. उसके मुकाबले इस साल आंकड़ा काफी कम रहा. बता दें कि महंगाई दर का आंकड़ा निकालने के लिए साल-दर-साल तुलना की जाती है.

दूसरी श्रेणियों में बढ़ी है महंगाई 

वहीं लंबे समय का ट्रेंड निकालने के लिए Base Year का इस्तेमाल किया जाता है. इसे CPI यानी Consumer Price Index कहा जाता है. वर्तमान में Base Year 2012 है. केंद्र सरकार जरूरत के मुताबिक बेस ईयर बदलती भी रहती है. बुधवार, 12 नवंबर को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने महंगाई दर से जुड़े आंकड़े जारी किए. इसमें बताया गया कि खाने-पीने की चीजों की कीमतें अक्टूबर में 3.7% तक घट गईं. जबकि सितंबर में यह 1.4% तक घटी थीं. इस वित्त वर्ष के 7 महीनों में से 4 महीने में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी आई है.

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हालांकि, बाकी क्षेत्रों में पिछले साल के मुकाबले महंगाई बढ़ी है. द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार ईंधन और रोशनी की महंगाई 2% पर रही, जो पिछले साल इसी महीने में -1.7% के रेट पर थी. वहीं हाउसिंग सेक्टर में महंगाई दर 3% रहा, जो पिछले साल 2.8% था. इसके अलावा अन्य सेवाओं का महंगाई दर 5.7% रहा, जो पिछले साल इस अवधि में 4.3% पर था. कपड़ों और जूतों के रेट में जरूर कमी आई है, जो पिछले साल के 2.7% के मुकाबले इस साल 1.7% रहा.

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कैसे निकाली जाती है महंगाई दर

केंद्र सरकार अलग-अलग चीजों की कीमतों के आधार पर एक फॉर्मूले के तहत महंगाई दर निकालती है. इसके लिए खाने पीने की चीजें, ईंधन और रोशनी, हाउसिंग, कपड़े-जूते, पान-तंबाकू और अन्य रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों की कीमतों को ध्यान में रखा जाता है. इसमें अलग-अलग कैटेगिरी को अलग-अलग वेटेज दिया जाता है. जिसमें सबसे अधिक 45% वेटेज खाने-पीने से जुड़े सामानों का होता है. सरकार Consumer Price Index के आधार पर इस साल की कीमतों और पिछले साल की कीमतों के अंतर का प्रतिशत निकालती है, जिसे खुदरा महंगाई दर कहा जाता है.

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