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गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट बन नहीं आ रहे किसी देश के पीएम-प्रेसिडेंट, भारत ने इन्हें न्यौता भेजा है!

Republic Day 2026 Chief Guest: भारत ने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा को आमंत्रित किया है.

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एंटोनियो कोस्टा (बाएं) और उर्सुला वॉन डेर लेयेन (दाएं) (फोटो- इंडिया टुडे).

हर साल की तरह इस साल भी गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के लिए आमंत्रण भेज चुके हैं. इससे पहले भी अमेरिका, जापान, फ्रांस जैसे देशों के आला कमान इस दिन की शोभा बढ़ा चुके हैं. लेकिन इस बार भारत किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की मेज़बानी नहीं कर रहा है. 26 जनवरी, 2026 को हमारे मेहमान होंगे यूरोपियन यूनियन के टॉप लीडर्स. 

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत ने आगामी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा को आमंत्रित किया है. रिपोर्ट के मुताबिक़, आमंत्रण की प्रक्रिया अभी चल रही है. प्रक्रिया पूरी होते ही ब्रुसेल्स और नई दिल्ली की तरफ से आधिकारिक जानकारी दी जाएगी.

किसको बुलाना है कैसे तय करते हैं?

भारत के नज़रिये से इस दिन मुख्य अतिथि का आगमन बेहद ख़ास होता है. इसके पीछे महज़ भारत के संस्कृति का प्रदर्शन करना नहीं होता है. किसी भी मुख्य अतिथि को बुलाने से पहले कुछ बिंदुओं पर विचार किया जाता है. मसलन, कूटनीति और रणनीति को ध्यान में रखा जाता है, व्यापार के लाभ को देखा जाता है और अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक हित साधे जाते हैं.

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यूरोपियन यूनियन को आमंत्रण भेजने के पीछे कारण है- भारत और 27 सदस्यीय ईयू (यूरोपियन यूनियन) के बीच बेहतर संबंध. पिछले कुछ महीनों से ही भारत और ईयू के रिश्ते सुर्ख़ियों में है जब फरवरी में ईयू के कॉलेज ऑफ़ कमिश्नर ने भारत का दौरा किया था. कॉलेज ऑफ़ कमिश्नर ईयू के 27 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं. ईयू ने भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर भी ज़ोर दिया है. 

इस एग्रीमेंट के सफल होने से भारत और यूरोपियन देशों को सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और डिफेन्स के क्षेत्र में लाभ होगा. बता दें, कि भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इस वक़्त ब्रुसेल्स में हैं और FTA पर बातचीत चल रही है.भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर नवंबर में ब्रुसेल्स जा सकते हैं. ईयू की उपाध्यक्ष और विदेशी मामलों की उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास भी दिसंबर या जनवरी में भारत आ सकती हैं. 

इस वक़्त इसके क्या मायने हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने पिछले दिनों टैरिफ को लेकर खूब बवाल मचाया है. अभी भी कुछ देशों के साथ टैरिफ को लेकर समझौता नहीं हुआ है. भारत भी उनमें से एक है. उन्होंने भारत और यूरोप दोनों को ही अपने मनमाने होने का रियल्टी चेक दे दिया है. ऐसे में यूरोप खुद को एक स्थायी और मददगार ऑप्शन की तरह स्थापित करना चाहता है. भारत भी एक ऐसे बिज़नेस पार्टनर की तलाश में है जो स्थायी हो. भारत और ईयू के बीच FTA डील भी इसी बात की कोशिश है. 

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वीडियो: 76वें गणतंत्र दिवस की झलकियां देखिए, कुछ ऐसा माहौल था कर्तव्य पथ का!

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