अभिषेक एमआर अपने परिवार के साथ बेंगलुरु के एक सिनेमा हॉल में 'सैम बहादुर' फिल्म देखने गए थे. फिल्म शाम के 4:05 बजे शुरू होनी थी. अभिषेक तो समय पर पहुंच गए लेकिन फिल्म समय पर शुरू नहीं हुई. 4:05 बजे से 'सैम बहादुर' की जगह दूसरी फिल्मों के ट्रेलर और विज्ञापन दिखाए गए जो 4:28 तक चले. फिल्म आखिर में 4:30 में शुरू हुई. यानी पूरे 25 मिनट लेट. ये बात है 26 दिसंबर, 2023 की.
"फिल्म के पहले ऐड दिखाकर 25 मिनट बर्बाद किया" PVR पर लगा 1.28 लाख का जुर्माना
PVR Fined 1.28 Lakhs: अभिषेक ने सबूत के तौर पर इन विज्ञापनों को रिकॉर्ड कर लिया था. PVR ने ‘तर्क’ दिया कि इस तरह थियेटर में रिकॉर्डिंग करना एंटी-पायरेसी कानूनों का उल्लंघन है. कोर्ट ने PVR की इस दलील को खारिज कर दिया.

ये कहानी तो बड़ी सामान्य लगती है. कई लोग कहेंगे कि ऐसा तो उनके साथ भी होता है. लेकिन अभिषेक 6 जनवरी, 2024 को इस मामले को कोर्ट लेकर गए और अपने 25 मिनट के बदले हर्जाना मांगा. उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट से कहा कि फिल्म के देखने के बाद उन्हें काम पर लौटना था. लेकिन 25 मिनट की देरी के कारण सब गड़बड़ हो गया.
15 फरवरी को इस मामले में ‘बेंग्लुरु शहरी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग’ ने अपना फैसला सुनाया. आयोग ने PVR INOX पर 1.28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. आयोग ने कहा कि PVR INOX ने टिकट पर जो समय बताया था वो फिल्म शुरू होने का वास्तविक समय था न कि फिल्म से पहले विज्ञापन दिखाने का.
आयोग की अध्यक्ष एम शोभा ने आदेश में कहा,
नए युग में समय को धन माना जाता है, हर किसी का समय बहुत कीमती है. दूसरों के समय और धन से लाभ उठाने का अधिकार किसी को भी नहीं है. थिएटर में खाली बैठकर, वहां जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, उसे देखने के लिए 25-30 मिनट कम नहीं है. व्यस्त लोगों के लिए अनावश्यक विज्ञापन देखना बहुत मुश्किल है. परिवार के साथ कुछ समय बिताने के लिए कोई व्यक्ति खुद से कोई व्यवस्था करता है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि लोगों के पास करने के लिए कोई और काम नहीं है.
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PVR ने दावा किया कि उसने सरकार की ओर से जरूरी घोषणाएं दिखाई थीं जिसे दिखाना अनिवार्य है. लेकिन PVR इसे साबित नहीं कर पाया. कोर्ट ने माना कि अभिषेक जब थियेटर में थे तब जो विज्ञापन थे, वो कोई सरकारी घोषणा नहीं बल्कि पूरी तरह से कर्मशियल ऐड्स थे. हालांकि, कानून के मुताबिक, ये सरकारी घोषणाएं भी 10 मिनट से ज्यादा देर की नहीं हो सकतीं.
PVR ने एक और 'तर्क' दिया. उन्होंने कहा कि लंबे विज्ञापन चलाने से देर से आने वाले दर्शकों को मदद मिलती है. लेकिन आयाग ने ये भी नहीं माना.
अभिषेक ने सबूत के तौर पर इन विज्ञापनों को अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया था. PVR ने इसमें भी अड़चन डालने की कोशिश की. उन्होंने ‘तर्क’ दिया कि इस तरह थियेटर में रिकॉर्डिंग करना एंटी-पायरेसी कानूनों का उल्लंघन है. हालांकि, कोर्ट ने PVR की इस दलील को भी खारिज करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के लिए जागरूकता बढ़ाना अवैध नहीं है.
किसको कितना पैसे मिलेंगे?उपभोक्ता फोरम के आदेश के अनुसार, PVR INOX अभिषेक को हुई मानसिक पीड़ा के लिए उनको 20,000 हजार रुपये और कानूनी खर्चे के लिए 8,000 हजार रुपये देगा. इसके अलावा, अनुचित तरीके से व्यापार करने के लिए दंडात्मक हर्जाने के रूप में उनको 1 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. ये पैसे उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा होंगे. पैसों का भुगतान 30 दिनों के भीतर करना होगा, नहीं तो 10 प्रतिशत सलाना ब्याज लगाया जाएगा.
किसी सर्विस या प्रोडक्ट से संबंधित शिकायत के लिए कंज्यूमर फोरम में संपर्क किया जा सकता है.
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