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महाकुंभ पहुंचे बाबा के सिर पर 9 सालों से बैठा है कबूतर, पता है उतरता कब है?

Kabootar Wale Baba: जूना अखाड़े के महंत राजपुरी जी महाराज. लोग इन्हें प्यार से 'कबूतर वाले बाबा' कहते हैं. वह पिछले 9 सालों से अपने सिर पर कबूतर लेकर घूम रहे हैं. लोगों का उनके पास जमावड़ा लगा हुआ है.

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महाकुंभ में चर्चा में आए कबूतर वाले बाबा. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में देश के हर कोने से साधु-संतों का जमावड़ा लगा है. हर दिन विचित्र और दिलचस्प साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इन्हीं में से एक हैं जूना अखाड़े के महंत राजपुरी जी महाराज. लोग इन्हें प्यार से 'कबूतर वाले बाबा' कह रहे हैं. क्योंकि वह पिछले 9 सालों से अपने सिर पर कबूतर लेकर घूम रहे हैं. कुंभ पहुंचने वालों लोगों में से जो भी बाबा को और उनके सिर पर बैठे कबूतर को देखता है तो रुके बिना रह नहीं पाता.

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‘कबूतर बाबा’ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के रहने वाले हैं. उनके सिर पर हमेशा कबूतर बैठा रहता है, जो हिलाने पर भी वह वहां से नहीं हटता. इंडिया टुडे से बात करते हुए बाबा ने कहा कि जीव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. उन्होंने कहा,

"कबूतर का नाम 'हरि पुरी' है. इसे मेरे साथ रहते हुए 9 साल हो गए. इस संसार में जीव ही शिव है. जीव की सेवा शिव की सेवा है. जीव हो, मनुष्य हो, सबसे प्रेम करना चाहिए. प्रेम के बिना कुछ भी नहीं है. हरि पुरी का यह तीसरा कुंभ है. जो यहां दिख रहा है, वह है नहीं. जो नहीं दिख रहा है, वही है. यह हरि पुरी अलौकिक है. अगर यह साधारण कबूतर होता, तो कहीं दाना चुग रहा होता. लेकिन इसका अलौकिक खेल है. इस कबूतर ने स्नान भी किया है."

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दूसरे चैनल भी कबूतर वाले बाबा के पास पहुंचे. TV9 से बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह कबूतर हमेशा उनके साथ रहता है. वह दिन में दो बार भोजन करता है. इसके बाद ‘बिसलेरी’ का पानी पीता है. बाबा ने बताया कि कबूतर सादा पानी नहीं पीता. उन्होंने कहा कि कबूतर केवल काजू, बादाम और पिस्ता खाता है. इसके लिए ये चीजें हमेशा तैयार रखी जाती हैं. इसे बच्चे की तरह मुंह में खिलाना पड़ता है. 

बाबा ने यह भी बताया कि कबूतर केवल स्नान और भोजन के लिए नीचे उतरता है. रात में वह कंबल में उनके साथ ही सोता है. उन्होंने आगे कहा कि उनका एक ही लक्ष्य है- जीवों की सेवा करना.

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