जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का नाम दो राज्यों की वोटर लिस्ट में शामिल होने का दावा किया गया है. इसे लेकर प्रशांत किशोर सवालों में घिर गए हैं. कहा जा रहा है कि प्रशांत का नाम बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में भी पाया गया है. चुनाव आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है.
प्रशांत किशोर बंगाल के भी वोटर, ECI ने भेजा नोटिस, बोले- 'ये सब उसी की गलती'
Prashant Kishor का नाम बिहार के अलावा, West Bengal की वोटर लिस्ट में भी पाया गया है. उन्होंने मामले पर कहा कि वो बिहार के वोटर हैं. ये चुनाव आयोग की गलती है, उसमें वो कुछ नहीं कर सकते.


सासाराम के करगहर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर ने जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को ये नोटिस जारी किया है. नोटिस में साफ कहा गया है कि प्रशांत किशोर का नाम बिहार और पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में दर्ज है. पश्चिम बंगाल के भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र के बी रानीशंकरी लेन पर स्थित संत हेलेन स्कूल मतदान केंद्र में उनका नाम बतौर वोटर दर्ज है. वहीं बिहार के 209 करगहर विधानसभा क्षेत्र के मध्य विद्यालय, कोनार (उत्तर भाग) के भाग संख्या-367, क्रमांक 621 में भी उनका नाम लिस्टेड है. करगहर में उनकी मतदाता पहचान पत्र संख्या IUI3123718 बताई गई है.

बता देें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के तहत कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में वोटर के रूप में रजिस्टर नहीं हो सकता. इसका उल्लंघन करने पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1960 की धारा 31 के तहत एक वर्ष की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. रिटर्निंग ऑफिसर ने प्रशांत किशोर को तीन दिनों के भीतर इस मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है.
प्रशांत किशोर ने बिहार में एक रैली के दौरान इस मामले पर आजतक को बताया,
“पश्चिम बंगाल में मैं जब 2021 में चुनाव करा रहा था, तब वहां पर वोटर था. अभी मैं बिहार का वोटर हूं, वो भी पिछले तीन साल से. ये चुनाव आयोग की गलती है, हम लोग उसमें क्या कर सकते हैं. मैं अपने गांव से वोटर हूं, मेरे पास उसका EPIC नंबर भी है. मेरे पास उसका रिसिप्ट और उसका वोटर ID सब मौजूद है.”
हालांकि, प्रशांत किशोर का मामला नया नहीं है. इससे पहले भी कई बार वोटर्स कई जगहों पर रजिस्टर्ड पाए गए हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा भी दो विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड पाए गए थे. जिसके बाद दोनों को चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा था. चुनाव आयोग (ECI) ने मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पीछे एक कारण इसे ही बताया था. SIR में लगभग 68 लाख मतदाताओं को ड्राफ्ट सूची से हटाया गया, जिनमें से 7 लाख मतदाता एक से अधिक जगहों पर रजिस्टर्ड थे.
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