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PM मोदी ने जिस अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजी है, उसकी ये बातें कम लोग ही जानते होंगे

PM Narendra Modi ने अजमेर शरीफ के सालाना उर्स उत्सव में चादर भेजी है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ओर BJP अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को चादर सौंपी. देश के प्रधानमंत्री द्वारा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर चादर भेजने की परंपरा 1947 से चली आ रही है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजी है. (एक्स)

अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (khwaja moinuddin chisti) की दरगाह पर 813 वां उर्स शुरू हो गया है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अजमेर शरीफ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह (Ajmer Sharif Urs) पर चादर भेजी है. पीएम ने 2 जनवरी को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ओर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को चादर सौंप दी. 3 जनवरी को वे दोनों इस चादर को निजामुद्दीन स्थित हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर लेकर जाएंगे. और उसके बाद 4 जनवरी को इसे अजमेर दरगाह पर भेजा जाएगा.

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सूफी फाउंडेशन के प्रमुख और अजमेर दरगाह के गद्दी नशीं हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा चादर भेजने की परंपरा 1947 से चली आ रही है. केंद्रीय मंत्री रिजीजू और बीजेपी नेता जमाल सिद्दीकी सुबह 9.30 बजे इस चादर को लेकर निजामुद्दीन दरगाह पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी भी लगातार इस दरगाह पर चादर भेजते आए हैं. यह लगातार 11 वीं बार है, जब प्रधानमंत्री अजमेर दरगाह पर चादर भेज रहे हैं. पीएम मोदी ने इस अवसर पर एक्स पर लिखा, 

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर अभिवादन. यह अवसर सभी के जीवन में खुशहाली और शांति लाए.

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वहीं पीएम मोदी द्वारा चादर सौंपे जाने की तस्वीर शेयर करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने लिखा, 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह पर उनकी ओर से चढ़ाई जाने वाली चादर पेश की. यह भाव भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत, सद्भाव और करुणा के स्थायी संदेश के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है.

उर्स के मौके पर चढ़ाई जाती है चादर 

अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे मशहूर सूफी दरगाहों में से एक है. हर साल यहां लाखों लोग उर्स उत्सव में शामिल होने के लिए अजमेर दरगाह पहुंचते हैं. उर्स उत्सव ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है. इस मौके पर लोग अपनी मन्नत पूरी करने के लिए दरगाह पर पहुंचते हैं. 28 दिसंबर 2024 को मोइनुद्दीन चिश्ती का 813 वां उर्स शुरू हुआ है. यह एक वार्षिक आयोजन है.

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कौन थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती?

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म साल 1141-42 में ईरान के सिजिस्तान (वर्तमान सिस्तान) में हुआ था. मोइनुद्दीन चिश्ती 1192 में मोहम्मद गौरी के साथ भारत आए थे. मोइनुद्दीन चिश्ती ने अजमेर को अपना केंद्र (खानकाह) बनाया. आध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर उनके प्रवचनों ने जल्दी ही स्थानीय आबादी के साथ-साथ दूर दराज के राजाओं, रईसों, किसानों और गरीबों को आकर्षित किया. अजमेर में उनकी दरगाह पर मुहम्मद बिन तुगलक, शेरशाह सूरी, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, दारा शिकोह और औरंगजेब जैसे शासकों ने जियारत (यात्रा) की. 

चिश्ती सिलसिला

भारत में चिश्ती सिलसिले की स्थापना ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने की थी. इस सिलसिले ने ईश्वर के साथ एकात्मकता (वहदत-अल-वुजुद) के सिद्धांत पर जोर दिया. उन्होंने सभी भौतिक वस्तुओं को ईश्वर के चिंतन से भटकाव के साधन के रूप में खारिज कर दिया. बाबा फरीद (गंज-ए-शकर) के कारण चिश्ती सिलसिले को भारत में खूब प्रसिद्धि मिली. बाबा फरीद ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के शिष्य थे. और ख्वाजा बख्तियार मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रमुख शिष्य थे. चिश्ती संतों में सबसे लोकप्रिय संत निजामुद्दीन औलिया, बाबा फरीद के शिष्य थे. माना जाता है कि निजामुद्दीन औलिया ने दिल्ली के सात सुल्तानों का शासनकाल देखा था. लेकिन वो किसी भी सुल्तान के दरबार में नहीं हए. निजामुद्दीन औलिया के प्रिय शिष्य अमीर खुसरो थे. 

वीडियो: तारीख: अजमेर शरीफ दरगाह की कहानी, अकबर की कौन सी मन्नत पूरी हुई?

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