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चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से लेकर SIR और EVM तक, संसद में विपक्ष ने सरकार को घेरा

Parliament Debate on Electoral Reforms: लोकसभा में चुनावी सुधारों पर बहस के दौरान विपक्ष ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पैनल में बदलाव की मांग की. विपक्ष ने SIR की कानूनी वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग के पास देशभर में इसे कराने का स्पष्ट अधिकार नहीं है. EVM और बैलेट पेपर को लेकर भी मुद्दा उठा. साथ ही बूथ लेवल अधिकारियों की मौतों का मामला संसद में उठाया गया.

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विपक्ष की तरफ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (बाएं) ने चुनाव सुधारों पर चर्चा की शुरुआत की. (Photo: File/ITG)

लोकसभा में मंगलवार, 9 दिसंबर को चुनावी सुधारों पर चर्चा हुई. इस दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए. साथ ही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की कानूनी वैधता पर भी सवाल विपक्ष ने खड़े किए. बूथ लेवल के अधिकारियों की मौतें और EVM की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने का मुद्दा भी संसद में उठा.

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द हिंदू के अनुसार विपक्ष की तरफ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव सुधारों पर चर्चा शुरू की. उन्होंने कहा कि भारत ने चुनाव आयोग के लिए वह व्यवस्था अपनाई थी, जो बहुत कम देशों में थी. चुनाव आयोग को संविधान के आर्टिकल 324 के तहत इस उम्मीद के साथ अधिकार दिए गए थे कि वह एक न्यूट्रल भूमिका निभाएगा, लेकिन अब लोग चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर चर्चा करने की जरूरत महसूस कर रहे हैं.

CEC के सेलेक्शन पैनल में बदलाव की मांग

मनीष तिवारी ने चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए जो पैनल सरकार की तरफ से निर्धारित किया गया है, उसमें भी बदलाव की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस पैनल में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल किया जाना चाहिए. मालूम हो कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए 2023 में बनाए गए नए कानून के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों का चयन करने वाले पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल हैं.

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SIR की वैधता पर सवाल

इसके बाद मनीष तिवारी ने SIR की कानूनी वैधता पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के पास देश भर में SIR कराने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. उन्होंने दावा किया कि इसके लिए न तो संविधान में और न ही कानून में कोई प्रावधान है. मनीष तिवारी के मुताबिक SIR केवल तब कराया जा सकता है, जब किसी खास निर्वाचन क्षेत्र में कोई विशेष समस्या हो और इसे लिखित रूप में दर्ज कराया जाना चाहिए. इसके अलावा कांग्रेस सांसद ने राजनीतिक दलों को ऐसी मतदाताओं की सूची देने की मांग की, जिसे मशीन के जरिए पढ़ा जा सके. साथ ही चुनाव से पहले डायरेक्ट कैश बेनिफिट यानी लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की स्कीम बंद करने की मांग की.

EVM का मुद्दा भी उठा

मनीष तिवारी ने EVM से चुनाव कराए जाने पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित देशों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को स्वीकार नहीं किया है, तो भारत क्यों करे? मनीष तिवारी की मांगों का समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन किया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वह कांग्रेस सांसद की ज्यादातर मांगों से सहमत हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा और मिल्कीपुर विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में गड़बड़ियों का भी आरोप लगाया.

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DMK ने भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. पार्टी के सांसद दयानिधि मारन ने चर्चा के दौरान कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका निष्पक्ष होनी चाहिए. लोगों का ECI पर से भरोसा उठ गया है. नेताओं ने भी चुनाव आयोग पर शक करना शुरू कर दिया है, जो सिर्फ एक पॉलिटिकल पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए नियम बदल रहा है. वहीं TMC ने बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) द्वारा की जा रहीं कथित आत्महत्याओं का मुद्दा उठाया. TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने SIR की जरूरत पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग कहता है कि SIR वोटर लिस्ट से अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन अगर विदेशी आए हैं और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स उन्हें पता नहीं लगा पाई, तो यह गृह मंत्री और प्रधानमंत्री की गलती है.

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