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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उमर अब्दुल्ला बोले- 'लोगों की लाशों पर राज्य का दर्जा नहीं मांगूंगा...'

Omar Abdullah Speech: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पहलगाम हमले की निंदा करते हुए प्रस्ताव पेश किया. इससे पहले, विधानसभा सदस्यों ने हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री क्या बोले?

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए प्रस्ताव पेश किया. (फ़ोटो - ANI)

जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) पर दुख और पीड़ा जताई गई है. इस दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि वो इस हमले का राजनीतिकरण नहीं करेंगे.

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उन्होंने कहा कि वो निर्दोष नागरिकों की लाशों के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश के लिए राज्य का दर्जा मांगने नहीं जाएंगे. जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने आगे कहा,

हम जम्मू-कश्मीर में क़ानून-व्यवस्था के प्रभारी नहीं हैं. लेकिन मैं आज की स्थिति का इस्तेमाल केंद्र से राज्य का दर्जा मांगने के लिए नहीं करूंगा. मैं लाशों पर राज्य का दर्जा नहीं मांगूंगा. हम किसी अन्य मौक़े पर इसकी मांग करेंगे. मेरी राजनीति इतनी सस्ती नहीं है कि मैं 26 लोगों की जान की कीमत पर राज्य का दर्जा मांगूं. राजनीति की अपनी सीमाएं होनी चाहिए, खासकर जब इसमें मानव जीवन शामिल हो.

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उन्होंने आगे कहा,

इस घटना ने पूरे देश को प्रभावित किया है. बैसरन में 21 साल बाद इतने बड़े पैमाने पर हमला किया गया है. मुझे नहीं पता था कि मृतकों के परिवारों से कैसे माफी मांगूं. मेजबान होने के नाते पर्यटकों को सुरक्षित वापस भेजना मेरा कर्तव्य था. मैं ऐसा नहीं कर सका. मेरे पास माफ़ी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं.

अगस्त, 2019 में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया. जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया. जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए लगातार दबाव बनाती रही है. लेकिन अब, उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक आकांक्षाएं आतंकवाद के कारण जान गंवाने वालों के शोक की कीमत पर नहीं आनी चाहिए. उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा,

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हम में से कोई भी इस हमले का समर्थन नहीं करता. इस हमले ने हमें खोखला कर दिया है. हम इसमें उम्मीद की किरण तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले 26 सालों में मैंने कभी लोगों को इस तरह के हमले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते नहीं देखा. विरोध प्रदर्शन स्वैच्छिक थे. लोग बैनर, पोस्टर लेकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे थे.

जमीनी स्तर पर आए बदलाव पर बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा,

जब लोग हमारा समर्थन करेंगे. तब उग्रवाद और आतंकवाद समाप्त हो जाएगा. ये इसकी शुरुआत है. हमें ऐसा कुछ नहीं कहना या दिखाना चाहिए, जिससे इस आंदोलन को नुकसान पहुंचे. हम बंदूकों का इस्तेमाल करके उग्रवाद को नियंत्रित कर सकते हैं. लेकिन ये ख़त्म तभी होगा, जब लोग हमारा समर्थन करेंगे. अब ऐसा लगता है कि लोग उस बिंदु पर पहुंच रहे हैं.

अंत में अब्दुल्ला ने भारत भर की राज्य सरकारों को धन्यवाद दिया. क्योंकि उन्होंने हमले के बाद मुश्किलों का सामना कर रहे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाइयां कीं.

बता दें, पहलगाम हमले की निंदा करते हुए प्रस्ताव उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पेश किया. इससे पहले, विधानसभा सदस्यों ने हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा.

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