पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Attack) में 26 आम नागरिकों की हत्या कर दी गई. इससे दो महीने पहले, बड़े पैमाने पर इस इलाके की सैटेलाइट तस्वीरें ऑर्डर की गई थीं. ये ऑर्डर अमेरिका की एक टॉप स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी ‘मैक्सार टेक्नोलॉजीज’ को मिले थे. मैक्सार को पहलगाम और उसके आस-पास के इलाकों की हाई-रिज़ॉल्यूशन यानी HD सैटेलाइट तस्वीरों के लिए जमकर ऑर्डर मिले थे. इससे पहले इस इलाके की तस्वीरों के लिए इस कंपनी को इतने ऑर्डर कभी नहीं मिले थे.
आतंकी हमले से पहले US की एक कंपनी से बार-बार खरीदी जा रही थीं पहलगाम की तस्वीरें
अमेरिका की कंपनी Maxar से एक तस्वीर खरीदने की कीमत 3 लाख रुपये से शुरू होती है. Pahalgam Terror Attack के कुछ महीनों पहले ही इस कंपनी को इस इलाके की बहुत सारी तस्वीरों के ऑर्डर मिले थे. इस कंपनी का पाकिस्तान से भी कनेक्शन पता लगा है.

द प्रिंट की पत्रकार सौम्या पिल्लई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी साल 2 से 22 फरवरी के बीच, मैक्सार टेक्नोलॉजीज को कम से कम 12 ऑर्डर दिए गए. ये सामान्य तौर पर मिलने वाले आर्डरों के मुकाबले दोगुने हैं. दुनियाभर की सरकारी और डिफेंस एजेंसियां अमेरिका की कंपनी से सैटेलाइट तस्वीरें खरीदती रही हैं.
Maxar का पाकिस्तानी कनेक्शनरिपोर्ट में बताया गया कि इस इलाके की तस्वीरों के ऑर्डर पिछले साल जून में मिलने लगे थे. इससे कुछ महीनों पहले ही मैक्सार ने पाकिस्तान की एक कंपनी से साझेदारी की थी. इस कंपनी का नाम ‘बिजनेस सिस्टम्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड’ है. संक्षेप में इसे BSI कहा जाता है. इस कंपनी के फाउंडर का नाम ओबैदुल्ला सैयद है. ये कंपनी जियोग्रॉफिकल लोकशंस की जानकारी मुहैया कराती है.
इस बात की जानकारी तो नहीं हो पाई है कि पहलगाम वाली सैटेलाइट तस्वीरों के ऑर्डर इसी पाकिस्तान बेस्ड कंपनी ने दिए थे या नहीं. लेकिन डिफेंस एक्सपर्ट और दूसरे जानकारों के साथ-साथ कुछ वैज्ञानिकों ने भी इस आशंका को खारिज नहीं किया है. उन्होंने द प्रिंट को बताया कि कंपनी के फाउंडर के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए इस संयोग को खारिज नहीं किया जा सकता. क्योंकि इस कंपनी का अमेरिका में एक आपराधिक मामले में नाम भी आ चुका है.
ओबैदुल्ला सैयद को अमेरिका से ‘पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग’ यानी PAEC से जुड़े एक मामले में दोषी पाया गया था. PAEC, हाई एक्सप्लोसिव (विस्फोटक) और परमाणु हथियार के पार्ट्स डिजाइन करता है. पाकिस्तान की ये एजेंसी ठोस ईंधन वाली बैलिस्टिक मिसाइलें भी डेवलप करती है.
अमेरिका की एक अदालत के अनुसार, सैयद ने ‘हाई परफार्मेंस वाले कंप्यूटर उपकरण’ और ‘सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉल्यूशन’ का अवैध निर्यात किया. सैयद ने अवैध रूप से इसे अमेरिका से PAEC को एक्सपोर्ट किया. इस मामले में सैयद को एक साल की जेल की सजा भी सुनाई गई थी.
मैक्सार की सेवाएं लेने वाले एक सूत्र ने बताया,
मैक्सार ने पाकिस्तानी कंपनी की बिना जांच पड़ताल किये उसे अपना पार्टनर बनाया. ये काफी चिंताजनक है. भारत को ऐसी सैटेलाइट इमेज और डेटा कंपनियों पर दबाव बनाना चाहिए, ताकि वो पाकिस्तान के साथ काम करना बंद करें.
मैक्सार के पोर्टल पर द प्रिंट को जो जानकारी हासिल हुई है, उससे पता चला कि पहलगाम के अलावा सैटेलाइट इमेज में पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामुल्ला के कुछ हिस्से भी दिखाए गए हैं. सैन्य दृष्टि से ये सभी भारत के संवेदनशील क्षेत्र हैं.
इस कंपनी की सैटेलाइट इमेज की कीमत 3 लाख रुपये से शुरू होती है. ग्राहक को जितना हाई रिज़ॉल्यूशन चाहिए उसी के हिसाब से कंपनी पैसे वसूलती है. ISRO के एक वैज्ञानिक ने कहा,
सैटेलाइट सर्विलांस किसी भी देश की खुफिया जानकारी की रीढ़ बन गई है. हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि इन तस्वीरों का इस्तेमाल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमलों की योजना बनाने के लिए किया गया था या नहीं, लेकिन भारत मैक्सार से इन तस्वीरों की जांच करने के लिए कह सकता है.
‘मैक्सार टेक्नोलॉजीज’ अपने सैटेलाइट के लिए जानी जाती है. ये कंपनी 30 सेमी से 15 सेमी तक के पिक्सल रिज़ॉल्यूशन वाली HD तस्वीरें मुहैया कराती है. पिक्सल का आकार जितना छोटा होगा, तस्वीर उतनी साफ और बढ़िया होगी. भारत की बात करें तो रक्षा मंत्रालय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो जैसी सरकारी एजेंसियां मैक्सार की कई सर्विसेज लेती हैं. कम से कम 11 भारतीय अंतरिक्ष स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप्स और दूसरी कंपनियां मैक्सार टेक्नोलॉजीज़ की ग्राहक और पार्टनर हैं.
इन हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरों का इस्तेमाल अक्सर सेनाएं या रक्षा एजेंसियां करती हैं. इन HD तस्वीरों का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों, अवैध घुसपैठ और तस्करी आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा इन सैटेलाइट इमेज के जरिये सेनाएं सीमा पर होने वाली दूसरी चीजों पर नजर रखती हैं. जैसे कि स्थायी ढांचे का निर्माण वगैरह.
फरवरी में सबसे ज्यादा आर्डरद प्रिंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी 2025 में पहलगाम इलाके की तस्वीरों के सबसे ज्यादा ऑर्डर मिले थे. फरवरी की ही 12, 15, 18, 21 और 22 तारीख को सबसे ज्यादा खरीदारी की गई थी. मार्च में कोई ऑर्डर नहीं मिला. लेकिन आतंकी हमले से दस दिन पहले 12 अप्रैल को भी ऑर्डर दिया गया था. उसके बाद के दिनों में 24 और 29 अप्रैल को इस इलाके की सैटेलाइट तस्वीरों के लिए दो आर्डर मिले थे. उसके बाद से कोई ऑर्डर नहीं दिया गया है. सैटेलाइट इमेज के रिज़ॉल्यूशन या किस कंपनी या देश ने तस्वीरों की खरीदारी की, इसको लेकर कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
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