असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि राज्य के दक्षिणी और मध्य इलाके में घुसपैठियों ने असमिया लोगों को अल्पसंख्यक बना दिया है. और अब उनका अगला लक्ष्य उत्तर असम है. उन्होंने राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
'जमीन के ज़रिए असमिया लोगों को खत्म करने का जिहाद', बोले CM हिमंता
Himanta Biswa Sarma ने कहा है कि जिस क्षेत्र से लोगों की जमीन वापस ली गई है, वहां के वोटर लिस्ट से भी उन लोगों के नाम हटाए जाएंगे.

हिमंता बिस्वा सरमा ने 15 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा,
ये सिर्फ जमीनी जिहाद नहीं है, बल्कि असमिया लोगों को खत्म करने का जिहाद है.
पिछली कांग्रेस सरकार कमजोर थी, इसलिए घुसपैठियों का मनोबल बढ़ा और उन्होंने साहस किया. आज भी विपक्ष अडानी और अंबानी का बहाना लेकर प्रशासन का मनोबल तोड़ने की कोशिश कर रहा है, ताकि घुसपैठिए आराम से बच जाएं. ये घुसपैठियों की साजिश है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले चार साल के दौरान घुसपैठियों से 160 स्क्वायर किलोमीटर जमीन वापस ली है. उन्होंने कहा,
जिन परिवारों से हमने सरकारी जमीन वापस ली, उनमें से कई के पास पहले से ही अपनी निजी जमीन थी. उन्होंने सरकारी जमीन पर इसलिए कब्जा किया ताकि वो जनसांख्यिकीय परिवर्तन कर सकें. (इलाके में अपनी संख्या बढ़ा सकें.) असम में पिछले चार साल के दौरान हमने घुसपैठियों से 160 स्क्वायर किलोमीटर भूमि वापस ली है. ये क्षेत्रफल चंडीगढ़ शहर से बड़ा है और लगभग दक्षिण दिल्ली के 2/3 के बराबर है. हम एक-एक इंच जमीन से अतिक्रमण को खत्म करेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि 2021 में सत्ता में आने के बाद से, उनकी सरकार ने 1.19 लाख बीघा से ज्यादा जमीन खाली कराने के लिए बेदखली अभियान शुरू किया है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ जमीन खाली करवाई जा रही है बल्कि असम के हितों में उसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि लगभग 50,000 लोगों को बेदखल किया गया है. जहां से उनको हटाया गया है, उस जगह की मतदाता सूची से उनके नाम हटाने का काम जिला प्रशासन को सौंपा गया है. सरमा ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि असमिया निर्वाचन क्षेत्रों की रक्षा की जाए. उन्होंने बताया,
उनके नाम उनके मूल गांव (की मतदाता सूची) में है. आप दो जगहों पर नाम नहीं रख सकते. एक बार जब उन्हें बेदखल कर दिया जाता है और उनके घर चले जाते हैं, तो प्रशासन को मतदाता सूची से नाम हटाने होते हैं. हमारा काम असमिया निर्वाचन क्षेत्र की रक्षा करना है... अब तक लगभग 50,000 लोगों को बेदखल किया जा चुका है, लेकिन उनके नाम असम की मतदाता सूची में कहीं न कहीं जरूर होंगे. अगर वो भारतीय या वास्तविक नागरिक हैं, तो उनके नाम असम की मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे, लेकिन दोहराव को रोका जाएगा.
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उन्होंने इस महीने की शुरुआत में लखीमपुर जिले में चलाए गए बेदखली अभियान का जिक्र किया. ये ऊपरी असम का एक इलाका है और जहां मिसिंग, देवरी और ताई अहोम जैसे कई आदिवासी और जातीय असमिया समुदाय रहते हैं. यहां लगभग 220 परिवारों को बेदखल किया गया था. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इनमें से 64 बारपेटा से, 36 नागांव से और बाकी ग्वालपाड़ा, कछार और दक्षिण सलमारा-मनकाछार से आए थे.
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