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बर्फीले पहाड़ों पर गुटखा थूक कर घूमने का आनंद लेते हैं भारत के लोग, तस्वीर में दिखे सबूत

लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर चट्टानों और पेड़ों पर गुटखे की पीक के निशान, सड़कों पर बिखरे प्लास्टिक के रैपर, बोतलें और खाने के पैकेट्स ने इन क्षेत्रों को कूड़ाघर में तब्दील कर दिया है.

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ऐसा नजारा देखकर स्थानीय लोग और पर्यावरणविद् आक्रोशित हैं. (फोटो- रेडिट)

भारत के खूबसूरत पहाड़ी इलाकों में पर्यटकों के कूड़ा फैलाने के मामले नए नहीं हैं. सोशल मीडिया पर लोग पहाड़ों पर कूड़ा देख गुस्से और चिंता से भर जाते हैं. ऐसा ही एक और पोस्ट सामने आया है. जहां प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर स्थानों पर पर्यटकों ने गुटखे के पैकेट्स, प्लास्टिक कचरा और कई तरह का कूड़ा फेंक वहां की शुद्धता और सुंदरता को नष्ट कर दिया.

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पहाड़ों पर कूड़ा फैलाने का नया मामला सोशल मीडिया वेबसाइट रेडिट पर डाले गए एक पोस्ट के बाद सामने आया. रेडिट पर ‘obliveris’ नाम के यूजर ने बर्फ से लदे पहाड़ों की तीन फोटोज पोस्ट कीं. लेकिन बर्फ के अलावा इन पहाड़ों पर गुटखे की पीक के निशान, सड़कों पर बिखरे प्लास्टिक के रैपर, बोतलें और खाने के पैकेट्स ने दिख रहे हैं. इससे इन इलाकों की खूबसूरती पर दाग लग गया है. ‘obliveris’ ने फोटो पोस्ट करते हुए लिखा,

“समुद्र तल से 9,000 फीट ऊपर, यहां मुश्किल से 100 पर्यटक हैं, फिर भी बर्फ में गुटखा और कूड़ा फैला हुआ है.”

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इतना ही नहीं, कैप्शन में यूजर ने पर्यटकों की उदासीनता पर सवाल उठाया, "भारतीय पर्यटकों को अपना कचरा स्वयं उठाने से कौन रोक रहा है?"

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‘obliveris’ नाम के यूजर ने बर्फ से लदे पहाड़ों की तीन फोटोज पोस्ट की.

ये नजारा देखकर स्थानीय लोग और पर्यावरणविद् आक्रोशित हैं. एक यूजर ने अपना निजी अनुभव साझा करते हुए गुस्से में लिखा,

"मैंने हाल ही में तुंगनाथ ट्रेल पर भी यही देखा. शराब की बोतलें, गुटखे के पैकेट और सफेद बर्फ पर नारंगी रंग का थूक. ऐसे लोगों को वाकई बेल्ट ट्रीटमेंट की जरूरत है."

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एक अन्य यूजर ने कॉमेंट किया,

"प्रकृति के प्रति ऐसी उपेक्षा देखना निराशाजनक है. लोगों को इन खूबसूरत जगहों पर अपने प्रभाव को समझना चाहिए."

पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग अपनी आजीविका के लिए पर्यटन पर निर्भर रहते हैं, लेकिन कचरे और प्रदूषण के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आ सकती है. साथ ही, ये उनके स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है, क्योंकि प्रदूषित पानी और मिट्टी से बीमारियां फैलने का डर बढ़ जाता है. कई स्थानीय लोगों ने ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है.

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