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जम्मू-कश्मीर में बिजली प्रोजेक्ट पर राजनीति तेज़, बीजेपी MLA पर आरोप, CM अब्दुल्ला ने घेरा

उमर ने बताया कि आरोप केवल शगुन परिहार के खिलाफ ही सामने आए हैं, लेकिन किश्तवाड़ से भाजपा के विधायक तथा विपक्ष के नेता सुनील शर्मा भी हर प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप करते हैं.

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शगुन परिहार ने इन आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना और अप्रासंगिक बताकर खारिज कर दिया है. (फोटो- PTI/X)

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में कथित राजनीतिक दखलंदाजी पर प्रतिक्रिया आई है. प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हरपाल सिंह ने एक आरोप लगाया था. हरपाल ने दावा किया था कि स्थानीय भाजपा विधायक शगुन परिहार प्रोजेक्ट में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही हैं, जिससे काम में बाधा आ रही है. इस आरोप पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, अगर उनके किसी मंत्री या विधायक पर ऐसा आरोप लगता होता तो एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) अब तक छापे मार चुका होता.

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दरअसल, हरपाल सिंह ने चेतावनी दी थी कि अगर ये दखलंदाजी जारी रही तो कंपनी प्रोजेक्ट से बाहर निकल सकती है. प्रोजेक्ट की लागत करीब 3700 करोड़ रुपये है और इसे सितंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन इसमें दो साल की देरी हो चुकी है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार, 15 दिसंबर को श्रीनगर में पत्रकारों से कहा, 

“ये प्रोजेक्ट सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए हैं. इनमें किसी भी तरह की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए. जांच एजेंसियों को इसकी जांच करनी चाहिए.” 

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उन्होंने आगे कहा, 

“अगर मेरे किसी मंत्री या विधायक पर ऐसा आरोप लगता तो एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) अब तक छापे मार चुका होता.”

उमर ने बताया कि आरोप केवल परिहार के खिलाफ ही सामने आए हैं, लेकिन किश्तवाड़ से भाजपा के विधायक तथा विपक्ष के नेता सुनील शर्मा भी हर प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप करते हैं. उमर ने आगे कहा,

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“यही वजह है कि मैंने कहा था कि संस्थाएं, जो पहले निर्वाचित सरकार के पास थीं, उन्हें हमें वापस दिया जाना चाहिए. मैं पावर मिनिस्टर हूं, लेकिन जम्मू और कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन हमें अभी तक नहीं दिया गया है.”

वहीं, शगुन परिहार ने इन आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना और अप्रासंगिक बताकर खारिज कर दिया. उनका कहना है कि ये आरोप एक महिला विधायक को बदनाम करने और कंपनी की अक्षमता को छिपाने के इरादे से लगाए गए हैं.

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