उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक सरकारी स्कूल की असिस्टेंट टीचर ने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी को लिखे लेटर में स्पष्ट कहा कि वो अब ये ‘दोहरा बोझ’ नहीं संभाल पा रही हैं. टीचर को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से जुड़ी जिम्मेदारियां दी गई थीं.
SIR: BLO बनाई गई नोएडा की टीचर ने नौकरी ही छोड़ दी, लिखा- 'हमसे न हो पाएगा'
टीचर का नाम पिंकी सिंह है. वो सेक्टर-94 स्थित गेजा हायर सेकेंडरी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती हैं. पिंकी को रॉकवुड स्कूल (सेक्टर-33) के पोलिंग सेंटर पर BLO का दायित्व सौंपा गया था. यहां उनके पास 1,179 वोटर्स की जिम्मेदारी थी. लेकिन वो केवल 215 मतदाताओं का डेटा ही ऑनलाइन सबमिट कर पाईं.


इंडिया टुडे से जुड़े भूपेंद्र चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक टीचर का नाम पिंकी सिंह है. वो सेक्टर-94 स्थित गेजा हायर सेकेंडरी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती हैं. पिंकी को रॉकवुड स्कूल (सेक्टर-33) के पोलिंग सेंटर पर BLO का दायित्व सौंपा गया था. यहां उनके पास 1,179 वोटर्स की जिम्मेदारी थी. लेकिन वो केवल 215 मतदाताओं का डेटा ही ऑनलाइन सबमिट कर पाईं.
पिंकी का इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल है. लेटर में उन्होंने लिखा,
"1,179 मतदाताओं में से मैं केवल 215 का डेटा ही ऑनलाइन डाल पाई. अब मैं ये काम नहीं कर पा रही. न तो पढ़ाई ठीक से करा पाऊंगी और न ही BLO का काम."

इस इस्तीफे की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिला प्रशासन ने हाल ही में SIR कार्य में कथित लापरवाही के लिए कई पोलिंग स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की है. शनिवार, 22 नवंबर को SIR ड्यूटी से जुड़ी लापरवाही के आरोप में 60 BLO और 7 सुपरवाइजर के खिलाफ FIR दर्ज की गई. इसके बाद से पोलिंग स्टाफ के कामकाज और उन पर पड़ रहे दबाव की खूब चर्चा है.
बंगाल में एक और BLO पहुंचा अस्पताल
उधर, बंगाल के 24 परगना से एक और पीड़ित BLO की कहानी सामने आई है. सरकारी टीचर सुमन कुमार दास को मचलंदपुर में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का काम सौंपा गया था. सुमन ने कुछ दिन काम किया. लेकिन अब वो अस्पताल में हैं. उनके भाई अयान दास का आरोप है कि BLO बनाए जाने के बाद सुमन पर इतना वर्कलोड हो गया कि वे उसे हैंडल नहीं कर पाए और बीमार पड़ गए. उन्हें आराम करने का बिल्कुल समय नहीं मिल सका.
भाई अयान का कहना है कि कुछ दिनों से तो सुमन सो भी नहीं पा रहे थे. आखिरकार वे बीमार पड़ गए और अब इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं. अयान ने कहा, "सुमन दादा कुछ दिनों से बीमार थे. उन पर काम का बहुत ज्यादा दबाव था. (SIR से जुड़े) गणना फॉर्म को ऑनलाइन सबमिट करने में बहुत समय लग रहा था. उन्हें लगा कि वे तय वक्त में फॉर्म सबमिट ही नहीं करा पाएंगे. मैंने उन्हें रात में फॉर्म सबमिट करने का सुझाव दिया था. तब से उन्होंने खाना-पीना और सोना छोड़ दिया था."
अयान ने आगे बताया कि सुबह उनके पड़ोसी SIR को लेकर कुछ पूछताछ करने आए थे. वे सुमन के कमरे में गए तो वहां उन्हें बेहोश हालत में पाया. अब अयान अपने बड़े भाई की इस हालत के लिए SIR प्रोसेस और इसके वर्कलोड को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
SIR में BLOs की हालत खराब12 राज्यों में 4 नवंबर को शुरू हुए SIR अभियान के तहत BLOs को गणना से जुड़े फॉर्म बांटने, इकट्ठा करने और ऐप के जरिए डेटा डिजिटाइज करने का काम सौंपा गया है. लेकिन हाल के दिनों में ऐसे कई घटनाएं देखने को मिलींं जिनमें कथित तौर पर वर्कलोड की शिकायत के बाद या तो किसी BLO की मौत हो गई या किसी BLO ने आत्महत्या ही कर ली. लगभग सभी मृतक BLO के परिवारों ने वर्कलोड को ही उनकी मौत की सबसे पहली वजह बताया है.
ज्यादातर BLO टीचर या सरकारी कर्मचारी होते हैं जो पहले से ही अपनी फुल-टाइम जिम्मेदारियों में जूझ रहे हैं. एक बूथ पर आमतौर पर 1000-1200 वोटर होते हैं. एक BLO को संपर्क सुनिश्चित करने के लिए तीन बार विजिट करना पड़ता है. बंगाल के कई अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल एंट्री की तेजी, देर रात दिए गए निर्देश और अचानक आने वाले इंस्ट्रक्शन अब असहनीय हो गए हैं. इसके बाद कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं.
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