केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ में उपराज्यपाल का शासन स्थापित किए जाने की अटकलों पर रविवार 23 नवंबर को बयान जारी किया. अमित शाह के मंत्रालय ने साफ कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने पर विचार कर रही है. अभी यह शुरुआती चरण में है. इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.
‘चंडीगढ़ पर तुरंत कोई फैसला नहीं...’, गृह मंत्रालय ने मोदी सरकार का प्लान बताया
Chandigarh का स्टेटस बदलने पर केंद्र सरकार ने अब यू-टर्न ले लिया है. पहले यह बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार 1 से 19 दिसंबर के शीतकालीन सत्र में ऐसा बिल ला सकती है, जिससे चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 239 की जगह 240 में शामिल किया जाए. इसका आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने तीखा विरोध करना शुरू कर दिया था.


गृह मंत्रालय ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा,
“यह प्रस्ताव अभी केंद्र सरकार के विचार में है. इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. यह सिर्फ चंडीगढ़ के लिए केंद्रीय कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान करने से जुड़ा है. इससे चंडीगढ़ की व्यवस्था, प्रशासन या पंजाब-हरियाणा के साथ उसके संबंधों में कोई बदलाव नहीं होगा.”
पोस्ट में आगे लिखा गया,
“केंद्र सरकार सभी से बातचीत करने के बाद ही कोई कदम उठाएगी. चंडीगढ़ के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. केंद्र सरकार की अभी इस विषय पर आने वाले शीतकालीन सत्र में कोई बिल लाने की योजना नहीं है.”

दरअसल, बीते दिनों संसद की बुलेटिन में “संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025” का जिक्र सामने आया था. इस बिल में चंडीगढ़ को आर्टिकल-240 में शामिल करने का प्रस्ताव था. संविधान के आर्टिकल-240 में उन केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) का प्रशासन आता है, जिनके पास विधायिका नहीं होती.
ऐसे में अगर चंडीगढ़ को इसमें लाया गया तो वहां भी लेफ्टिनेंट गवर्नर यानी उपराज्यपाल की तैनाती की जाएगी. फिर इस केंद्र शासित प्रदेश का शासन उपराज्यपाल के जरिए चलेगा. अभी तक पंजाब के राज्यपाल चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर काम करते हैं.
अभी तक आर्टिकल-240 की कैटिगरी में अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव और पुडुचेरी (जब उसकी विधानसभा भंग या निलंबित हो) शामिल हैं. इस बदलाव से चंडीगढ़ का प्रशासन भी इन्हीं क्षेत्रों जैसा हो जाएगा यानी चंडीगढ़ के लिए एक स्वतंत्र प्रशासक नियुक्त किया जाएगा.
विपक्ष भड़कापंजाब के सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी (AAP) और विपक्षी कांग्रेस दोनों ही इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पंजाब के चंडीगढ़ पर अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. चंडीगढ़ अभी हरियाणा और पंजाब दोनों की संयुक्त राजधानी है.
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे पंजाब के साथ “अन्याय” बताया. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़, पंजाब का अभिन्न हिस्सा है. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राजा वडिंग ने चेतावनी दी कि चंडीगढ़ को “छीनने” की किसी कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे.
वहीं, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने इसे पंजाब के अधिकारों पर “हमला” बताया. AAP सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने सभी पंजाब सांसदों से गृह मंत्री से मिलने की अपील की. लेकिन अब केंद्र के बयान के बाद इस मुद्दे पर सरकार का आधिकारिक रुख साफ हो गया है.
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