केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 24 जुलाई को राज्यसभा में स्वीकार किया कि कुछ लोग संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.
संविधान प्रस्तावना से हटेंगे 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द? सरकार ने संसद में साफ कर दिया
दरअसल, RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के एक महीने पहले दिए एक बयान के बाद ये विवाद शुरू हुआ था. उन्होंने कहा था कि आपातकाल के दौरान प्रस्तावना में जोड़े गए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर चर्चा की जानी चाहिए.

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के लिखित सवाल के जवाब में मेघवाल ने कहा,
“भारत सरकार ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की कोई कानूनी या संवैधानिक प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू नहीं की है. भले ही कुछ सार्वजनिक या राजनीतिक हलकों में इस पर चर्चा हो रही हो, लेकिन सरकार की ओर से इन शब्दों में संशोधन को लेकर कोई औपचारिक निर्णय या प्रस्ताव अब तक घोषित नहीं किया गया है.”
दरअसल, RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के एक महीने पहले दिए एक बयान के बाद ये विवाद हुआ था. उन्होंने कहा था कि आपातकाल के दौरान प्रस्तावना में जोड़े गए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर चर्चा की जानी चाहिए.
सपा सांसद सुमन ने यह भी पूछा था कि क्या ‘कुछ सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी’ इन शब्दों को हटाने के लिए माहौल बना रहे हैं. इस पर मंत्री मेघवाल ने कहा,
"कुछ सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा बनाए गए माहौल' के संदर्भ में यह संभव है कि कुछ समूह इन शब्दों पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हों या अपनी राय व्यक्त कर रहे हों. ऐसे प्रयास सार्वजनिक विमर्श या बहस का कारण बन सकते हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं कि सरकार की आधिकारिक स्थिति या कार्रवाई को दर्शाते हों."
मेघवाल ने सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2024 के एक फैसले का भी हवाला दिया. केंद्रीय मंत्री ने कहा,
“डॉ. बलराम सिंह व अन्य बनाम भारत सरकार, जिसमें 42वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि भारतीय संदर्भ में ‘समाजवाद’ का अर्थ कल्याणकारी राज्य से है. और यह प्राइवेट सेक्टर के विकास में बाधा नहीं है, जबकि ‘धर्मनिरपेक्षता’ संविधान की मूल संरचना का अभिन्न हिस्सा है.”
जब सांसद ने सरकार की स्थिति स्पष्ट करने को कहा, तो मेघवाल ने कहा,
“सरकार की आधिकारिक स्थिति यह है कि फिलहाल संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की कोई योजना या इरादा नहीं है. प्रस्तावना में कोई संशोधन व्यापक विचार-विमर्श और सर्वसम्मति से ही हो सकता है, लेकिन अभी तक सरकार ने ऐसी कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है.”
गौरतलब है कि बीती 26 जून को, आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए RSS नेता दत्तात्रेय होसबाले ने कांग्रेस से माफी मांगने को कहा और प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान जोड़े गए शब्दों पर पुनः चर्चा की मांग की थी.
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