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भारत के भगोड़े नित्यानंद के चेलों ने बोलीविया में अब क्या कांड कर दिया?

यौन उत्पीड़न का आरोपी भगोड़े Nithyanand के अनुयायियों पर Bolivia में बड़ा आरोप लगा है. नित्यानंद के कथित हिंदू राष्ट्र कैलासा के प्रतिनिधियों ने बोलीविया में आदिवासियों को बहकाकर जमीन सौदा करने की कोशिश की.

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नित्यानंद के अनुयायियों ने बोलीविया में जमीन सौदेबाजी की कोशिश की

यौन उत्पीड़न का आरोपी भगोड़े नित्यानंद (Nithyananda) का एक और कारनामा बोलीविया में सामने आया है. यहां यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा (KAILASA) से जुड़े उसके अनुयायियों ने कथित तौर पर आदिवासी समुदाय (Indigenous people) के लोगों को बहकाकर जमीन हासिल करने की कोशिश की. ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नित्यानंद के अनुयायी लाखों डॉलर खर्च करके बोलीविया में जमीन पट्टे पर लेने की कोशिश कर रहे थे. सितंबर और नवंबर 2024 के बीच कैलासा के प्रतिनिधियों ने कम से कम 4 आदिवासी समूहों के साथ 1,000 साल के पट्टे के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए थे.

रिपोर्ट में बताया गया कि सितंबर से नवंबर 2024 के बीच कैलासा के प्रतिनिधियों ने बोलीविया के कम से कम 4 आदिवासी समुदायों के साथ 1,000 साल के लीज कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए. साल 2024 के अंत में बाउरे समुदाय के एक प्रतिनिधि ने 60 हजार हेक्टेयर वर्षावन को सालाना 1.08 लाख डॉलर में स्थायी अनुबंध के तहत कैलासा को लीज़ पर दे दिया. इसी तरह कायुबाबा समुदाय के प्रतिनिधि ने 31 हजार हेक्टेयर भूमि 55 हजार 800 डॉलर में सौंप दी.

‘द गार्जियन’ ने लिखा है कि सब कुछ योजना के अनुसार सही चल रहा था, जब तक बोलीविया के अखबार एल डेबर ने पिछले महीने इसका पर्दाफ़ाश नहीं कर दिया. अखबार की रिपोर्टर सिलवाना विसेंटी ने द गार्जियन को बताया कि कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, कैलासा को इन आदिवासी इलाकों पर संप्रभुता, हवाई क्षेत्र और भूमिगत संसाधनों पर भी अधिकार मिल जाता. इसके साथ ही, आदिवासी समुदायों को कैलासा देश को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में समर्थन और कानूनी रक्षा करने की भी बाध्यता थी.

बता दें कि चार दिन पहले एनडीटीवी ने न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से बताया था कि दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया के अधिकारियों ने कैलासा से जुड़े 20 लोगों को गिरफ्तार किया है. बताया गया कि ये लोग आदिवासी समूहों के साथ अमेज़न के बड़े भूभाग के लिए 1,000 साल के पट्टे पर अनुबंध कर रहे थे. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि समझौतों को रद्द कर दिया गया है और कैलासा के प्रतिनिधियों को भारत, अमेरिका और चीन समेत उन देशों में निर्वासित कर दिया गया, जहां के वे थे.

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कानूनों का उल्लंघन हैं कॉन्ट्रैक्ट

आदिवासियों की जमीन के मुद्दों पर काम करने वाली वकील जोवाना मोरालेस ने बताया कि ये कॉन्ट्रैक्ट अपमानजनक थे और कानूनों का उल्लंघन भी करते थे. बोलिविया में पट्टे की अधिकतम अवधि 10 साल तक ही निर्धारित की गई है. उन्होंने कहा कि अजीब बात है कि आज तक इस बारे में कोई नहीं जानता कि असल में हुआ क्या था? वे लोग देश के अंदर कैसे आए और आदिवासियों के इन इलाकों तक कैसे पहुंचे थे?

ये मामला सामने आया तो बोलिवियाई सरकार ने कैलासा नाम के किसी देश के साथ किसी भी तरह के राजनयिक संबंधों से इनकार किया. हालांकि, इस बीच बोलीविया के राष्ट्रपति लुइस आर्से की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वह कैलासा के प्रतिनिधियों के साथ मुस्कुरा रहे थे. इसके बाद बोलीविया सरकार ने स्पष्टीकरण दिया था कि ये तस्वीर एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान ली गई थी. उन्होंने कहा कि भगवा ड्रेस पहनी एक महिला ने तस्वीर के लिए अनुरोध किया था, जो कि ऐसे कार्यक्रम में आम बात होती है.

पत्रकारों को धमकी

वहीं, बोलीविया के पत्रकारों ने आरोप लगाया कि मामले का खुलासा करने के बाद उन्हें धमकियां मिल रही हैं. कैलासा के प्रतिनिधि उन्हें धमका रहे हैं. आरोपी नित्यानंद के ठिकाने का किसी को पता नहीं है. ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, बीते दिनों सोशल मीडिया पर उसका एक 'प्रेसिडेंशियल एड्रेस' सामने आया था, जिसमें उसने लीज एग्रीमेंट की बातें स्वीकार की थीं. नित्यानंद का दावा है कि वह आदिवासी समुदायों की पर्यावरण संरक्षण के मामले में मदद करना चाहते थे. 

क्या बोले आदिवासी

वहीं, मल्टी-एथनिक इंडिजिनस टेरिटरी नाम एक एक संगठन, जिसमें कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने वाले आदिवासी लोग शामिल हैं ने एक बयान जारी किया और कहा कि कैलासा ने अपने कुछ प्रतिनिधियों के साथ मिलकर हेरफेर की और उनकी कमज़ोरी का फायदा उठाया. उन्होंने आगे कि हमारा क्षेत्र बिक्री के लिए नहीं है. हमारी जमीन उन पीढ़ियों की विरासत है जिन्होंने खून देकर इसकी देखभाल की है.

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कौन है नित्यानंद

स्वयंभू संत नित्यानंद साल 2019 में भारत छोड़कर भाग गया था. उस पर गुजरात में यौन उत्पीड़न का केस दर्ज है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत से भागकर नित्यानंद ने इक्वाडोर में जमीन खरीदी और उसे अपना देश घोषित कर दिया. नित्यानंद ने इस कथित देश का नाम 'कैलासा' या ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ USK रखा है. दावा है कि यह दुनिया का अकेला 'हिंदू राष्ट्र' है. कैलासा की वेबसाइट के मुताबिक, ये देश दुनियाभर में सताए गए हिंदुओं को सुरक्षा देता है.

वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, कैलासा में अंग्रेजी, संस्कृत और तमिल भाषा बोली जाती है. इस कथित देश का राष्ट्रीय पशु 'नंदी' है. राष्ट्रीय ध्वज 'ऋषभ ध्वज' है. झंडे पर नित्यानंद की तस्वीर भी लगी है. देश का राष्ट्रीय फूल 'कमल' और राष्ट्रीय पेड़ 'बरगद' है. इतना ही नहीं, कैलासा का अपना संविधान होने का दावा भी किया गया है. बोलीविया से पहले पराग्वे में भी कैलासा के प्रतिनिधियों ने जमीन खरीदने की कोशिश की थी. 

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