नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने देश में जाति जनगणना (Caste Census) का एलान कर दिया है. अगली जनगणना के साथ ही जातियों की भी गिनती की जाएगी. अब इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जाति जनगणना में मुसलमानों की जातियां भी शामिल होंगी.
जातीय जनगणना: मुस्लिम जातियों की भी होगी गिनती, पसमांदा समुदाय को लेकर रिपोर्ट में बड़ा दावा
केंद्र सरकार ने देश में जाति जनगणना का एलान कर दिया है, जो अगली जनगणना के साथ ही की जाएगी. इस जनगणना में मुस्लिमों की जातियों की भी गणना की जाएगी. पसमांदा मुस्लिमों को ओबीसी कैटिगरी में रखा जा सकता है.

जनगणना के दौरान धर्म के कॉलम के साथ सभी के लिए जाति का भी कॉलम होगा. इसके जरिए मुस्लिम समुदाय की कई जातियों का पहली बार डॉक्युमेंटेशन किया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि, मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की इजाजत नहीं है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जाति जनगणना में पसमांदा मुस्लिमों की गिनती ‘ओबीसी कैटिगरी’ में की जाएगी. साल 2004-2005 में सच्चर समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पूरे भारत में एससी-एसटी और ओबीसी (पसमांदा) मुसलमानों की संख्या 40 फीसदी के आसपास है. हालांकि, पसमांदा कार्यकर्ता इस आंकड़े को सही नहीं मानते. उनका कहना है कि देश भर में पसमांदा मुसलमानों की आबादी 80 से 50 फीसदी के आसपास है. ये आंकड़ा 1871 की जनगणना के आंकड़ों से मेल खाता है, जिसमें कहा गया था कि भारत में उच्च जाति के मुसलमान केवल 19 प्रतिशत हैं जबकि 81 फीसदी पिछड़ी जातियों से हैं.
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ये पहला मौका होगा जब मुसलमानों की जातिवार जनगणना होगी. ये घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी तक की जनगणना में मुसलमानों को एक धार्मिक इकाई के तौर पर ही गिना जाता था. अब पहली बार उन्हें उनकी जाति के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा. ये पहली बार होगा जब सरकार के पास मुसलमानों और उनकी जातियों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थिति के बारे में ठोस डेटा होगा.
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कब शुरू होगी जनगणनाबता दें कि अगले दो से तीन महीनों में जनगणना का काम शुरू हो सकता है. इसके लिए अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी. सारी तैयारियां पूरी होने के बाद 15 दिनों के भीतर जनगणना करा ली जाएगी. डिजिटल माध्यम से होने वाली इस जनगणना में आधार, बायोमेट्रिक डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, जनगणना से मिले डेटा के विश्लेषण में एक से दो साल लग सकते हैं.
इसके बाद इसे रिपोर्ट की तरह प्रकाशित किया जाएगा. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार महिला आरक्षण के साथ 2029 का लोकसभा चुनाव कराना चाहती है. ऐसे में अगले साल जब जनगणना पूरी हो जाएगी, उसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए राज्यों का दौरा करेगा.
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