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लखनऊ में पकड़ा गया फर्जी IAS, 150 लोगों से 80 करोड़ की ठगी, 6 साल से थी तलाश

Fake IAS caught in Lucknow: 'मैं 2014 बैच का IAS हूं और गुजरात सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटेरी हूं', पुलिस के मुताबिक आरोपी यही बोलकर लोगों से मिलता था और फिर उन्हें लाखों की चपत लगा देता था.

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लखनऊ से पकड़ा गया आरोपी विवेक मिश्रा. (Photo: ITG)

लखनऊ से एक फर्जी IAS अधिकारी पकड़ा गया है, जो सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को ठगता था. आरोपी खुद को गुजरात सरकार का प्रिंसिपल सेक्रेटेरी बताता था. उसने 150 से ज्यादा लोगों को ठगा था और उनसे 80 करोड़ रुपये ऐंठ चुका था. आरोपी ने लोगों से DSP और PRO बनवाने तक का झूठा वादा किया था. CID पिछले पांच साल से उसको ढूंढ रही थी. अब उसे लखनऊ के कमता बस स्टैंड के पास से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. 

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आजतक से जुड़े अंकित मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी का नाम विवेक मिश्रा है. उसके खिलाफ आशुतोष मिश्रा नाम के शख्स ने 2019 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. आशुतोष मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं. उन्होंने पुलिस को बताया था कि जून 2018 में कुछ रिश्तेदारों ने उन्हें विवेक से मिलवाया था. तब विवेक ने खुद को 2014 बैच का IAS अधिकारी बताया था और कहा था कि वह गुजरात में प्रिंसिपल सेक्रेटेरी के पद पर तैनात है.

फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर बांटे

विवेक ने यह भी दावा किया कि उसकी दो बहनें भी गुजरात कैडर की IPS अधिकारी हैं. उसने आशुतोष को गुजरात सरकार के गृह मंत्रालय में जनसंपर्क अधिकारी और डिप्टी एसपी (स्पोर्ट्स कोटा) के पदों पर अपॉइंटमेंट लेटर भी दिए थे. हालांकि बाद में डॉक्यूमेंट्स चेक किए गए तो फर्जी निकले.

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इसके बाद आशुतोष ने पुलिस से संपर्क किया. मामले की जांच सीआईडी कर रही थी. जांच में पता चला कि आरोपी फर्जी नौकरी दिलाने का पूरा रैकेट चला रहा था. उसने कई राज्यों में लोगों को ठगा था और उनसे करोड़ों रुपये वसूले थे. लखनऊ पुलिस के मुताबिक आरोपी विवेक सोशल मीडिया के जरिए लोगों को फंसाता था. उसने सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर फर्जी प्रोफाइल बना रखे थे. वह मुख्य रूप से महिलाओं को निशाना बनाता था. सोशल मीडिया में उनसे संपर्क करता था. फिर पैसों के बदले सरकारी नौकरी दिलाने का वादा करता था.

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टाइम्स ऑफ इंडिया ने CID के DIG अशोक शुक्ला के हवाले से बताया कि विवेक नकली मुहर और लेटरहेड का इस्तेमाल करके फर्जी नियुक्ति पत्र बनाता था. उसने यहां तक बता रखा था कि वह राजभवन में पोस्टेड है. लोगों से नौकरी दिलाने के बदले 2 से 5 लाख रुपये लेता था. वह मूल रूप से झारखंड के बोकारो का रहने वाला है और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. फिलहाल पुलिस उसके बैंक खातों और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच कर रही है.

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