हमने अक्सर सुना है कि लोग किसी अनजान व्यक्ति की शादी में बिन बुलाए पहुंच जाते हैं. इसके पीछे उनका एक ही मकसद होता है—खाना. कभी-कभी पकड़े भी जाते हैं फिर भी लोग उन पर उतना नाराज नहीं होते. शादी का मौका है भई, तो खुशी के मौके पर खाना खिलाने में कोई हर्ज नहीं. लेकिन दिल्ली और उत्तर भारत के कई इलाकों में एक गैंग सक्रिय है. ये भी शादियों में घुसता है. लेकिन इनका मकसद चुपके से खाना खाकर निकलना नहीं होता. इनकी नजर उन लोगों पर होती है, जिनके पास गहनों और नकदी से भरा बैग होता है. कपड़े ये इतने बढ़िया और सलीके से पहनते हैं जितना दूल्हे के फूफा भी नहीं पहनते. मौका मिलते ही कैश से भरा बैग लेकर रफूचक्कर (Stealing Cash and Jewellery in Weddings) हो जाते हैं. इस गैंग का नाम है 'बैंड बाजा बारात' गैंग (Band Baaja Barat Gang). काफी समय तक शादियों में चोरी की वारदातों को अंजाम देने के बाद दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने इस गैंग को धर दबोचा है. गिरफ्तार किए गए चार सदस्यों में से एक नाबालिग है.
शादी में मेहमान बनकर घुसते, गहने-पैसे गायब कर देते, अब दिल्ली पुलिस ने धर लिया
Band Baaja Barat Gang के लीडर ने Delhi Police को बताया कि 9 से 15 साल के बच्चों को इस काम के लिए रखा जाता था. उनके मां-बाप को एक साल के कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर 10-12 लाख रुपये का लालच दिया जाता था.

दिल्ली पुलिस ने बताया कि यह गैंग केवल महंगी शादियों को निशाना बनाता था. ऐसी जगहों पर ये लोग बढ़िया कपड़े पहन कर जाते थे. लोगों को लगता था कि ये भी शादी में आए मेहमान हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ये लोग शादी में पहुंचते ही पहले मेहमानों से घुल-मिल जाते थे. चोरी करने से पहले वहां कुछ समय भी बिताया करते थे. पुलिस ने बताया कि बीते कुछ समय से उन्हें शादियों में जूलरी और कैश चोरी की शिकायतें मिल रही थीं. एक पैटर्न को पकड़ते हुए पुलिस ने शादियों के सीसीटीवी फुटेज को खंगालना शुरू किया. मामले पर जानकारी देते हुए डीसीपी-क्राइम ब्रांच अपूर्वा गुप्ता ने बताया
वीडियो से पता चला कि चोरी करने से पहले संदिग्धों ने मेहमानों से परिचित होने के लिए वेडिंग वेन्यू पर काफी समय बिताया. लोगों से घुलने-मिलने के लिए उन्होंने अच्छे कपड़े पहने हुए थे. कभी जल्दबाजी नहीं करते थे, अपना खाना खाते थे और धैर्यपूर्वक सही समय का इंतजार करते थे. जैसे ही मौका मिलता, वे तेजी से शगुन, आभूषण या नकदी वाले बैग चुरा लेते थे और तुरंत गायब हो जाते थे.
महीनों तक क्राइम ब्रांच की टीम 'बैंड बाजा बारात' गैंग को पकड़ने के लिए प्रयासरत रही. मामले में बड़ी कामयाबी तब हाथ लगी जब पुलिस को इस गैंग के बारे में अपने एक मुखबिर से टिप मिली. पुलिस पहुंची तो गैंग के मेंबर्स एक मेट्रो स्टेशन के बाहर बस स्टॉप पर खड़े थे. पुलिस को शक हुआ कि ये लोग दिल्ली छोड़कर भागने की फिराक में हैं. पुलिस ने योजना बनाई और इन लोगों को धर दबोचा. 4 लोग गिरफ्तार हुए जिनमें एक नाबालिग भी है. इन लोगों के पास से 2.14 लाख कैश, मोबाइल फोन और चांदी के गहने बरामद हुए.
पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि वे मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और शादियों के सीजन में दिल्ली और अन्य शहरों में चोरी करने के इरादे से आते हैं. गैंग के लीडर ने पुलिस को बताया कि 9 से 15 वर्ष के नाबालिग बच्चों को इस काम के लिए रखा जाता था. उनके माता-पिता को एक वर्ष के अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) के तौर पर 10-12 लाख रुपये का लालच दिया जाता था.
डीसीपी क्राइम ब्रांच के मुताबिक, सौदा तय होने के बाद पैसे दो या अधिक किश्तों में माता-पिता को सौंप दिए जाते थे. बच्चा एक वर्ष के लिए किराए पर रखा जाता था. दिल्ली लाए जाने के बाद, बच्चों को एक महीने तक प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) दिया जाता था. उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत बनाया जाता था ताकि पकड़े जाने की स्थिति में वे अपनी पहचान न बता सकें.
दिल्ली पुलिस का कहना है कि 'बैंड बाजा बारात' गैंग के पकड़े जाने के साथ शास्त्री पार्क, जीटीबी एनक्लेव और स्वरूप नगर में हुई चोरी के मामलों को सुलझा लिया गया है.
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