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10 साल के बच्चे को था टाइफाइड, डॉक्टर ने लिख दी डायबिटीज-हार्टअटैक की दवा, बाल-बाल बचा

मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में दस साल के बच्चे को इलाज के लिए लाया गया था. पता चला कि उसे टाइफाइड और निमोनिया है. आरोप है कि बच्चे को टाइप टू डायबिटीज और सीने में दर्द (एनजाइना) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां प्रिस्क्राइब कर दी गईं. ऐसा क्यों हुआ? ये भी पता चला है.

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अस्पताल प्रशासन ने भी मामले की पुष्टि की है. (सांकेतिक तस्वीर: रॉयटर्स)

महाराष्ट्र (Maharashtra) के कल्याण के एक हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही का एक मामला सामने आया है. रिपोर्ट है कि आधारवाड़ी चौक स्थित मनोमी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में, दस साल के बच्चे को इलाज के लिए लाया गया था. पता चला कि उसे टाइफाइड और निमोनिया है. आरोप है कि लापरवाही बरतते हुए बच्चे को टाइप टू डायबिटीज और सीने में दर्द (एनजाइना) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां प्रिस्क्राइब कर दी गईं.

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NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चा तीन दिनों से इलाज के लिए अस्पताल जा रहा था. एक डॉक्टर ने उसे दवाइयां लिखीं. एक पन्ने पर टाइफाइट के इलाज के लिए आमतौर पर दी जाने वाली लिखीं. लेकिन आरोप है कि दूसरे पन्ने पर डॉक्टर ने ऐसी दवाइयां लिख दीं, जिनका टाइफाइट के इलाज से कोई लेना-देना नहीं था.

बच्चे को सीताग्लिप्टिन फॉस्फेट और मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट्स प्रिस्क्राइब की गईं. इनका उपयोग टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में किया जाता है. पर्चे पर सेंट स्प्रिन 75 भी लिखा गया था, जिसका उपयोग हृदयाघात, स्ट्रोक और हृदय से संबंधित सीने में दर्द के उपचार और रोकथाम के लिए किया जाता है.

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बच्चे की मां, अंकिता रवि गायकवाड़ ने बताया कि वो डॉक्टर के पास ये पूछने गई थीं कि क्या दवाइयां सही हैं. डॉक्टर ने उन्हें बताया कि दवाइयां सही हैं. लेकिन जब बच्चे को इंजेक्शन लगवाने के लिए दूसरे डॉक्टर के पास ले जाया गया, तब परिवार को इन दवाइयों के बारे में पता चला. पीड़ित की मां ने कहा,

वहां हमें पता चला कि बच्चे को डायबिटीज और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए ये दवाएं दी गई थीं.

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अस्पताल ने क्या सफाई दी?

अस्पताल प्रशासन ने भी घटना की पुष्टि की है और कहा है कि बच्चे को गलत दवा दी गई थी. उन्होंने ये भी कहा कि जैसे ही उन्हें गलती का एहसास हुआ, उन्होंने बच्चे के परिवार को दवा न देने की सूचना दे दी. अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि डॉ. रुषा के पास बच्चे का इलाज चल रहा था. वो एक अन्य मरीज का भी इलाज कर रही थीं और गलती से उन्होंने प्रिस्क्रिप्शन में गड़बड़ी कर दी. डॉ. सनी सिंह ने बताया कि संबंधित डॉक्टर को इस गड़बड़ी का पता नहीं चल पाया और उन्होंने बच्चे को दवा लेने के लिए कह दिया, बाद में परिवार को सूचना दी गई.

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