अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत टैरिफ की दरें आज यानी 27 अगस्त से लागू होने जा रही हैं. इससे भारतीय बाजारों में हड़कंप का माहौल है. कानपुर का चमड़ा उद्योग भी इससे अछूता नहीं है. ट्रैरिफ लागू होने से कानपुर के चमड़ा उद्योग में हलचल है. चमड़ा निर्यात परिषद (CLE) के मुताबिक, चमड़ा उद्योग के व्यापारी रूस और अफ्रीकी देशों में नए अवसर तलाशने के लिए जुट गए हैं.
अमेरिका के टैरिफ से चमड़ा इंडस्ट्री पर संकट, क्या रूस-अफ्रीका मुसीबत से बाहर निकाल पाएंगे?
Kanpur Leather Industry On US Tariff: अमेरिकी ट्रैरिफ लागू होने से कानपुर के चमड़ा उद्योग में हलचल है. चमड़ा निर्यात परिषद (CLE) के मुताबिक, चमड़ा उद्योग के व्यापारी रूस और अफ्रीकी देशों में नए अवसर तलाशने के लिए जुट गए हैं.


इंडिया टुडे से जुड़े सिमर चावला के इनपुट के मुताबिक, CLE ने टैरिफ की वजह से 90 प्रतिशत व्यापार ठप होने की आशंका जताई है. परिषद का कहना है कि निर्यातक पहले से ही 20-25% की कीमतों में कटौती की मांग कर रहे वैश्विक खरीदारों के अतिरिक्त दबाव से जूझ रहे हैं. ऐसे में अमेरिका की ओर से टैक्स बढ़ाना उद्योग के लिए बड़ा झटका है.
CLE के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर. के. जालान ने बताया कि मंगलवार 26 अगस्त को कानपुर में एक बैठक के दौरान रूस और अफ्रीकी देशों में बिज़नेस डेलिगेशन भेजने का संकल्प लिया. ये डेलिगेशन रूस और अफ्रीकी देशों में बिज़नेस के नए अवसर तलाशेंगे. जालान ने कहा,
“भारतीय जूते और चमड़े के सामान वर्षों से अमेरिका में स्थिर मौजूदगी बनाए हुए हैं. लेकिन इस टैरिफ की वजह से यह डिस्टर्ब हो गया है. नए बाजारों में प्रवेश करना कभी भी आसान प्रक्रिया नहीं होती. इतने शॉर्ट नोटिस पर दूसरा बाजार ढूंढ़ना मुश्किल है क्योंकि जूतों के साइज, डिजाइन और कस्टमर की पसंद अलग-अलग देशों में अलग-अलग होती है. हमें उम्मीद है कि यह टैरिफ अस्थायी है और सरकार 20-25% का राहत पैकेज देगी.”
इस बीच एक्सपोर्टर प्रेरणा वर्मा ने एक और समस्या की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि प्रॉडक्ट की जो कैटिगरी अमेरिका या यूरोप में अच्छी तरह बिकती हैं, वे रूस या जापान में शायद कारगर न हों, इसलिए प्रॉडक्ट्स को नए सिरे से बनाने की जरूरत होगी. बैठक में CEC के पूर्व अध्यक्ष जावेद इकबाल ने कहा कि रूसी और अफ्रीकी बाजारों में पहुंच बनाने के लिए तेजी से काम करने की सहमति बनी है.
वर्तमान अध्यक्ष असद इराकी ने बताया कि ब्रिटेन के साथ भारत का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भी नए अवसर दिलाने में मदद करेगा और इसका फायदा उठाने की कोशिश की जाएगी. प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इन देशों का दौरा शुरू करेंगे. ये डेलिगेशन कॉमर्स मंत्री पीयूष गोयल के रूस के मिशन में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, अफ्रीकी देशों में खरीदार-विक्रेता बैठकें आयोजित करने की भी योजना है.
जावेद इकबाल ने कहा कि नए बाजारों में अपनी पैठ बनाना आसान नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पहले से ही कई प्रतिस्पर्धी मौजूद हैं. साथ ही सभी देशों के खरीदार कीमतों में और कटौती चाहते हैं, जिससे मुश्किलें और बढ़ जाती हैं.
घरेलू बाजार से मिल सकती है राहतउन्होंने यह भी बताया कि भारत में अभी प्रति व्यक्ति जूते की खपत सिर्फ 1.8 जोड़ी सालाना है. इनमें से बड़ी संख्या में सस्ते जूते चीन से आते हैं. CLE का प्लान है कि इसे बढ़ाकर 2 जोड़ी प्रति व्यक्ति किया जाए. इससे घरेलू मांग 2.8 अरब जोड़ी तक पहुंच सकती है, जो निर्यात में आई गिरावट की कुछ हद तक भरपाई कर सकती है.
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