The Lallantop

लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार किया जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव, जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित

Loksabha Speaker Om Birla ने Justice Yashwant Varma को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा. कमेटी जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजेगी.

Advertisement
post-main-image
ओम बिड़ला ने जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. (इंडिया टुडे)

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (Om Birla) ने जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) को हटाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. उन्होंने जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाने का फैसला किया है. इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के एक-एक जज और एक कानूनविद शामिल होंगे. लोकसभा स्पीकर ने प्रस्ताव की जानकारी देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की कार्रवाई जरूरी है. 

Advertisement

ओम बिड़ला ने बताया कि जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाएगा. जस्टिस यशवंत वर्मा मामले की जांच से जुड़ी कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ममिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट वीवी आचार्य शामिल होंगे. यह कमेटी लोकसभा स्पीकर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. जांच रिपोर्ट आने तक जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लंबित रहेगा. 

जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच कमेटी की घोषणा करने से पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने बताया कि उन्हें पक्ष और विपक्ष के कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव मिला है. उन्होंने बताया,

Advertisement

 जस्टिस वर्मा के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत हाई कोर्ट के जज से हटाने के लिए एक प्रस्ताव है. बेदाग चरित्र न्यायपालिका में एक आदमी के विश्वास की नींव है. वर्तमान केस से जुड़े तथ्य भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हैं. और कार्रवाई के लिए प्रेरित करते हैं. इस प्रस्ताव को उचित मानते हुए मैंने इसकी स्वीकृति दे दी है.

उन्होंने आगे बताया कि संसद को भ्रष्टाचार के इस विषय में एक स्वर में बोलना चाहिए. इससे पहले राज्यसभा में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष का प्रस्ताव मिलने की जानकारी दी थी. हालांकि बाद में राज्यसभा सचिवालय की ओर से बताया गया कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी.

सुप्रीम कोर्ट से लगा था झटका 

इससे पहले 7 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा को बड़ा झटका दिया था. कोर्ट ने उनकी याचिका को सुनवाई के योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया था. यह विवाद तब शुरू हुआ जब 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के नई दिल्ली स्थित आवास के बाहरी हिस्से में जले हुए नोट मिले थे.

Advertisement

 इस घटना के बाद न्यायिक हलकों में हड़कंप मच गया था. इसके बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया था. और उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक आंतरिक कमेटी गठित की गई थी. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: जस्टिस यशवंत वर्मा केस में क्या नया मोड़ आया?

Advertisement