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ट्रांसजेंडर कपल के बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट पर नहीं लिखा होगा 'माता-पिता', सिर्फ 'पैरेंट' होगा

ट्रांस कपल, जाहाद और जिया ने अपनी याचिका में मांग की थी कि उनके बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में जेंडर को दर्शाने वाले शब्दों ‘माता’ और ‘पिता’ की जगह केवल ‘पैरेंट्स’ शब्द का प्रयोग किया जाए.

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ट्रांस कपल के बच्चे को लेकर केरल हाईकोर्ट का फैसला.(तस्वीर : इंडिया टुडे)

केरल हाई कोर्ट ने राज्य के पहले ट्रांसजेंडर कपल के बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट पर ‘माता’ और 'पिता' की जगह 'पैरेंट' शब्द का उपयोग करने का आदेश दिया है. इसके लिए कपल ने ही याचिका दायर की थी. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार 2 जून को जस्टिस जियाद रहमान एए की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद ट्रांसमैन जाहाद और ट्रांसवुमन जिया पावेल की मांग को मंजूरी दे दी.

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जहाद का जन्म ‘महिला’ के रूप में हुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को पुरुष के रूप में पहचाना. वहीं जिया का जन्म 'पुरुष' के रूप में हुआ था, लेकिन फिर उन्होंने खुद को महिला के रूप में पहचाना.

दोनों ने अपनी याचिका में मांग की थी कि उनके बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में जेंडर को दर्शाने वाले शब्दों ‘माता’ और ‘पिता’ की जगह केवल ‘पैरेंट्स’ शब्द का प्रयोग किया जाए. याचिका के मुताबिक, जाहाद ने फरवरी 2023 में बच्चे को जन्म दिया था. इसके बाद कोझिकोड कॉर्पोरेशन (Kozhikode Corporation) ने बर्थ सर्टिफिकेट में मां के स्थान पर ‘जाहाद (ट्रांसजेंडर)’ और पिता के स्थान पर ‘जिया (ट्रांसजेंडर)’ का नाम लिखा.

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बाद में ट्रांस कपल ने इसे बदलने का अनुरोध किया, लेकिन अधिकारियों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. बाद में उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जाहाद और जिया ने अपनी याचिका में तर्क दिया, “पुरुष द्वारा किसी बच्चे को जन्म देना वैज्ञानिक रूप से विरोधाभासी है. इससे बच्चे को स्कूल एडमिशन, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट और नौकरी में डॉक्यूमेंट को लेकर समस्या झेलनी पड़ सकती है.”

इस ट्रांस कपल ने बर्थ सर्टिफिकेट न जारी करने को बच्चे के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) केस के भी विपरीत बताया. इसके अलावा उन्होंने अन्य देशों के उदाहरण दिए जहां समलैंगिक जोड़ों (same sex Couple) को अपने बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में 'माता', 'पिता' या 'पैरेंट' जैसे ऑप्शन में से चुनने का अधिकार होता है.

तमाम दलीलों के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कोझिकोड कॉर्पोरेशन को बच्चे का नया बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया है. जिसमें माता और पिता के जेंडर को बिना दर्शाए, उस कॉलम को हटाकर, केवल 'पैरेट्स' के रूप में बताने का निर्देश दिया है.

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