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'बिजली कटी, संकरी सड़क, अचानक आई भीड़...', चश्मदीदों ने करूर भगदड़ की कहानी

कई लोग भागने की कोशिश में सड़क किनारे निचले नाले में गिर गए थे. कुछ लोग छप्पर की छतों पर चढ़ गए और गिर गए. पुलिस ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए लाठीचार्ज कर दिया.

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करूर भगदड़ के प्रत्यक्षदर्शियों ने अपनी आपबीती सुनाई है. (फोटो- इंडिया टुडे)
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अनघा

एक्टर और तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) प्रमुख विजय की करूर रैली में मची अफरा-तफरी में महिलाओं और बच्चों समेत 39 लोगों की जान चली गई. दर्जनों घायल हैं. अब प्रत्यक्षदर्शियों, पीड़ितों के परिवारों और जमीनी तस्वीरों-वीडियो से उन वजहों का पता चलता है, जिन्होंने एक राजनीतिक जश्न को एक दर्दनाक हादसे में बदल दिया.

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एक मृतक महिला के देवर विनोद कुमार के मुताबिक, चार लोगों का उनका परिवार विजय को देखने के लिए देर शाम तक इंतजार करता रहा. काफी देर हो रही थी. लेकिन वो विजय को एक बार देखना चाहते थे. शाम 7 से 7.30 बजे तक बिजली गुल रही और विजय के आने से ठीक पहले भीड़ उमड़ पड़ी. विनोद कुमार ने इंडिया टुडे को बताया,

मेरी भाभी और उनके 11 और 7 साल के दो बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई. बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और वो अपनी मां से अलग हो गए थे...

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बाद में तीनों के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दम घुटने की पुष्टि हुई. 45 साल की जयंती भी अपने 20 साल के बेटे अश्विन कुमारन के साथ रैली में शामिल होने पहुंची थीं. लेकिन अपनी जान गंवा बैठीं. अश्विन कुमारन ने आरोप लगाया कि पुलिस और TVK कार्यकर्ताओं ने पर्याप्त कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा,

TVK कार्यकर्ता स्वयं घायल थे और मदद नहीं कर सके. कोई हमें ये नहीं बता रहा था कि एम्बुलेंस कहां हैं. पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी और सड़क बहुत संकरी थी.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम वाली जगह पर जूतों के ढेर, कुचली हुई पानी की बोतलें, फटे हुए झंडे, टूटे हुए डंडे और बिखरा हुआ मलबा बिखरा पड़ा है. कई लोग भागने की कोशिश में सड़क किनारे निचले नाले में गिर गए थे. कुछ लोग छप्पर की छतों पर चढ़ गए और गिर गए. पुलिस ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए लाठीचार्ज किया. एक जीवित बचे व्यक्ति ने कहा,

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जब फैंस विजय का नाम ले रहे थे, तो कई लोगों को पता ही नहीं चला कि भगदड़ मच गई है. लोग गिरे हुए लोगों पर चढ़कर जा रहे थे.

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सुबह-सुबह घटनास्थल के पास पहुंचे स्थानीय लोग तबाही का मंजर देखकर स्तब्ध रह गए. जबकि करूर का सरकारी अस्पताल घायलों से भरा पड़ा था. जिनका इलाज पुलिस और अस्पताल के कर्मचारी कर रहे थे. परिवार अपनों की अचानक हुई मौत पर शोक मना रहे थे और रात भर शवगृह में उनकी सिसकियां गूंजती रहीं.

Karur Stampede साजिश थी?

इधर विजय की पार्टी TVK ने कहा कि वो करूर रैली में हुई भगदड़ की स्वतंत्र जांच के लिए मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै बेंच का रुख करेगी. पार्टी ने आरोप लगाया कि ये हादसा आकस्मिक (accidental) नहीं, बल्कि एक साजिश (conspiracy) का नतीजा था. उन्होंने भीड़ पर पथराव और कार्यक्रम स्थल पर पुलिस लाठीचार्ज का भी हवाला दिया.

पुलिस ने TVK के जिला सचिव मथियाझागन, पार्टी महासचिव बुस्सी आनंद और संयुक्त महासचिव सीटी निर्मल कुमार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं. जिनमें गैर इरादतन हत्या, गैर इरादतन हत्या का प्रयास, जीवन को खतरे में डालने वाले जल्दबाजी में किए गए काम और कानूनी आदेशों को न मानने के आरोप हैं. वहीं, तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति क्षति अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.

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