कानपुर… जहां की मोतीझील में आपको कोई पानी नहीं मिलेगा. वही शहर, जहां का ग्रीन पार्क कोई पार्क नहीं, बल्कि क्रिकेट स्टेडियम है. उसी कानपुर में एक ऐसे आदमी का पोस्टमॉर्टम शुरू कर दिया गया, जिसका नहीं किया जाना चाहिए था! माने, एक जीवित मरीज को गलती से मृत घोषित कर दिया गया और उसके पोस्टमॉर्टम की औपचारिकताएं भी शुरू कर दी गईं. ये सब शहर के लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट अस्पताल) में हुआ. मामला सामने आया तो फिर कार्रवाई भी हुई.
सरकारी अस्पताल ने ज़िंदा मरीज को मृत घोषित किया, पोस्टमॉर्टम के वक्त पता चला जिंदा है!
Kanpur, UP: जूनियर डॉक्टर ने कथित तौर पर गलत मरीज की मेडिकल फाइल कर उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस पोस्टमॉर्टम की औपचारिकताओं के लिए पहुंची, तो मामला खुला.


PTI में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला शनिवार, 27 दिसंबर की शाम को सामने आया. पुलिसकर्मी मरीज के शव को मॉर्चरी में शिफ्ट करने के लिए मेडिसिन वार्ड पहुंचे थे, लेकिन वहां मरीज जिंदा और होश में मिला. दरअसल, अस्पताल के मेडिसिन वार्ड नंबर 12 में दो मरीजों को पास-पास बेड पर भर्ती किया गया था. बेड नंबर 42 पर विनोद (उम्र 42 वर्ष) और बेड नंबर 43 पर एक अज्ञात बुजुर्ग व्यक्ति (लगभग 60 वर्ष) भर्ती थे. शनिवार को इलाज के दौरान बुजुर्ग मरीज की मृत्यु हो गई. लेकिन जूनियर डॉक्टर ने कथित तौर पर विनोद की मेडिकल फाइल में एंट्री करके उसे ही मृत घोषित कर दिया.
जिसके बाद स्वरूप नगर पुलिस स्टेशन को पोस्टमॉर्टम के लिए सूचना भेज दी गई. जब पुलिस शव को शिफ्ट करने के लिए आई, तो वो हैरान रह गए. विनोद जिंदा था! इस खुलासे से अस्पताल में हड़कंप मच गया. थाने से प्रभारी अधीक्षक राकेश सिंह और मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल संजय काला वार्ड पहुंचे. जब पूछताछ की गई तो गलती करने वाले जूनियर डॉक्टर ने अपनी भूल स्वीकार की और माफी मांगी. अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. इसमें एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर और एक नर्स शामिल है.
डॉक्टर संजय काला ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है. जिसमें वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर रिचा अग्रवाल, चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर सौरभ अग्रवाल और सुपरिंटेंडेंट इन चार्ज डॉक्टर राकेश सिंह शामिल हैं. कमेटी को 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
मामले की जानकारी देते हुए प्रभारी अधीक्षक राकेश सिंह कहा कि ये गलती गलत डॉक्यूमेंटेशन के कारण हुई. उन्होंने बताया,
"जूनियर डॉक्टर ने गलती से दूसरे मरीज का फाइल भर दिया था. बाद में रिकॉर्ड्स को ठीक किया गया और दोबारा पुलिस को भेज दिया गया."
पुलिस ने बताया कि विनोद के रिश्तेदारों से उनके मेडिकल रिकॉर्ड में मिले फोन नंबर के जरिए संपर्क किया गया. गोविंद नगर थाने के प्रभारी निरीक्षक राकेश कुमार सिंह के अनुसार, अज्ञात बुजुर्ग व्यक्ति लगभग पांच दिन पहले बेहोश हालत में मिला था. पुलिस उसकी पहचान नहीं कर पाई, इसलिए उसे लाला लाजपत राय अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
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