इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) के सरकारी आवास से मिले कैश का मामला फिर से सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक कमिटी बनाई थी, जिसने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट सौंपी. पिछले दिनों जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस रिपोर्ट को चुनौती दी. उच्चतम न्यायालय इस याचिका पर सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच का गठन करने वाला है.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने Supreme Court में एक याचिका दायर की है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई एक कमिटी की रिपोर्ट को चुनौती दी है. इसी पर अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपनी बात रखी है.

14 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित बंगले के एक हिस्से से भारी मात्रा में कैश मिला था. सुप्रीम कोर्ट की कमिटी ने इस मामले में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया है. इसी रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की. वर्मा ने अपनी याचिका में इस सिफारिश को रद्द करने का भी आग्रह किया है.
तत्काल सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?CJI बीआर गवई ने 23 जुलाई को कहा कि वो पूर्व CJI संजीव खन्ना के साथ इस पूरी चर्चा में शामिल थे, इसलिए उनके लिए इस मामले की सुनवाई करना ठीक नहीं होगा.
जस्टिस वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि मामले में कुछ वैधानिक प्रश्न हैं. उन्होंने तत्काल सुनवाई के लिए जस्टिस वर्मा की ओर से कई और वकीलों के उपस्थित होने का हवाला दिया. इनमें वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा सहित कई वकील शामिल हैं. इस पर CJI ने कहा,
मुझे लगता है कि मेरे लिए इस मामले को उठाना उचित नहीं होगा क्योंकि मैं उस बातचीत (पूर्व सीजेआई के साथ) का हिस्सा था, हम एक बेंच का गठन करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले पर अगले हफ्ते बेंच गठित होने और सुनवाई की संभावना है.
कैश मिलने की घटना के समय जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में थे. उनके सरकारी आवास पर आग लगने की सूचना मिली थी, जिसे बुझाने वहां अग्निश्मन कर्मचारी पहुंचे थे. कर्मचारियों ने वहां भारी मात्रा में कैश देखा. इसके बाद ही मामला सुर्खियों में आया. इसके बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया.
जस्टिस वर्मा ने अपने बचाव में क्या कहा?जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट कमिटी ने महत्वपूर्ण तथ्यों की जांच किए बिना ही अपनी कार्यवाही समाप्त कर दी. उन्होंने कहा कि कमिटी ने कुछ तथ्यों को सही मान लिया और उन्हें गलत साबित करने का भार जस्टिस वर्मा पर डाल दिया.
उन्होंने जांच समिति के समक्ष ये दलील दी थी कि उन्हें अपने आवास पर कैश होने की जानकारी नहीं थी. हालांकि, कमिटी ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया.
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संसद में महाभियोग की तैयारीये खबर ऐसे वक्त में आई है जब संसद के दोनों सदनों में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है. राज्यसभा में तो इस प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार भी कर लिया गया है. लोकसभा में पक्ष और विपक्ष के 100 से ज्यादा सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
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