मध्य प्रदेश से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. विदिशा जिले के बरेठ गांव में सांप्रदायिक हिंसा हुई. पुलिस ने मामला दर्ज किया. लेकिन यहां हो गया एक झोल. एक पक्ष का आरोप है कि जिन लोगों पर मामला दर्ज हुआ, उनमें से दो लोगों की करीब एक दशक पहले ही मौत हो चुकी है.
MP के गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा, FIR में उनके भी नाम, जो 10 साल पहले दुनिया छोड़ चुके
एक समुदाय ने आरोप लगाया कि एफआईआर में नामित दो लोग करीब 10 साल पहले ही मर चुके हैं. अब एसपी ने इस मामले पर सफाई दी है.

17 जुलाई 2025 को विदिशा के बरेठ गांव में सांप्रदायिक हिंसा की बात सामने आई. दो समुदायों में झड़प हो गई. उसी दिन बासौदा सिटी पुलिस स्टेशन में इस घटना को लेकर मामला दर्ज किया गया. एक समुदाय ने दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. अगले ही दिन, दूसरे समुदाय के लोग सीनियर पुलिस अधिकारियों के पास पहुंचे और मामले में आया एक नया ट्विस्ट.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक समुदाय ने आरोप लगाया कि एफआईआर में नामित दो लोग करीब 10 साल पहले ही मर चुके हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि एक व्यक्ति जो घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था, उसका नाम भी एफआईआर में डाल दिया गया है. इस मामले पर जानकारी देते हुए एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे ने बताया
अगर शिकायत में जिन लोगों का जिक्र है, वे मौजूद नहीं हैं, तो उन्हें राहत मिलेगी. जो लोग घटनास्थल पर मौजूद थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. कभी-कभी ऐसा हो जाता है जब मृत लोगों के नाम पर चार्जशीट दाखिल कर दी जाती है. यह एक गंभीर समस्या है. एफआईआर के दौरान, अगर कोई गलती हुई है, तो हम उसे सुधार सकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार गलत एफआईआर की यह शिकायत 21 जुलाई को एसपी को सौंपी गई थी और अब एक सब डिवीजनल पुलिस अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं. सब डिवीजनल पुलिस अधिकारी को हर पक्ष के दावों की पुष्टि करने और सबूत जुटाने का काम सौंपा गया है. मामले में शिकायत करने वाले राज कुमार शर्मा ने बताया कि एफआईआर में दो ऐसे लोगों के नाम हैं जिनकी पहले ही मृत्यु हो चुकी है. राज कुमार शर्मा ने निष्पक्ष जांच की मांग की और मामले में शामिल न होने वाले लोगों के नाम हटाने के लिए एडिशनल एसपी से गुहार लगाई है.
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