The Lallantop

'पाकिस्तान नहीं जाऊंगा, यहीं जान दे दूंगा...' देश छोड़ने के आदेश पर बोले कॉन्स्टेबल इफ्तखार अली

Jammu Kashmir Constable Iftkhar Ali Story: कॉन्स्टेबल इफ़्तख़ार अली जम्मू-कश्मीर पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं. पहलगाम हमले के बाद उन्हें बताया गया कि उन्हें और उनके आठ भाई-बहनों को भारत छोड़ना पड़ेगा. इस मसले पर उनका क्या कहना है?

Advertisement
post-main-image
भारत से पाकिस्तान लौटते वहां के नागरिक. (फ़ोटो - PTI)

जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले में एक गांव पड़ता है, सलवाह. यहां रहने वाले 45 साल के कॉन्स्टेबल इफ़्तख़ार अली जम्मू-कश्मीर पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं. 26 अप्रैल को उन्हें राज्य के एक सीनियर अधिकारी ने फ़ोन किया. बताया कि उन्हें और उनके आठ भाई-बहनों को भारत छोड़ना पड़ेगा. 

Advertisement

क्यों? क्योंकि उन्हें पाकिस्तान का नागरिक माना जा रहा है. उस समय इफ़्तख़ार अली को ऐसा लगा कि उनके पैरों से ज़मीन खिसक गई हो. इफ़्तख़ार जम्मू-कश्मीर पुलिस में 27 साल से सेवा दे रहे हैं. सलवाह गांव के अलावा उनका कोई दूसरा घर भी नहीं है.

ऐसे में उन्होंने हैरान होकर अपने सीनियर अधिकारी से कहा कि वो सीमा पार करने के बजाय ‘खुद को मार डालेंगे.’ इफ़्तख़ार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहते हैं,

Advertisement

आपकी तरह मैंने भी पाकिस्तान के बारे में सिर्फ़ सुना था. मेरे पास यहां सब कुछ है- मेरी पत्नी,  बच्चे, रिश्तेदार, दोस्त और सहकर्मी. पाकिस्तान में कुछ भी नहीं है.

ऐसा ही नोटिस इफ़्तख़ार अली के तीन भाई और पांच बहनों को मिला. फिर उन्हें पाकिस्तान भेजने के लिए पंजाब के अटारी बॉर्डर भेजने की तैयारी हुई. इस बीच उनके परिवार ने 29 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का रुख किया. उन्होंने मांग की कि इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगे. इफ़्तख़ार ने आगे बताया,

जब मैंने सुना कि मुझे पाकिस्तानी नागरिक बताया जा रहा है, तो मैं चौंक गया. मैंने उनसे कहा कि मैं नोटिस पर साइन करने के बजाय मरना पसंद करूंगा. लेकिन फिर भी मुझे साइन करने की सलाह दी गई. आख़िरकार मैंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

Advertisement

कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और नोटिस पर रोक लगा दी. कहा कि याचिकाकर्ताओं को जम्मू-कश्मीर छोड़ने के लिए न कहा जाए और न ही मजबूर किया जाए. जस्टिस राहुल भारती ने पुंछ के डिप्टी कमिश्नर को ये आदेश भी दिया कि वो याचिकाकर्ताओं की संपत्ति की स्थिति पर एक हलफनामा दायर करें.

ये भी पढ़ें- इफ़्तख़ार अली ने क़ानूनी लड़ाई कैसे जीती?

नतीजा ये हुआ कि इफ़्तख़ार अली और उनके आठ भाई-बहन अब गांव लौट आए हैं. कॉन्स्टेबल इफ़्तख़ार अली को तो नोटिस मिला था. लेकिन न तो उनकी पत्नी और न ही उनके तीन नाबालिग बेटों को नोटिस मिला. क्योंकि वे सभी भारत में पैदा हुए थे.

क्या है इफ़्ताख़ार अली की कहानी?

नौ बच्चों में से आठवें इफ़्तख़ार अली दो साल के थे, जब उनके माता-पिता फकरुद्दीन और फातिमा बी उन्हें तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में ले आए. अपनी याचिका में इफ़्तख़ार और उनके भाई-बहनों ने कहा कि उनके पास सलवाह गांव में लगभग 17 एकड़ ज़मीन और एक घर है.

इफ़्तख़ार 90 के दशक के आखिर में राज्य पुलिस में शामिल हुए थे. जब आतंकवाद अपने चरम पर था. वो बताते हैं कि उनकी पहली पोस्टिंग 1998 में रियासी ज़िले के गुलाबगढ़ इलाक़े में देवल पुलिस चौकी पर हुई थी.

अब इफ़्तख़ार अली ने इस मुश्किल समय के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस बल से मिली मदद की तारीफ़ की है. उन्होंने बताया कि उनके लौटने के बाद से ही घर पर लगातार आने वालों का तांता लगा हुआ है. सभी उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं.

वीडियो: पाकिस्तान में ससुराल, भारत में मायका, क्यों परेशान हैं ये पाकिस्तानी महिलाएं?

Advertisement