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'अल्लाह के खिलाफ बोलते हैं', जावेद अख्तर को उर्दू एकेडमी के प्रोग्राम में बुलाने पर मुस्लिम संगठन नाराज

Jamiat Ulama-i-Hind की कोलकाता यूनिट ने चिट्ठी में लिखा है कि Javed Akhtar सिर्फ धर्म से दूर नहीं हैं, बल्कि कई बार धार्मिक संप्रदायों और ईश्वर का मजाक भी उड़ा चुके हैं. जमीयत ने कहा कि ऐसे इंसान को मंच देना हमारे लिए बहुत दुखद है.

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जावेद अख्तर को उर्दू कार्यक्रम में बुलाए जाने का जमीयत ने विरोध किया. (PTI)

पश्चिम बंगाल उर्दू एकेडमी के एक प्रोग्राम में मशहूर शायर, फिल्म लेखक और गीतकार जावेद अख्तर को बुलाए जाने पर विवाद हो गया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कोलकाता इकाई ने इस पर कड़ा एतराज जताया है. जमीयत ने एकेडमी को चिट्ठी लिखकर साफ कहा है कि जावेद अख्तर को इस प्रोग्राम में ना बुलाया जाए.

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चिट्ठी में मुस्लिम संगठन का कहना है, “जावेद अख्तर ऐसे शख्स हैं जो धर्म और ईश्वर के खिलाफ बातें करते हैं. ऐसे इंसान को उर्दू भाषा के किसी सम्मानित कार्यक्रम में बुलाना सही नहीं है. उर्दू जगत में बहुत सारे अच्छे शायर, लेखक और पत्रकार हैं जो इस प्रोग्राम में बुलाए जा सकते हैं.”

25 अगस्त को लिखे पत्र में जमीयत ने अपील की कि जावेद अख्तर की जगह किसी और काबिल और सम्मानित शख्सियत को बुलाया जाए, चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों ना हों, लेकिन वे धर्म और ईश्वर का सम्मान करने वाले हों.

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जमीयत उलेमा कलकत्ता का पत्र. (India Today)
जमीयत उलेमा कलकत्ता का पत्र. (India Today)

इस मामले में जब दी लल्लनटॉप ने जमीयत उलेमा, कलकत्ता के जनरल सेक्रेटरी जिल्लुर रहमान आरिफ से जावेद अख्तर को लेकर उनकी आपत्ति के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा,

"अल्लाह के खिलाफ बोलते रहते हैं. इस्लाम के खिलाफ बोलते रहते हैं. ऐसे लोगों को हम लोग पश्चिम बंगाल में, पश्चिम बंगाल की अवाम पसंद नहीं करती है. यहां अमन पसंद लोग हैं. एक-दूसरे के मजहब का ख्याल करते हैं. एक-दूसरे के मजहब की इज्जत करते हैं. वो जो खुलेआम अल्लाह को बोलता है, बुराई करता है. हम लोग, बंगाल की अवाम पसंद नहीं करते. हम लोग नहीं चाहते कि उनके आने से बंगाल में भाईचारे में खलल पड़े. बस इतनी सी बात है."

उन्होंने आगे कहा,

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"जावेद अख्तर साहब हमें जितना गाली दें, उसे बर्दाश्त कर सकते हैं. कोई बात नहीं है... लेकिन इस्लाम के बारे में, अल्लाह के बारे में बोलेंगे, तो ऐसा शख्स जहां भी जाएगा, वहां तो अमन की जगह खलल ही पैदा होगा ना?"

जिल्लुर रहमान आरिफ ने यहां तक कहा कि उर्दू एकेडमी किसी नास्तिक को भी बुलाती है, तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है. हालांकि, उन्होंने जावेद अख्तर के किसी खास बयान का खुलासा नहीं किया, जिस पर जमीयत को आपत्ति हो. उनका यही कहना है कि जावेद अख्तर लगातार धर्म और ईश्वर के खिलाफ बोलते आ रहे हैं.

चिट्ठी में लिखा है कि जावेद अख्तर सिर्फ धर्म से दूर नहीं हैं, बल्कि कई बार धार्मिक संप्रदायों और ईश्वर का मजाक भी उड़ा चुके हैं, ऐसे इंसान को मंच देना हमारे लिए बहुत दुखद है.

जमीयत ने ये भी याद दिलाया कि पहले उन्होंने बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ भी आंदोलन किया था, जिन पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ लिखने का आरोप था. उस आंदोलन के चलते तस्लीमा को पश्चिम बंगाल छोड़ना पड़ा था. जमीयत ने कहा कि अगर जावेद अख्तर को इस कार्यक्रम में बुलाया गया तो, वे इस फैसले का विरोध करेंगे और इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके अपनाएंगे.

जमीयत ने उर्दू एकेडमी के अधिकारियों से अपील की है कि वे इस फैसले पर दोबारा सोचें और किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाएं जो उर्दू भाषा से जुड़ा हो और धर्म का भी सम्मान करता हो. इस विवाद पर अभी तक जावेद अख्तर या उर्दू एकेडमी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

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