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'भारत के दिए आंकड़ों में कुछ कमी है... ', ये कहते हुए जीडीपी से जुड़े डेटा को IMF ने दे दी C रेटिंग

IMF ने C ग्रेड दिया है. आकंड़ों की गुणवत्ता के लिहाज से इसे दूसरा सबसे निचला ग्रेड माना जाता है. IMF का ये मूल्यांकन ऐसे समय में आया है, जब सरकार 28 नवंबर को इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े जारी करने जा रही है.

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IMF ने जीडीपी से जुड़े आंकड़ों में कमी की ओर इशारा किया है. (इंडिया टुडे)

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने सालाना रिव्यू में भारत के राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों (India accounts statistics) को ‘C’ ग्रेड दिया है. आकंड़ों की गुणवत्ता के लिहाज से इसे दूसरा सबसे निचला ग्रेड माना जाता है. IMF का ये मूल्यांकन ऐसे समय में आया है, जब सरकार 28 नवंबर को इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े जारी करने जा रही है.

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‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, IMF ने अपने सालाना रिव्यू के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और सकल मूल्य वर्धन (GVA) जैसे इंडिकेटर्स को शामिल किया है. IMF के इस ग्रेड का मतलब है कि उपलब्ध आंकड़ों में कुछ कमियां हैं. IMF ने आर्टिकल IV (असेसमेंट ऑफ इकोनॉमिक फ्रेमवर्क) में बताया है कि भारत के नेशनल अकाउंट्स से जुड़े आंकड़े समय से उपलब्ध होते है, और इनसे पर्याप्त जानकारी मिलती है. लेकिन इन्हें निकालने की कार्यप्रणाली (Methodology) से जुड़ी कुछ कमियों के चलते निगरानी में थोड़ी दिक्कत आती है. इसी आधार पर नेशनल अकाउंट्स को ‘C’ ग्रेड दिया गया है.

‘कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स’ को ग्रेड ‘B’

भारत में मु्द्रास्फीति (Inflation) का पता लगाने वाला सबसे बड़ा इंडीकेटर है, 'कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स.' इसको IMF की तरफ से बी ग्रेड मिला है. यानी उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में थोड़ी दिक्कत है. लेकिन निगरानी के लिए मोटे तौर पर पर्याप्त हैं. ओवरऑल सभी डेटा कैटेगरी में भारत को ‘B’ ग्रेड मिला है. IMF चार तरह की ग्रेडिंग करता है, A, B , C और D.

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ग्रेड A : अगर किसी अर्थव्यवस्था या फिर उसके किसी इंडिकेटर को ग्रेड A मिलता है तो इसका मतलब है कि उसने इंटरनेशल लेवल पर तय किए गए मानकों के हिसाब से काम किया है.

ग्रेड B : यह बताता है कि दिए गए डेटा में कुछ कमियां है. लेकिन मोटे तैर पर यह निगरानी के लिए पर्याप्त है.

ग्रेड C : ग्रेड C का मतलब है कि डेटा तैयार करने के मेथड में कुछ कमी है, जिसके चलते IMF को निगरानी में दिक्कत आती है.

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ग्रेड D : इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए सबसे निचले स्टैंडर्ड भी पूरे नहीं किए गए हैं. यानी डेटा की बुनियादी बातें सही नहीं हैं और वो भरोसे के लायक नहीं हैं.

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